जिस सिंधिया घराने ने पीढ़ियों से राजस्थान को लूटा, उसके स्वाभिमान को आहत किया और प्रदेश की जनता से लूटखसोट की है। एसे लोग कभी भी राजस्थान का गौरव नहीं बढ़ा सकते। 

जो कि तिवाड़ी की भारत वाहिनी पार्टी द्वारा काफ़ी पहले से प्रस्तावित यात्रा का नाम है। इसके साथ
तिवाड़ी ने PAI- 2018 की रिपोर्ट को आधार बना कर कहा कि राजस्थान पिछले वर्ष इस इंडेक्स में 7वें पायदान पर था जो अब फिसल कर 11वें पर आ गया है। मतलब प्रदेश की शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, पानी, मानव विकास, सामाजिक सुरक्षा, महिलाओं व बच्चों की स्थिति और क़ानून व्यवस्था की स्थिति में ज़बरदस्त गिरावट आयी है। वास्तव में यह सुराज नहीं कुराज है।
तिवाड़ी ने भाजपा की राजस्थान गौरव यात्रा के नामकरण को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि जिस सिंधिया घराने ने पीढ़ियों से राजस्थान को लूटा, उसके स्वाभिमान को आहत किया और प्रदेश की जनता से लूटखसोट की है। एसे लोग कभी भी राजस्थान का गौरव नहीं बढ़ा सकते। मुख्यमंत्री की इस यात्रा की चारभुजा मंदिर से शुरुआत पर आश्चर्य व्यक्त किया। तिवाड़ी ने इतिहासकार औझा की पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि जिस चारभुजा मंदिर को लूटने का काम सिंधियाओं ने किया और जिसे सिंधियाओं से बचाने के लिए राजस्थान की 22 वीरांगनाओं ने बलिदान किया था, जिनकी मूर्तियाँ वहाँ आज भी है। उस मंदिर से यात्रा की शुरुआत कर वसुंधरा राजे सिंधिया किस मुँह से राजस्थान के गौरव को बढ़ाने की बात करती है?
तिवाड़ी ने कहा कि सिंधियाओं ने हमेशा राजस्थान को अपमानित और पीड़ित किया है। राजस्थान की तीन प्रमुख रियासतें जयपुर, जोधपुर और मेवाड़ को इन सिंधियाओं ने हमेशा लूटा और अपमानित किया। उन्होंने कहा कि सिंधियाओं ने टोंक में बड़ी संख्या में लूट और ठगी के लिए कुख्यात पिंडारियों को बसाया और राजस्थान के ख़िलाफ़ जब भी सिंधियाओं का लूट अभियान होता तो इन पिंडारियों को साथ ले कर जाते थे।
तिवाड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री को हमारा अनुसरण करना ही है तो सिर्फ़ नाम का नहीं हमारे गुणों का भी अनुसरण करे। अपने तीखे तेवरों के लिए प्रसिद्ध श्री तिवाड़ी ने प्रदेश की जनता को आगाह करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति का भाव बदल सकता है पर स्वभाव नहीं बदल सकता। तिवाड़ी ने अपनी बात को एक राजस्थानी दोहे से समझाया;
बा'रा कोसां बोली पलटे, बड़ पलटे साखाहं।
काला पर धोला पलटे, पण लखण पलटे न लाखाँह।
तिवाड़ी ने जोड़ा कि जिनको चोरी की आदत लगी है वे दामचोरी, कामचोरी के साथ-साथ अब नाम भी चोरी करने लगे हैं।

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