भाजपा के एक वरिष्ठ नेता से चर्चा हुई तो वे कह रहे थे कि सरकार ने काफी अच्छा काम किया है और जनता हमारे साथ है। ये जो नकारात्मकता फैलाई जा रही है। हमारा ही कार्यकर्ता फैला रहा है।
जयपुर। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जयपुर में भाजपा के सांसदोंं, विधायकों व सैकड़ों प्रदेश प्रतिनिधियों के सामने शनिवार को कहा कि बीजेपी की शान उसका कार्यकर्ता है और कार्यकर्ताओं के दम पर ही भाजपा देश में आगे बढ़ी। आज कार्यकर्ताओं के दम पर ही देश में राज कर रही है। कार्यकर्ताओं का सम्मान ही हमारा पहला कर्तव्य है। कार्यकर्ताओं के दम पर ही हम फिर से राजस्थान और देश में भारी बहुमत से जीतेंगे और सरकार बनाएंगे।
लेकिन राजस्थान में धरातल की स्थिति इसके ठीक उलट ही नजर आती है। गत दिनों भाजपा के एक वरिष्ठ नेता से चर्चा हुई तो वे कह रहे थे कि सरकार ने काफी अच्छा काम किया है और जनता हमारे साथ है। ये जो नकारात्मकता फैलाई जा रही है। हमारा ही कार्यकर्ता फैला रहा है। नेता जी के कथन और पार्टी में हुए आंतरिक सर्वे के अनुसार यह सही है कि जनता में कामकाज को लेकर किसी प्रकार का असंतोष नहीं है, लेकिन क्या निरुत्साहित व हताश कार्यकर्ताओं के दम पर पार्टी चुनाव जीत पाएगी। जिस संगठन में यह माना जाता है कि कार्यकर्ता ही संगठन की रीढ़ है और उसके नाराज रहते चुनाव में पार पाना सभी के लिए देखने लायक ही होगा।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जयपुर में आयोजित सभा में प्रदेश के नेतृत्व परिवर्तन की सभी संभावनाओं को नकार कर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को क्लीन चिट दे दी। शनिवार को अमित शाह ने भी एक बार स्पष्ट कर दिया कि राजस्थान में राजे ही सर्वमान्य नेता है और उनके नेतृत्व में ही चुनाव लडा जाएगा। इससे यह स्पष्ट हो गया कि आगामी विधानसभा चुनाव राजे के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। चुनाव में प्रबंधन से लेकर टिकट वितरण तक सभी में राजे की ही पूर्णतया चलने वाली है।
जब से अशोक परनामी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर नया अध्यक्ष बनाने की कवायद शुरू हुई तो यह लग रहा था कि केन्द्र और राज्य नेतृत्व में कहीं टकराव की स्थिति बनी थी। आलाकमान जहां केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह को अध्यक्ष बनाने पर तुला था, लेकिन वसुंधरा राजे के विरोध के चलते कई दिन तक नियुक्ति नहीं हो सकी और बाद में राजे की सहमति से ही मदनलाल सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। दूसरी ओर कई दिनों से असमंजस में चल रहे वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी को भी सभी उम्मीदों के साथ भाजपा ही छोडऩी पड़ गई।
इससे यह तो साबित हो गया कि प्रदेश भाजपा में वसुंधरा राजे को चुनौती देने का माद्दा किसी में नहीं है। वहीं राजे के कद के सामने केन्द्रीय नेतृत्व को भी झुकना पड़ा है। इन सबके बीच यह भी साफ हो गया कि जो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पसंद करे तो भाजपा में रहे यदि राजे का विरोध बाकी है तो वे संगठन छोड़ सकते हैं। इससे संगठन में राजे विरोधी गुट का सफाया हो गया है। संगठन की अंदरुनी गुटबाजी पर काफी हद तक लगाम लगेगी।
जहां भाजपा में फिलहाल जमीनी व मूल कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार कहीं देखने को नहीं मिल रहा है, दूसरी ओर प्रदेश में कांग्रेस इस बार चुनाव को लेकर बड़ी ही उत्साहित नजर आ रही है। जगह जगह बूथ सम्मेलनों में कार्यकर्ताओं की सक्रियता से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन कांग्रेस में भी प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर दो फाड़ नजर आ रही है। इस गुटबाजी के चलते कांग्रेस का पलड़ा फिर से डगमगाता सा नजर आ रहा है। इस मामले में देखा जाए तो भाजपा ने एकमात्र नेता वसुंधरा राजे को घोषित कर एक बढ़त तो जरूर बनाई है, लेकिन अब उसे अपने ही कार्यकर्ता को संतुष्ट कर काम पर लगाने की चुनौती है। वैसे देखा जाए तो कार्यकर्ता अपने स्थानीय नेताओं द्वारा तवज्जो नहीं दिए जाने से अधिक नाराज हैं और इन्हीं स्थानीय नेताओं द्वारा प्रदेश नेतृत्व में उनकी कोई सुनवाई नहीं होने का माहौल बनाया गया है।
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