मंगलवार, 10 जुलाई 2018

जियो यूनिवर्सिटी की रैंकिंग पर विपक्षी दलों ने मोदी को घेरा

अस्तित्व में आने से पहले ही रिलायंस के जियो इंस्टिट्यूट को मिला उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा
मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने हाल ही में उत्कृष्ट संस्थानों की एक लिस्ट जारी की है। इसमें देश भर के कुल 6 विश्वविद्यालयों को 'इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस' का दर्जा दिया गया है। इनमें तीन सरकारी और तीन निजी संस्थान शामिल हैं। इनमें एक नाम जियो यूनिवर्सिटी का है।

यूजीसी की कमेटी ने टॉप कैटगरी में तीन सरकारी और तीन गैर सरकारी यूनिवर्सिटी का चयन किया है। निजी यूनिवर्सिटी की कैटगरी में जियो का चयन किया गया है। इसे बेहतरीन इंस्टीट्यूट का दर्जा दिया गया है।

एचआरडी मंत्रालय का कहना है कि जियो यूनिवर्सिटी का चयन ग्रीनफील्ड कैटगरी में हुआ है। यानि वैसी यूनिवर्सिटी जो जल्द ही अस्तित्व में आएंगी। आपको बता दें कि यूजीसी की एंपावर्ड एक्सपर्ट कमेटी (ईईसी) ने जियो विवि का चयन किया है। इस ईईसी के प्रमुख एन गोपालस्वामी थे। वह पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रह चुके हैं। फिलहाल गोपालस्वामी विवेकानंद एजुकेशनल सोसाइटी के अध्यक्ष हैं।

कौन-कौन हैं कमेटी के सदस्य
इस कमेटी के अन्य सदस्यों के नाम हैं रेणु खटोर (ह्युस्टन यूनिवर्सिटी के चांसलर), तरुण खन्ना (हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट के प्रोफेसर), प्रीतम सिंह (आईआईएम लखनऊ के पूर्व निदेशक)। सभी नामों का चयन एचआरडी मंत्रालय ने किया है।

नियमों के मुताबिक जिनके पास वर्ल्ड क्लास संस्थान बनाने का प्रस्ताव है, वह भी इसमें आवेदन कर सकते हैं। इसी कैटगरी में जियो का चयन किया गया।


चांसलर और वीसी का नाम अभी किसी को नहीं पता 
यूजीसी के नियम कहते हैं कि प्रस्तावक को चांसलर और वीसी का नाम बताना होगा। यहां किसी भी नाम को सार्वजनिक नहीं किया गया है।

आरोप ये भी है कि कमेटी ने नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क के सुझाव पर ध्यान नहीं दिया। इस रैंकिंग के अनुसार आईआईएससी टॉपर संस्थान है, जबकि बिट्स पिलानी को 26वां तथा मणिपाल विवि को 18वां स्थान मिला था।

सरकार देगी 1000 करोड़ की मदद
विशेषज्ञों का मानना है कि एचआरडी मंत्रालय का मूल उद्देश्य यह था कि वे 10 पब्लिक और 10 सार्वजनिक यूनिवर्सिटी का चयन कर सकें। उन्हें प्रशासनिक और अकादमिक स्वतंत्रता दी जाएगी।
इसमें सार्वजनिक संस्थानों को पांच सालों में एक हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। हालांकि, निजी यूनिवर्सिटी को ये ग्रांट नहीं मिलेगा। हां, वे स्पेशल रिसर्च फंड के लिए सरकार से आवेदन कर सकते हैं।

कहा ये भी जा रहा है कि ईईसी ने सिर्फ छह यूनिवर्सिटी को ऐसा पाया है, जो दुनिया की टॉप 500 यूनि. में शामिल होने की योग्यता रखते हैं।

क्या कहते हैं प्रकाश जावड़ेकर
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर कहते हैं कि हमारे यहां 800 विवि हैं। इनमें से एक भी टॉप 100 या टॉप 200 में जगह बनाने लायक नहीं हैं। लेकिन अब इस निर्णय के बाद स्थिति बदलेगी।


नहीं है कोई सोशल अकाउंट
जब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस लिस्ट के बारे में सोशल साइट ट्विटर पर लिखा, तो जियो इंस्टिट्यूट का कहीं भी ट्विटर अकाउंट नहीं मिल पाया। इसलिये उन्हें भी इसका नाम बिना टैग के लगाना पड़ा।


क्या कहा था नीता अंबानी ने 
नीता अंबानी ने मार्च 2018 में कहा था कि रिलायंस फाउंडेशन की योजना वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी बनाने की है। इसमें शिक्षा, खेल और संस्कृति पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

उनके अनुसार यह विवि दुनिया की बेहतरीन यूनिवर्सिटी के साथ कॉलेबोरेट करेगी। इसमें स्किल बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ी इसका पूरा फायदा उठा सके।

उन्होंने कहा कि इस यूनिवर्सिटी से निकलने वाले युवा बेहतरीन नेता, बेहतरीन संगीतकार, प्रसिद्ध वैज्ञानिक और ओलंपियन बन सके, ऐसी उनकी आंकाक्षा है।

विपक्षी दलों का जोरदार हमला
विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अंबानी बंधुओं से करीबी रिश्तों का परिणाम बताया है। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने जियो संस्थान को देश को प्रतिष्ठित संस्थानों की सूची में डालने की तुलना उद्योगपतियों की कर्ज माफी से की।

येचुरी ने ट्वीट कर कहा ‘‘अब तक वजूद में ही नहीं आये विश्वविद्यालय को प्रतिष्ठित संस्थान का तमगा देना कार्पोरेट जगत के तीन लाख करोड़ रुपये के गैरनिष्पादित कर्ज की तरह है जिसे सरकार ने चार साल में उद्योगपतियों से अपनी मित्रता निभाने के एवज में बट्टेखाते में डाल दिया।’’


सपा ने सरकार के इस फैसले को अंबानी बंधुओं से मोदी की नजदीकी का परिणाम बताया। सपा के राज्यसभा सदस्य जावेद अली खान ने कहा ‘‘जियो के मालिक से प्रधानमंत्री के संबध जगजाहिर हैं। जियो के लिये मोदी जी पहले विज्ञापन भी कर चुके हैं। इसलिये इस फैसले से हमें कोई आश्चर्य नहीं है।’’

राजद के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने इस फैसले को मोदी सरकार की गरीब विरोधी मानसिकता का परिणाम बताया।

झा ने ट्वीट कर कहा ‘‘जिस हुकूमत की प्राथमिकता में पहले पायदान पर जियो इंस्टीट्यूट हो, उन्हें आखिरी पायदान पर खड़े वंचित समूह दिखते नहीं। ये है न्यू इंडिया, जिसे बड़ी मशक्कत और कड़ी मेहनत से देश विदेश घूमकर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बनाया है। जय हिंद।’’

भाकपा के सचिव अतुल कुमार अनजान ने इसे मोदी सरकार की जमीनी हकीकत से अनभिज्ञता का सबूत बताया। अनजान ने कहा कि जो संस्थान अभी अस्तित्व में ही नहीं आया है उसे देश के श्रेष्ठतम संस्थानों में शुमार करने से पता चलता है कि मोदी की अपनी सरकार पर कितनी पकड़ है और सरकार जमीनी हकीकत से कितनी वाकिफ है।

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