गुरुवार, 19 जुलाई 2018

मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना में घोटाला

मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के नाम पर जल ग्रहण संग्रहित केंद्र बनवाने के लिए एस्टीमेट में ही घोटाला 
जयपुर । विराटनगर पंचायत समिति के अधीन ग्राम पंचायतों में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के नाम पर जमकर अधिकारियों ने मिलीभगत कर घोटाले को अंजाम दिया है। मौके पर इन कार्यों को देखने से मालूम पड़ता है कि अधिकारी इन कार्यों को चेक करने के लिए भी शायद ही कभी आए हो। पंचायत समिति के तकनीकी अधिकारी एईएन और जेईएन ग्राम विकास अधिकारी ठेकेदार से मिलीभगत कर स्कूलों में हो रहे कार्यों को नजरअंदाज कर जमकर घोटाला किया है। मुख्यमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को अधिकारी ठेकेदारों से मिलकर जमकर लापरवाही बरत कर क्षेत्र में मजाक बना डाला है।

मौके पर अगर इन कार्यों को चेक किया जाए तो दोषी अधिकारियों पर कुछ लगाम लगने की संभावना है। सभी जिम्मेदारों को हमनें मामले से अवगत करवा दिया है, अब देखना यह है कि इस मामले को उच्चाधिकारी कार्रवाई करते हैं या फिर नजरअंदाज कर इस महाघोटाले को अंजाम देते रहने दिया जाएगा।

एस्टीमेट में ही गड़बड़

इन स्कूलों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने के लिए CI पाइप का लेना सवालों के घेरे में आ रहा है। क्योंकि सीआई पाइप बनाने की हिंदुस्तान में सिर्फ गाजियाबाद और बेंगलुरु में ही फैक्ट्रियां हैं। जिसकी लागत भी बहुत ज्यादा होती है। इन अधिकारियों पर आशंका इसलिए नजर आ रही है कि जब इनको पता है कि यह पाइप राजस्थान में ही उपलब्ध नहीं है, तो फिर इन ग्राम पंचायतों में इतने महंगे पाइप कैसे एस्टीमेट में ले लिए। मामला खुलने लगा तो रिवाइज एस्टीमेट बनाने की बात कहते नजर आ रहे हैं, बल्कि इन अधिकारियों ने इन कार्यों को 30 जून को ही पूर्ण होना बता मस्सा एप जिला परिषद को रिपोर्ट दे चुके हैं।

एस्टीमेट सीआई पाइप का लगा दिए प्लास्टिक पाइप

ग्राम पंचायत छापुड़ा खुर्द, गोविन्दपुरा, धाबाई, रामपुरा, जाजैकला, राजस्व गांव नीझर, छापुडा कला के सरकारी स्कूलों और अटल सेवा केंद्रों पर मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के नाम पर जल ग्रहण संग्रहित केंद्र बनवाने के लिए एस्टीमेट में ही घोटाला करने का प्रारूप तैयार कर डाला। एस्टीमेट बनाने वाले पंचायत समिति के जेईएन राजेंद्र प्रसाद कुमावत के कहने के अनुसार कि “मैंने उच्चाधिकारी तत्कालीन एईएन रणवीर चौधरी के कहने पर ही सीआई पाइप को एस्टीमेट में लिया था, जब यह पाइप नहीं मिले तो निम्न क्वालिटी के प्लास्टिक पाइप लगाए गए हैं। इन्हीं के आधार पर कार्य को पूर्ण कर कार्य की जियो टैगिंग 30 जून को ही जिला परिषद को हमने भेज दी थी।”

मामले का खुलासा होने पर कुमावत ने कहा की इन कार्यों का रिवाइज एस्टीमेट अब बनाएंगे।
मजे की बात तो यह है कि इन अधिकारियों ने उच्च अधिकारियों को गुमराह करने के लिए बिना एस्टीमेट के ही कार्य को पूर्ण रिपोर्ट पेश कर दी। जबकि मौके पर आज भी कई जगहों पर कार्य भी शुरू नहीं किया है, जहां कार्य किया है वह टूट कर ढह चुके हैं।

खंडहर स्कूलों में भी कर डाला काम

ग्राम पंचायत जाजैकला की स्कूल जो 2014 के अंदर ही मर्ज होकर अन्यत्र स्कूल में स्थापित हो चुकी थी, जो आज खंडर हालत में पड़ी है, उस बिल्डिंग में जल संग्रहण केंद्र स्वीकृत किया गया है। जो बिल्डिंग खुद ही जर्जर हालत में है उस जगह पर केंद्र बनाने का कार्य भी शंका के घेरे में आ रहा है। यह केंद्र भी पहली बरसात में टूट कर गिर चुका है। जिस स्कूल को वर्तमान में चालू है, और वास्तव में जल संग्रहण की आवश्यकता है, वह स्कूल आज भी इस योजना से कोसों दूर है।

बनने थे छत की नाप के अनुसार, बना दिए मनमर्जी से

सभी स्कूलों और अटल सेवा केंद्रों पर देखने से मालूम पड़ा कि सभी केंद्रों पर जल संग्रहण केंद्र होद समान बनाया हुआ है, बल्कि ये होद छत के क्षेत्रफल के अनुसार जल संग्रहण केंद्र बनाना आवश्यक था। कई जगह पर तो 5 × 6 का ही, और कई जगह पर तो अभी तक बनाया ही नहीं है। बल्कि कागजों में ये कार्य पूर्ण हो चुके हैं।

एक दूसरे पर डाला मामला

मेरे आने से पहले ही एस्टीमेट बना दिया गया था, एस्टीमेट के अनुसार काम हुआ या नहीं हुआ, यह मुझे जानकारी नहीं है। मैंने जेईएन राजेन्द्र कुमावत के ऊपर विश्वास करके कंप्लीट की रिपोर्ट दे दी। यह मेरी गलती है कि मैंने एक बार भी मौके पर जाकर चेक नहीं किया।


-हेमचन्द यादव, एईएन पंस.विराटनगर

जिम्मेदार का गैर जिम्मेदाराना जवाब

इन कार्यों को एस्टीमेट मैं नहीं बनाया था, जो तत्कालीन एईएन रणवीर चौधरी के कहने पर बनाया था। इन कार्यों को मस्से पर हमने कंप्लीट रिपोर्ट पेश कर दी गई है। कहीं कोई गड़बड़ नहीं है, पाइप नहीं मिलने पर हमने यह प्लास्टिक के पाइप लगाए हैं, जिनका रिवाइज एस्टीमेट हम अब बनाएंगे।

-राजेंद्र प्रसाद कुमावत, जेईएन पंचायत समिति विराटनगर

रटे रटाये डायलॉग

मामला जानकारी में आए हैं, इसकी जांच करवाई जाएगी। इन कार्यों की कार्यकारी एजेंसी ग्राम पंचायतें हैं। इन अधिकारियों ने इन कार्यों में लापरवाही बरती है तो परिणाम भी भुगतने पड़ेंगे। मैं खुद भी जाकर इन कार्यों को चेक करूंगी।

-सुमन चौधरी, विकास अधिकारी, पंचायत समिति विराटनगर

इनका कहना है-

मैं आज भी क्षेत्र के दौरे पर था। मुझे भी जानकारी में नहीं आया। आपने जानकारी दी है, मैं इसको जल्दी चेक करवाता हूं।

-आलोक रंजन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद जयपुर

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