जयपुर । विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़े राजस्थान को फतह करने के लिए कांग्रेस भले ही असरदार रणनीति बना चुकी हो, लेकिन, उसके चुनावी राह में अपने ही कांटे बिखेरने पर तुले हैं। ये कोई और नहीं हैं, टिकट के दावेदार हैं। हर विधानसभा क्षेत्र से टिकट की आस लगाए कांग्रेस कार्यालय से लेकर आला नेताओं की दहलीज तक पहुंचने वाले दावेदारों की संख्या को देख अब पार्टी पदाधिकारी भी सकते में आ गए हैं। प्रदेश में आज बनते हालात को देख चिंतित पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने सभी को 1993 के सीन को याद करने की सीख दी है।
उन्होंने कहा है कि 1993 में आज से काफी बढ़िया स्थिति में कांग्रेस थी। इतनी बढ़ियां स्थिति मध्यप्रदेश की भी नहीं थी। गहलोत ने कहा कि उस समय हर कोई यही कहता था कि कांग्रेस की सरकार बनना निश्चित है। लेकिन, टिकट वितरण के बाद चुनाव में खड़े हुए बागियों के चलते कांग्रेस उस चुनाव को हार गई थी। गहलोत ने कहा कि उस चुनाव में भाजपा के भैरोसिंह शेखावत ने सरकार बनाई थी।
गहलोत ने कहा कि राजस्थान जीतेंगे तो दिल्ली मजबूत होगा। गौरतलब है कि प्रदेश में इस बार कांग्रेस के सामने टिकट के दावेदारों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालात यह है कि हर विधानसभा क्षेत्र से टिकट के लिए 5-5 उम्मीदवार सामने आ रहे हैं। ये उम्मीदवार समय-समय पर अपना शक्ति प्रदर्शन करते हुए अपनी स्थिति को और मजबूत करने में लगे रहते हैं। प्रदेश में पार्टी के स्तर पर निकाली गई 'मेरा बूथ मेरा गौरव' कार्यक्रम के दौरान राज्य के करीब 1 दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में टिकटार्थियों के बीच विवाद की स्थिति रही है। ये कार्यक्रम टिकटार्थियों के लिए अखाड़ा बनता नजर आया।


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