राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को लेकर कांग्रेस भले ही कोई टेंशन नहीं पाल रही हो। लेकिन, संगठन के भीतर उपज रहे विवाद को देख अशोक गहलोत की भी चिंता बढ़ गई है
जयपुर । प्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देने के लिए कांग्रेस तैयार है। सियासी समीकरण को ध्यान में रखते हुए पार्टी पदाधिकारी हर रणनीति को भी धार दे रहे हैं। लेकिन, पार्टी के भीतर बन रहे सियासी समीकरणों ने आलाधिकारियों की नींद उड़ाकर रख दी है। चुनाव में अभी चार महीने बाकी हैं, इससे पहले ही कांग्रेस के भीतर टिकट के दावेदारों ने घमासान की स्थिति पैदा कर दी है। हर विधानसभा से बहुसंख्यक दावेदारी को देख प्रदेश से लेकर दिल्ली में बैठे पार्टी पदाधिकारी सकते में आ गए हैं।
चुनाव से पहले बन रही इस स्थिति को निपटाने के लिए अब बड़े पदाधिकारी पार्टी कार्यकर्ताओं को नसीहत देने में जुटे हैं। लेकिन, अभी पार्टी इस जंजाल से निकल नहीं पाई है। हालात यह है कि टिकट के दावेदार हर मोर्चे पर अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए हर जुगत अपना रहे हैं। आलाधिकारियों से मुलाकात करने से लेकर जमीनी स्तर पर दो-दो हाथ करने को भी तैयार हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र से कम से कम 5 उम्मीदवार टिकट की आस लगाए हुए है। चुनाव को लेकर एक-एक दिन गुजरने के साथ ही उम्मीदवारों का शक्तिप्रदर्शन भी बढ़ता जा रहा है।
टिकट के चहेतों ने जो रवैया अपनाया हुआ है, उसने कांग्रेस पदाधिकारियों को चिंता में डाल दिया है। अंदरखाने चर्चा है कि पार्टी भाजपा से तो निपट लेगी, लेकिन, कार्यकर्ताओं को क्या करे कुछ सूझ नहीं रहा है। हालांकि, पार्टी के बड़े पदाधिकारी टिकटार्थियों को शांत करने के लिए पुचकारने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी बात बनती दिखाई नहीं दे रही है। हर विधानसभा से टिकट को लेकर बढ़ती संख्या को देख पार्टी के राषट्रीय महासचिव अशोक गहलोत खासे परेशान हो गए हैं। गहलोत ने चुनावी कार्यशाला के दौरान भी इस मामले में यह कहते हुए सभी को शांत करने की कोशिश की कि टिकट तो एक को ही मिलेगा, लेकिन, संगठन अन्य का भी ध्यान रखने का एजेंडा रख रखा है।
साथ ही गहलोत ने कार्यकर्ताओं और नेताओं से गुजरात कांग्रेस से सीख लेने की नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि वहां के कार्यकर्ता खुद को टिकट नहीं मिलने पर दूसरे का नाम आगे रख देते हैं। इसी प्रकार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट भी टिकट मांगने वालों की भीड़ को देख पसोपेश में पड़ गए हैं। पायलट ने कहा है कि जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा, उन्हें सत्ता में भागीदारी दी जाएगी।
वहीं, एआईसीसी के महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह ने टिकट से वंचित लोगों के संगठन में जगह मिलने का आश्वासन देकर इस मामले को निपटाने में जुटे हैं। आपको बता दें कि प्रदेश में चुनाव को लेकर सचिन पायलट की ओर से शुरू किया गया 'मेरा बूथ मेरा गौरव' कार्यक्रम भी टिकट का अखाड़ा बन गया। राज्य के 1 दर्जन से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में टिकट को लेकर विवाद की स्थिति के बीच इस कार्यक्रम को करना पड़ा है। दावेदार अपनी ताकत को बढ़ चढकर दिखाने के लिए एक-दूसरे को नीचा दिखाने के साथ ही दो-दो हाथ भी कर चुके हैं।
जयपुर । प्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देने के लिए कांग्रेस तैयार है। सियासी समीकरण को ध्यान में रखते हुए पार्टी पदाधिकारी हर रणनीति को भी धार दे रहे हैं। लेकिन, पार्टी के भीतर बन रहे सियासी समीकरणों ने आलाधिकारियों की नींद उड़ाकर रख दी है। चुनाव में अभी चार महीने बाकी हैं, इससे पहले ही कांग्रेस के भीतर टिकट के दावेदारों ने घमासान की स्थिति पैदा कर दी है। हर विधानसभा से बहुसंख्यक दावेदारी को देख प्रदेश से लेकर दिल्ली में बैठे पार्टी पदाधिकारी सकते में आ गए हैं।
चुनाव से पहले बन रही इस स्थिति को निपटाने के लिए अब बड़े पदाधिकारी पार्टी कार्यकर्ताओं को नसीहत देने में जुटे हैं। लेकिन, अभी पार्टी इस जंजाल से निकल नहीं पाई है। हालात यह है कि टिकट के दावेदार हर मोर्चे पर अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए हर जुगत अपना रहे हैं। आलाधिकारियों से मुलाकात करने से लेकर जमीनी स्तर पर दो-दो हाथ करने को भी तैयार हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र से कम से कम 5 उम्मीदवार टिकट की आस लगाए हुए है। चुनाव को लेकर एक-एक दिन गुजरने के साथ ही उम्मीदवारों का शक्तिप्रदर्शन भी बढ़ता जा रहा है।
टिकट के चहेतों ने जो रवैया अपनाया हुआ है, उसने कांग्रेस पदाधिकारियों को चिंता में डाल दिया है। अंदरखाने चर्चा है कि पार्टी भाजपा से तो निपट लेगी, लेकिन, कार्यकर्ताओं को क्या करे कुछ सूझ नहीं रहा है। हालांकि, पार्टी के बड़े पदाधिकारी टिकटार्थियों को शांत करने के लिए पुचकारने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी बात बनती दिखाई नहीं दे रही है। हर विधानसभा से टिकट को लेकर बढ़ती संख्या को देख पार्टी के राषट्रीय महासचिव अशोक गहलोत खासे परेशान हो गए हैं। गहलोत ने चुनावी कार्यशाला के दौरान भी इस मामले में यह कहते हुए सभी को शांत करने की कोशिश की कि टिकट तो एक को ही मिलेगा, लेकिन, संगठन अन्य का भी ध्यान रखने का एजेंडा रख रखा है।
साथ ही गहलोत ने कार्यकर्ताओं और नेताओं से गुजरात कांग्रेस से सीख लेने की नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि वहां के कार्यकर्ता खुद को टिकट नहीं मिलने पर दूसरे का नाम आगे रख देते हैं। इसी प्रकार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट भी टिकट मांगने वालों की भीड़ को देख पसोपेश में पड़ गए हैं। पायलट ने कहा है कि जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा, उन्हें सत्ता में भागीदारी दी जाएगी।
वहीं, एआईसीसी के महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह ने टिकट से वंचित लोगों के संगठन में जगह मिलने का आश्वासन देकर इस मामले को निपटाने में जुटे हैं। आपको बता दें कि प्रदेश में चुनाव को लेकर सचिन पायलट की ओर से शुरू किया गया 'मेरा बूथ मेरा गौरव' कार्यक्रम भी टिकट का अखाड़ा बन गया। राज्य के 1 दर्जन से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में टिकट को लेकर विवाद की स्थिति के बीच इस कार्यक्रम को करना पड़ा है। दावेदार अपनी ताकत को बढ़ चढकर दिखाने के लिए एक-दूसरे को नीचा दिखाने के साथ ही दो-दो हाथ भी कर चुके हैं।

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