मंगलवार, 31 जुलाई 2018

घनश्याम तिवाड़ी ने चुनाव के लिए कसी कमर, भारत वाहिनी ने घोषित किए 7 विधानसभा क्षेत्रों के अध्यक्ष

राज्य में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है। पार्टी की ओर से जयपुर के सात विधानसभा क्षेत्रों के अध्यक्ष की घोषणा करते हुए जमीनी स्तर पार्टी को मजबूत करना शुरू कर दिया है।

जयपुर । प्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारत वाहिनी पार्टी ने अपने पदाधिकारियों की नियुक्ति शुरू कर दी है।  जयपुर शहर में हुई बैठक में शहर अध्यक्ष विमल अग्रवाल ने जयपुर की आठ में से सात विधानसभा क्षेत्रों के अध्यक्षों की घोषणा की।


भाजपा से अलग होने के बार भारत वाहिनी पार्टी का नेतृत्व कर रहे दिग्गज नेता घनश्याम तिवाड़ी ने नवनियुक्त अध्यक्षों को पार्टी की रीति-नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने की बात कही। पार्टी की तरफ से हवामहल विधानसभा क्षेत्र से नीतेश शर्मा, किशनपोल से मनोज गोयल, मालवीय नगर से राजेश शर्मा, सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से राजेश अजमेरा को अध्यक्ष घोषित किया गया है।



वहीं, विद्याधर नगर से आनंद सिंह राठौड़, बगरू से रामगोपाल शर्मा तथा झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से मनोज शर्मा को अध्यक्ष घोषित किया गया है। गौरतलब है कि भाजपा से अलग होने के बाद भारत वाहिनी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी चुनाव को देखते हुए पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं। वहीं, आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी तैयारियां जारी हैं। 

राजस्थान भाजपा की राजस्थान गौरव यात्रा 4 अगस्त से उदयपुर संभाग से शुरू होगी

राजस्थान गौरव यात्रा में 134 आमसभाएं होगी, 371 स्थानों पर होगा स्वागत




जयपुर । राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश भाजपा बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक की रचना पूर्ण करके चुनाव के लिए पूरी तैयारी कर चुकी है। इसी कड़ी में पिछले साढ़े चार साल में किए गए कार्यों से राजस्थान प्रदेश का गौरव जो बढ़ा उसे बताने के लिए प्रदेश भाजपा आगामी 4 अगस्त से राजस्थान गौरव यात्रा निकाल रही है।
इस यात्रा को लेकर प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी, यात्रा के संयोजक गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, सह संयोजक अशोक परनामी, जन अभाव अभियोग निराकरण समिति के अध्यक्ष श्रीकृष्ण पाटीदार, खाद्य मंत्री बाबूलाल वर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

यात्रा संयोजक गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने बताया कि राजस्थान भाजपा की राजस्थान गौरव यात्रा 4 अगस्त से उदयपुर संभाग से शुरू होगी। चारभुजा में पूजा-अर्चना के बाद यात्रा का शुभारंभ होगा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और सीएम वसुंधरा राजे यहां जेके स्टेडियम में पहली आम सभा को संबोधित करेंगे। कटारिया ने बताया कि उदयपुर संभाग में 4 से 10 अगस्त तक यात्रा रहेगी और 23 विधानसभा क्षेत्रों में जायेगी।
इसके बाद भरतपुर संभाग में 16 और 17 अगस्त और 19 और 20 अगस्त को यात्रा कुल 17 विधानसभा क्षेत्रों में जायेगी।

  जोधपुर संभाग में 23 से 29 अगस्त तक यात्रा रहेगी और 32 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी। बीकानेर संभाग में 2 से 7 सितंबर तक यात्रा रहेगी और 23 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी। कोटा संभाग में 10 से 13 सितंबर तक राजस्थान गौरव यात्रा जायेगी और 16 विधानसभा में भ्रमण करेगी।

 जयपुर संभाग में 16 से 20 सितंबर तक यात्रा रहेगी और 27 विधानसभा क्षेत्र में यह यात्रा जायेगी।  23 और 24 सितंबर और 26 से 30 सितंबर तक यात्रा अजमेर संभाग रहेगी और 27 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी। यहां पर यात्रा का समापन होगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समापन समारोह में शिरकत करेंगे।

 राजस्थान गौरव यात्रा कुल 6 हजार 54 किलोमीटर की होगी। इस दौरान 134 आमसभाएं आयोजित होगी और 371 स्थानों पर जगह-जगह स्वागत होगा।

कटारिया ने  बताया कि यह पूरी तरह से प्रदेश भाजपा की यात्रा है और राजस्थान सरकार की यात्रा नहीं है, इस यात्रा का पूरा खर्चा प्रदेश भाजपा ही उठा रही है।  प्रदेश से भी सांसद और भाजपा विधायक राजस्थान गौरव यात्रा को सफल बनाने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार करेंगे।

सोमवार, 30 जुलाई 2018

रवि जैन ने ग्रहण किया आयुक्त सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का पदभार

जयपुर, 30 जुलाई। भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी श्री रवि जैन ने सोमवार को यहां आयुक्त सूचना एवं जनसंपर्क एवं पदेन विशिष्ट शासन सचिव सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का पदभार ग्रहण कर लिया है। जैन को सूचना एवं जनसंपर्क आयुक्त डॉ. राजेश शर्मा ने पदभार सौंपा।
  इस अवसर पर अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन)  कैलाशचन्द यादव, अतिरिक्त निदेशक(सुजस)  प्रेमप्रकाश त्रिपाठी, संयुक्त निदेशक  श्रीमती  अलका  सक्सेना,  संयुक्त  निदेशक    अरूण  जोशी,  उप  निदेशक  शिवचन्द मीना सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।

बीजेपी मुख्यालय के सामने गाड़ी में लगी आग, मची अफरा-तफरी

जयपुर। बीजेपी मुख्यालय के बाहर अचानक एक पीकअप गाड़ी में आग लग गई। देखते- देखते गाड़ी आग का गोला बन गई। अचानक आग लगने से इलाके में अफरा-तफरी मच गई। वहीं गाड़ी में रखा घर का सामान जलकर खाक हो गया।

दरअसल यह गाड़ी एक मकान से दूसरे मकान के लिए सामान शिफ्ट करने के लिए जा रही थी। तभी अचानक गाड़ी के आगे वाले हिस्से से धुआं निकलने लगा। लोग कुछ समझ पाते इससे पहले ही आग ने विकराल रूप ले लिया और पूरी गाड़ी आग का गोला बन गई।

हालांकि गनीमत यह रही कि पीकअप चालक गाड़ी से कूद गया और अपनी जान बचाने में कामयाब रहा। सूचना पर अग्निशमन विभाग की दमकल मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया। लेकिन गाड़ी में रखा घरेलू सामान जलकर खाक हो गया। बताया जा रहा है कि गाड़ी के बैटरी में फाल्ट होने से यह आग लगी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास कुछ करके दिखाने के लिए दस महीने ही बचे हैं

2014 में उन्होंने देशवासियों से बारम्बार कहा था कि उन्होंने कांग्रेस को 60 साल दे दिए, अब हमें केवल 60 महीने दे दें. अब यह क्यों नहीं समझते कि उन्होंने उन 60 महीनों में से 50 सिर्फ हवा बनाने व बांधने  में गंवा दिये हैं और अब उनके पास कुछ करके दिखाने के लिए दस महीने ही बचे हैं. ये दस भी हवाबाजी में निकाल दिये तो किस मुंह से साठ और महीने मांगने जायेंगे?
‘चतुर’ प्रधानमंत्री ने चुनाव के लिए निर्धारित समय से पहले ही ख़ुद को अपनी पार्टी के प्रचारक में बदल लिया है. सरकारी तंत्र व समर्थक मीडिया की जुगलबंदी के ज़रिये जनता को यह यकीन करने पर मजबूर किया जा रहा है कि उनकी सरकार खूब काम कर रही है.


चार साल पहले 26 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रायः सारे पड़ोसी देशों के शीर्ष नेताओं की उपस्थिति में सम्पन्न भव्य शपथ ग्रहण समारोह में देश की बागडोर संभाली तो उम्मीदों का जो सैलाब उमड़ा हुआ था, उसमें इस आशंका के लिए कतई कोई जगह नहीं दिखती थी कि अगले चुनाव वर्ष से पहले ही यह सैलाब नाउम्मीदी के सूखे में बदलने लग जायेगा.

यह ठीक वैसी ही बात है जैसे उनकी सरकार के कार्यकाल के लिहाज से देखें तो अगले लोकसभा चुनाव की औपचारिक घोषणा में अभी काफी देर है, लेकिन उनकी ताजा सक्रियताओं से कहीं से भी ऐसा नहीं लगता.

सरकार के स्तर पर देखा जाये या सरकार चलाने वाली भारतीय जनता पार्टी के स्तर पर, खम ठोंकने की उनकी अहर्निश तैयारियों से साफ प्रतीत होता है कि हम लोकसभा चुनाव के मुहाने पर आ खड़े हुए हैं.

बीच-बीच में ऐसी खबरें भी आती ही रहती है कि प्रधानमंत्री समय पूर्व आम चुनावों के पक्ष में हैं और उसके अनुकूल माहौल की सृष्टि के लिए पिछले कुछ महीनों से वे कभी नमो ऐप के जरिये तो कभी उद्घाटन या शिलान्यास सभाओं को चुनाव रैलियों में बदलकर विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से रूबरू हो रहे हैं.

अलबत्ता, वे सिर्फ उन्हीं लाभार्थियों जो घास डाल रहे हैं, जो उनके विकास न सही, ‘प्रचारकार्य’ में सहयोग कर सकें. पिछले दिनों राजस्थान गये तो एक सोची-समझी रणनीति के तहत राजस्थान की अपनी पार्टी की वसुंधरा राजे सरकार से समन्वय बरतकर उन्होंने उन दूसरी तरह के लाभार्थियों से दूरी बनाये रखी, जो किन्हीं योजनाओं को लेकर सवाल उठा सकते या उनके खराब क्रियान्वयन की शिकायतें कर सकते थे.

अब यह एक ‘परंपरा’ सी हो गयी है- चूंकि शिकायतें कर सकने वाले लाभार्थी पहले ही दूर कर दिये गये होते हैं, इसलिए सरकार से समर्थित व सरकार का समर्थक मीडिया प्रधानमंत्री के ऐसे कार्यक्रमों की रिपोर्टिंग में यही दिखाता है कि कैसे किसी किसान की आमदनी दोगुनी हो गई, किसी नये उद्यमी को अपना कारोबार खड़ा करने में मदद मिली या कैसे महज शौचालय बनने भर से किसी गांव की तस्वीर बदल गई.

दूसरी ओर अगर इन योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित लाखों-करोड़ों लोगों का अनुभव इसके विपरीत है और वे बार-बार ऐसे वाकयों से गुजरने को अभिशप्त हुए हैं, जिनमें सरकारी तंत्र की काहिली और भ्रष्टाचार के कारण उनकी तकलीफें बढ़ी हैं, तो इस मीडिया की बला से.

वह और उसकी पोषक सरकार ऐसे अनुभवों को लोगों के सामने नहीं आने देने को दृढ़प्रतिज्ञ हैं और उनका सारा जोर किसी को भी यह पता न चलने देने पर है कि जनता से लिये जा रहे टैक्स की भारी-भरकम रकम उसके वास्तविक कल्याण में खर्च हो रही है या सरकार द्वारा उसके झूठे प्रचार में?

कई प्रेक्षक अकारण नहीं कह रहे कि ‘चतुर’ प्रधानमंत्री ने चुनाव के लिए निर्धारित समय से पहले ही खुद को अपनी पार्टी के प्रचारक में बदल लिया है और सरकारी तंत्र व समर्थक मीडिया की जुगलबंदी से अंधाधुंध प्रचार के जरिए जनता को यह यकीन करने पर मजबूर कर रहे हैं कि उनकी सरकार खूब काम कर रही है.

जयपुर में अपवनी प्रचार सभा में उन्होंने दावा किया कि उनके राज में सरकारी योजनाएं न लटकती हैं, न भटकती हैं. वे सिर्फ कागजों पर नहीं रहतीं और आम जनता को उनका लाभ पहुंचता है, जबकि पहले की सरकारों में नेताओं के नाम पर सिर्फ पत्थर लगाने का काम होता था.

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में भी उन्होंने यही बात दोहराई. विडंबना यह कि जब वे सस्ती वाहवाही लूटने के लिए ऐसा कहते हैं तो यह भी याद नहीं रख पाते कि इसे लेकर उनका जनता पर एहसान जताना कितना बेमतलब है.

आखिरकार जनता ने 2014 में उन्हें देश की कमान इसी अपेक्षा से तो सौंपी थी कि वे उसके हित में जो कुछ भी कर सकते हैं, करें. यानी अपना कर्तव्य ठीक से निभायें. निभायेंगे तो स्वाभाविक ही वह खुश होकर 2019 में उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बना देगी. वरना कोई भी सरकारी तामझाम काम नहीं आयेगा.

तुर्रा यह कि एक तो वे यह बात याद नहीं रखते और दूसरे ज्यादा हाथ-पैर हिलाये यानी काम किये बिना महज काम का ढिंढोरा पीटकर काम चलाना चाहते हैं. अब इसकी गवाही और तो और उनकी सरकार के आंकड़े तक देने लगे हैं.

इसे यूं समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री अक्सर अपने भाषणों में ‘न्यू इंडिया’ बनाने की बात कहते हैं और इसके लिए उन्होंने कई योजनाएं भी चला रखी हैं. जैसे- स्वच्छ भारत मिशन, अमृत मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्मार्ट सिटी और जानें क्या-क्या.

स्वच्छ भारत मिशन को तो उन्होंने सीधे गांधी जी से ही जोड़ दिया है, उसके पोस्टर-बैनर में गांधी जी का चश्मा बनाकर. जब भी वे हाथों में झाड़ू थामते हैं, उनके सारे मंत्री-संतरी, नेता, अधिकारी व समर्थक अपने हाथों में झाड़ू लिए तस्वीरें खिंचवाने लगते हैं.



पिछले दिनों उनकी तस्वीरें खींचने वाले कई कैमरों ने साफ-सुथरी जगहों पर कचरा डालकर उसे साफ करने की उनकी नौटंकी भी दिखाई. इस चक्कर में स्वच्छ भारत भी वैसे ही एक जुमला बन कर रह गया जैसे काले धन को वापस लाकर हर देशवासी के खाते में पंद्रह लाख रुपये जमा करने का वादा.

इस बीच जो वास्तव में सफाई करते थे, उन्हें न सिर्फ तस्वीरों से बल्कि स्वच्छता के समूचे परिदृश्य से ही बाहर कर दिया गया, इसलिए स्वच्छता के नाम पर जनता से टैक्स वसूलने के बावजूद देश गंदा का गंदा ही बना रहा.

कमोबेश यही हश्र अन्य सरकारी योजनाओं का भी है. हाल ही में ऐसे कई खुलासे हुए हैं कि प्रधानमंत्री की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं पर भारी-भरकम बजट आवंटन के बावजूद काम नहीं हुआ.

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मार्ट सिटी, अमृत, हृदय, स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की योजनाओं के शुरू होने से लेकर अब तक कुल 36,194.39 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई, लेकिन इनमें से खर्च हुआ सिर्फ 7850.71 करोड़ रुपये.

देश के सौ शहरों को स्मार्ट बनाने की जिस स्मार्ट सिटी परियोजना को इस सरकार ने आकाश-कुसुम की तरह प्रचारित कर वाहवाही लूटी थी, संसद की स्टैंडिंग कमेटी के मुताबिक उसके क्रियान्वयन की गति इतनी धीमी है कि अभी तक उसके लिए निर्धारित बजट का सिर्फ सात प्रतिशत ही इस्तेमाल हुआ है.

जहां कमेटी इस बात को लेकर परेशान है कि यह परियोजना सिर्फ ड्राइंग बोर्ड में छिपकर रह गयी है, वहीं सरकार को, यह सफाई देते हुए भी कि कमेटी ने यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट के पुराने आंकड़ों को आधार मान लिया है, मानना पड़ा है कि केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल न होने से परियोजना पर काम को आगे बढ़ाने में दिक्कत हो रही है.

सरकार की सफाई स्वीकार लें तो भी परियोजना की कोई उत्साहजनक तस्वीर सामने नहीं आती. उसके अनुसार जनवरी, 2016 से शुरू इस परियोजना पर अभी तक तीस हजार करोड़ यानी 37 प्रतिशत धनराशि खर्च हो चुकी है.

साल के अंत तक जैसा कि सरकार का दावा है, 20 हजार करोड़ रुपये और खर्च हो जाएं तो भी अपने इस कार्यकाल में देश को पहला स्मार्ट सिटी नहीं दे सकती क्योंकि उसमें अभी देर है.

इसी तरह 500 शहरों में जलापूर्ति और सीवरेज व्यवस्था के लिए अमृत योजना के तहत 12,447 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई, लेकिन खर्च महज 29 फीसदी हुआ है.

स्वच्छ भारत मिशन के लिए भी जितना धन दिया गया, उसमें से सिर्फ 38 फीसदी का ही इस्तेमाल हुआ है, जबकि आवास योजना में 20 फीसदी का ही. पाठकों की जानकारी के लिए, बजट आवंटन के बावजूद खर्च न होने का सीधा मतलब यह है कि इन योजनाओं में काम हुआ ही नहीं.

ऐसे में प्रधानमंत्री और उनकी सरकार से यह सवाल क्यों नहीं पूछा जाना चाहिए कि वे अपनी जिन उपलब्धियों का ढोल बजाते रहते हैं, क्या वे वास्तव में उपलब्धियां हैं?

अगर नहीं तो उनके द्वारा अपने काम का ढर्रा सुधारने में रुचि लेने के बजाय पुरानी सरकारों को कोसते रहने का हासिल क्या है? क्यों चार साल बीतने के बावजूद उनका यह विलाप कम नहीं हुआ कि कांग्रेस की सरकारों ने इस देश में कुछ नहीं किया?


जयपुर महापौर अशोक लाहोटी लगे है भारतीय जनता पार्टी की लुटिया डुबाने में

हाल ही में राजस्थान प्रवास पर आये भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था ​कि भाजपा के पदाधिकारीगण जनता के लिये काम करें, टिकिट मिलने की उनको गारंटी नहीं हैं, भाजपा के पदाधिकारीगण भ्री इसी बात को दोहराते आ रहे हैं, इन बातों से जयपुर शहर के महापौर को स्पष्ट हो गया कि उन्हें टिकिट नहीं मिलेगी, इसी कारण  अशोक लाहोटी भारतीय जनता पार्टी की लुटिया डुबाने में लगे हुए है और आम जनता पर आर्थिक बोझ डालकर पार्टी पर से भरोसा उठाने में लग गयें।

राजेन्द्र सिंह गहलोत, स्वतन्त्र पत्रकार 

जयपुर । महापौर अशोक लाहोटी ने तुगलकी फरमान जारी किया है कि चारदीवारी निवासियों से गलियों में कचरा नहीं डालने का शपथपत्र भरवाया जाये, इसके बाद कचरा डालने पर 1 से 5 हजार तक जुर्माना वसूला जाये, कोई जुर्माना नहीं दे तो उसके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया जाये। एक समाचार प़त्र ने खबर छापी कि कंपनी पर कार्यवाही नहीं, अनुबंधित कंपनी बीवीजी को सफाई करनी थी, लेकिन अभी तक 35 फीसदी काम भी नहीं हुआ है, इसके बावजूद जिम्मेदारों पर कार्यवाही नहीं की गई। एक अन्य  समाचार प़त्र में खबर छपी कि लोगों ने जताई आपत्ति, लोगों ने जनता से जुर्माना वसूलने के निर्देश का विरोध किया और कहा कि बिजली के बिल में सफाई के पैसे दे रहे है फिर जुर्माना किस बात का।

चारदीवारी के तीन लाख वोटों ने तो यहाँ तक कहा कि लगता है महापौर अशोक लाहोटी ने बी.जे.पी.को आगामी चुनावों में हराने की किसी पार्टी से गोपनीय अनुबंध कर लिया है क्योकि राजस्थान का इतिहास रहा है एक बार बी.जे.पी., एक बार कांग्रेस, भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख़्यमंत्री वसुंधरा राजे राजस्थान में पार्टी की सरकार फिर से बनाने के लिए प्रयासरत हो, लेकिन महापौर अशोक लाहोटी को यकीं नहीं है कि फिर सरकार बनेगी, और इन्होने बी.जे.पी.को आगामी चुनावों में हराने की किसी पार्टी से गोपनीय अनुबंध कर लिया है और जनता को, चारदीवारी के तीन लाख वोटों को बी.जे.पी.के विरोध में करने के लिए इस तरह का तुगलकी फरमान जारी कर दिया है, इसका परिणाम बी.जे.पी.को आगामी चुनावों में भोगना पड़ेगा। चारदीवारी की जनता बी.जे.पी.के पक्ष में है, लेकिन लगता है महापौर अशोक लाहोटी अंदरूनी तौर पर बी.जे.पी के विरुद्ध है, बजाय जनता से शपथपत्र लेने के मुख़्यमंत्री वसुंधरा राजे को महापौर अशोक लाहोटी से शपथपत्र भरवाना चाहिये कि आप अपने कर्त्तव्यपालन में असफल रहे है, इसलिए आप स्वयं बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से महापौर के पद से पार्टी के हित में त्यागपत्र दे रहे है। 

रविवार, 29 जुलाई 2018

हम कांग्रेस और भाजपा की तरह चुनाव नहीं लड़ रहे है

आप का घोषणा पत्र - बच्चे-बच्चे को पता हो, इस बात का ख्याल रखा जा रहा है



जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी अपना घोषणा पत्र 30 अगस्त तक जारी कर देगी। यह घोषणा पत्र दिल्ली सरकार की तर्ज पर मुद्दों पर आधारित होगा।

यह जानकारी आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली सरकार में विधायक सौरभ भारद्वाज तथा अलका लांबा ने शनिवार को जयपुर के पिंकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में दी। राष्ट्रीय प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र 30 अगस्त तक जारी कर दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि यह घोषणा पत्र पारंपरिक चुनावी घोषणा पत्र की तरह नहीं होगा। इसे एयर कंडीशन कमरे में बैठकर या फिर पांच साल पुराने घोषणा पत्र में कट—पेस्ट कर नहीं तैयार किया जा रहा। यह घोषणा पत्र मुद्दों पर आधारित होगा। दिल्ली की तर्ज पर इन मुद्दों के लिए जनता से सीधा संवाद किया जा रहा है। उनके सुझावों पर एक्सपर्ट की टीम उनके समाधान के लिए सुझाव देगी और फिर इन्हें जनता के सामने रखा जाएगा।



विधायक भारद्धाज ने बताया कि राजस्थान में 22 सेक्टर को आधार बनाकर ये घोषणा पत्र तैयार हो रहा है। इसमें किसान, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार आदि सभी मुद्दों को फोकस किया जा रहा है। यह घोषणा पत्र 70 प्वाइंट का होगा और 30 अगस्त तक इसे जारी कर दिया जाएगा। दिल्ली की तरह घोषणा पत्र की बातें बच्चे—बच्चे को पता हो, इस बात का ख्याल रखा जा रहा है।

इस अवसर पर विधायक अलका लांबा ने कहा कि आम आदमी पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र दिल्ली से तैयार होकर नहीं आएगा, यह आम आदमी के मन में क्या है?, उस पर आधारित होगा। लांबा ने कहा कि हम कांग्रेस और भाजपा की तरह चुनाव नहीं लड़ रहे है। भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष पद को लेकर हुए ड्रामे और कांग्रेस में सीएम की दावेदारी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही रस्साकशी के बारे में सभी जानते है। आप केवल जनता के मुद्दों को लेकर जनता के बीच वोट मांगने जाएगी।

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए अब राष्ट्रीय लोकदल ने भी ठोंकी ताल

 अजमायेगा राजस्थान के विधानसभा चुनावों अपनी किश्मत
जयपुर । राजस्थान में विधानसभा चुनावों को देखते हुए राष्ट्रीय लोकदल ने भी हुंकार भर दी है और ठीक चुनाव से पहले शेखावाटी से आने वाले लोकदल के नेता विद्याधर ओलखा को राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी गई है।

 वही पूर्व प्रदेशाध्यक्ष को महेेन्द्र चौधरी को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी गई है राष्ट्रीय लोकदल की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा कि प्रदेश में चुनाव को देखते हुए संगठन को मजूबत करने का काम किया जा रहा है और प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल आगामी चुनाव लडेगी।

 किसानों के हितों के लिए राष्ट्रीय लोकदल एक प्रदेशस्तरीय किसान सम्मेलन 23 अगस्त को सीकर के श्रीमाधोपुर में करेगा जो एक शुरूआत होगी। राजस्थान में सबसे ज्यादा अहित जो किया है वो वसुंधरा राजे सरकार ने किया है किसान को बर्बाद कर दिया फसल के दाम नहीं मिले रोजगार नहीं मिल रहा जिसको लेकर राष्ट्रीय लोकदल वसुंधरा राजे सरकार को गद्दी छोडने को लेकर किसान सम्मेलन से शुरूआत करेगा बैठक में बडी संख्या में लोकदल के कार्यकर्ता और प्रदेश पदाधिकारी मौजूद रहे

शनिवार, 28 जुलाई 2018

मंत्री ने एक-एक अधिकारी से की बात, पूछा समस्याओं का समाधान

जयपुर। जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री सुरेंद्र गोयल ने जिलों के अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं एवं अन्य अधिकारियों से जल परियोजनाओं के कार्यों की प्रगति तथा जलापूर्ति व्यवस्था के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं को समय से पूरा करना विभाग की जिम्मेदारी है, ताकि पीने के पानी की समस्याओं का शीघ्र समाधान हो सके।

गोयल शनिवार को सचिवालय में जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी (जलदाय) विभाग की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने जिला स्तर पर आने वाली पेयजल की समस्याओं पर एक-एक अधिकारी से बात की और उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। उन्होंने अधिकारियों को पेयजल योजनाओं की नियमित मॉनीटरिंग करने और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आमजन को उपलब्धता के अनुसार पूरा पानी मिले, इसके लिए सभी अभियंता स्वयं व्यवस्था देखें।

जलदाय मंत्री ने गर्मी के मौसम में पेयजल की आपूर्ति के लिए किए गए प्रबंधन के लिए अभियंताओं की प्रशंसा भी की। उन्होंने अभियंताओं से मानसून के दौरान विभिन्न बांधों में जल की आवक तथा वर्तमान स्तर के बारे में भी जानकारी ली। बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा की गई बजट घोषणाओं की क्रियान्विति की स्थिति की भी समीक्षा की गई।

   बैठक में विभाग के प्रमुख शासन सचिव रजत कुमार मिश्र, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

खुद गुण चोर है घनश्याम तिवाड़ी - मुकेश पारीक

जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मुकेश पारीक ने घनश्याम तिवाड़ी द्वारा गौरव यात्रा का नाम चुराने के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि तिवाड़ी भूल रहे है कि भाजपा ने ही उनको यहां तक पहुंचाया है। नाम चोर का आरोप लगाने वाले खुद गुण चोर है, जिस पार्टी ने विधायक, मंत्री बनाया उस पार्टी पर नाम चुराने का आरोप उनकी बौखलाहट का परिचायक है।
पारीक ने बताया कि साढ़े चार साल में प्रदेश की सरकार ने राजस्थान में विकास के नये आयाम स्थापित किये है। भामाशाह जैसी योजनाओं से प्रदेश में महिलाओं का मान बढ़ा है, गरीबों को राहत मिली है, राजस्थान का गौरव बढ़ा है।

प्रदेश भाजपाकी राजस्थान गौरव यात्रा सांसदों करेंगे अपने संसदीय क्षेत्र के विधानक्षेत्रों में प्रवास

जयपुर । प्रदेश भाजपा की 4 अगस्त से शुरू होने जा रही राजस्थान गौरव यात्रा को लेकर प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर लोकसभा सांसदों और राज्यसभा सांसदों की बैठक आयोजित हुई।
इस बैठक के बाद प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने बताया कि बैठक में मौजूद सांसदों को राजस्थान गौरव यात्रा को लेकर जिम्मेदारी दी गई है।
उन्होंने बताया कि सांसदों को अपने-अपने संसदीय क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्र में कम के कम एक दिन का प्रवास करना होगा। उन्होंने कहा कि सभी सांसद सक्रिय रूप से एक कार्यकर्ता की तरह अपनी भागीदारी निभायेंगे। सैनी ने इस मौके पर प्रचार सामग्री का भी विमोचन किया।

भाजपा के राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री वी. सतीश ने कहा कि जनहित को सर्वोपरि मानकर काम कर रही भारतीय जनता पार्टी सरकार की रीतियों एवं नीतियों से समाज के अन्तिम छोर पर बैठे व्यक्ति को भी अवगत कराना हम सभी का दायित्व है।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) चन्द्रशेखर ने कहा कि केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार आम जनता के विकास के लिए अनवरत कार्य कर रही है। आज राजस्थान प्रदेश सरकार की विभिन्न जनहितकारी योजनाओं को पूरे देश में एक अभूतपूर्व मिसाल के रूप में सराहा जा रहा है।

चन्द्रशेखर ने सभी सांसदों को निर्देश देते हुए कहा कि सभी सांसद अपने क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा में वहां के निवासियों को उपयात्रा के माध्यम से विकास की इस निरंतर चल रही प्रक्रिया से जोड़ेंगे और मुख्यमंत्री की ‘राजस्थान गौरव यात्रा’ द्वारा आमजनता को राजस्थान सरकार के जनहितकारी कार्यों से अवगत कराएंगे तथा राजस्थान के गौरव को बरकरार रखने के लिए जनता से एक बार पुनः भाजपा की सरकार बनाने का आव्हान करेंगे।

    राजस्थान गौरव यात्रा का कार्यक्रम तय हो चुका है और 4 अगस्त को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इस यात्रा का शुभारंभ करेंगे। यह यात्रा 40 दिन तक सभी संभागों को कवर करेगी। साथ ही इस यात्रा का समापन अजमेर संभाग में होगा और यात्रा के समापन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी मौजूद रहेंगे। वहीं इस यात्रा को सफल बनाने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है

घोटाले कांग्रेस की पहचान बने थे, भाजपा मॉब लिंचिंग के लिए जानी जाएगी

अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन वह शहरी मध्यवर्ग, जो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सड़कों पर उतर आया था, वह इस हिंसा पर उदासीन बना हुआ है.


नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से इन चार सालों में लिंचिंग इस सरकार की एक खास पहचान बन गयी  है. जिस तरह से मनमोहन सिंह की यूपीए-2 की सरकार के साथ ‘घोटाला’ शब्द चिपक गया था, लिंचिग बीते कुछ सालों की ‘खास विशेषता’की तरह उभरा है.

इस लिंचिंग में केवल यहां-वहां भड़की भीड़ की हिंसा नहीं है जो अचानक से हुई और फिर फौरन छंट गई बल्कि लिंचिंग की ये वारदातें देश के विबिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर हो रही हैं और राज्य सरकारें या तो इन मामलों में मूकदर्शक बनी हुई हैं या कभी-कभी लिंचिंग करने वाली भीड़ के साथ खड़ी दिखाई देती हैं.

भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भक्त निसंदेह इस बात का विरोध करेंगे और कहेंगे कि मनमोहन सिंह सरकार के मंत्री तो भ्रष्टाचार के मामले में पकड़े गए थे लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार का कोई मंत्री किसी का लिंचिंग करने नहीं गया. वे 1984 का हवाला भी देंगे कि सिखों को मारने वाली भीड़ का नेतृत्व कांग्रेस के नेताओं ने किया था.

सिखों की हत्याएं एक कुत्सित घटना थीं और राजीव गांधी का बयान वास्तव में बेहद ख़राब था लेकिन कांग्रेस के मंत्रियों ने न तब और न ही उसके बाद कभी लिंचिंग के आरोपियों का समर्थन किया और न कभी ऐसा जताया कि पीड़ितों के साथ जो हुआ उसके जिम्मेदार वे खुद थे.

अतीत में हुई किसी लिंचिंग- जैसे दलितों के खिलाफ, को कभी सही नहीं ठहराया गया. न बयानों द्वारा न किसी के व्यवहार द्वारा उसका जश्न ही मनाया गया.

अब बात करते हैं हाल में हुए इस तरह की घटनाओं पर भाजपा और संघ परिवार के सदस्यों की प्रतिक्रिया की. अख़लाक़ खान की बेरहम हत्या के पहले बड़े मामले से इसकी शुरुआत करते हैं.

अख़लाक़ खान को कथित तौर पर फ्रिज में गोमांस रखने के आरोप में पीट-पीटकर मार दिया गया था. इस मामले में कथित अपराधियों को बार-बार सत्तारूढ़ दल के चुने हुए प्रतिनिधियों और वरिष्ठ सदस्यों की ओर से खुला समर्थन मिलता रहा.

केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा अख़लाक़ खान हत्या मामले में मुख्य अभियुक्त के गांव पहुंचे थे. उसके बाद से ही मंत्री, सांसद और विधायकों की चिंता दोषियों को सजा दिलवाने के बजाय पीड़ितों के किसी कानून के उल्लंघन के बारे में ज़्यादा त्रेहने लगी.

बाद में उन्होंने वही रटी-रटायी बात शुरू की कि सभी प्रकार की हिंसा खराब है, न्याय जरूर होना चाहिए, सभी के लिए कानून बराबर है. इसके फौरन बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोहत्या बंद होनी चाहिए. बीते दिनों आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार ने भी ऐसी ही बात को दोहराया. पीड़ितों पर ही आरोप लगाया जाने लगा जो मुख्य तौर पर मुसलमान थे.

अपनी तमाम ऊंची शिक्षा-दीक्षा और एक प्रतिष्ठित पारिवारिक पहचान के बावजूद जयंत सिन्हा हमेशा इस कलंक के साथ रहेंगे कि उन्होंने एक लिंचिंग के आरोपी को सम्मानित किया है. उन्होंने भले ही इसके लिए खेद जताया हो, लेकिन इसमें क्या कोई संदेह है कि वे हमेशा इस हरकत के लिए याद किए जाते रहेंगे?



जहां तह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात है, उन्होंने गाय की रक्षा के नाम पर हत्या करने वालों की आलोचना तो की है लेकिन उन्होंने अपने बयान में यह एक मजबूत संदेश नहीं दिया कि इस तरह की अल्पसंख्यक-विरोधी हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इस तरह की प्रतिक्रिया बस ऊपरी तौर पर अच्छी लगती है. ज्यादातर वक्त वे इस पर प्रतिक्रिया देने से बचते रहे हैं जिससे एक संदेश गया और उसे पार्टी के विश्वासपात्रों ने बिना समय गंवाए भांप भी लिया.

मीडिया ने अपनी झूठी निष्पक्षता के आड़ में इस मामले में कोई मदद नहीं की, जहां वह सभी पार्टियों को दोषी मानकर उनकी आलोचना करती दिखी.

टीवी की कोई भी बहस देख लीजिए, उसमें पैनल में बैठे सबसे उग्र मेहमान को ‘निष्पक्ष’ पत्रकार और विशेषज्ञ संतुलित करते हुए नजर आएंगे. इस बहस का अंत मुद्दे पर किसी तरह सार्थक बात न होकर शोर के साथ होगा.

क्या एक भीड़ के हाथों मारे गए किसी बेबस व्यक्ति को लेकर दो तरह के दृष्टिकोण हो सकते हैं? लिंचिंग क्यों हुई हैं, क्या इसके बारे में किसी तरह का कोई संशय हो सकता है?

नफरत फैलाने वालों को मंच मुहैया कराना, जहां वे अपने आप को चीख-चीखकर सही साबित करें, इस पेशे के मूल सिद्धांत कि सभी को अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए, का मजाक उड़ाने जैसा है. इससे लिंचिंग जैसे जघन्य अपराध का भी सामान्यीकरण हो जाता है.

इस सामान्यीकरण की सबसे चिंताजनक बात यह है कि ऐसा लगता है कि इन भयानक घटनाओं ने मध्यमवर्ग के लोगों को परेशान तक नहीं किया. कम से कम इतना परेशान तो नहीं ही किया कि वो अपनी नाराज़गी खुलकर जाहिर करें. पिछले साल आयोजित ‘नॉट इन माय नेम’ मुहिम ने हालांकि प्रशंसनीय शुरुआत की लेकिन स्थानीय स्तर पर ही सिमट कर रह गई.



2011 में अन्ना हजारे के आंदोलन में यह मध्यम वर्ग ही था जो बड़ी संख्या में सड़कों पर उनके समर्थन में निकला था जब वो 2जी घोटाले के बाद पहली बार लोकपाल कानून के लिए अनशन पर बैठे थे. मीडिया की उत्साहजनक नॉन-स्टॉप कवरेज और वीके सिंह, अनुपम खेर, किरण बेदी जैसे बड़े नामों की मौजूदगी ने उनके अनशन को आंदोलन में तब्दील कर दिया था. इसने शहरी पढ़े-लिखे लोगों को प्रेरित किया था.

जनता का यह वर्ग हमेशा सड़ी हुई व्यवस्था को उखाड़ फेंकने और इसके लिए जादू की छड़ी लिए एक मसीहा के अवतार की अवधारणा को पसंद करता है. नरेंद्र मोदी ने उनकी इसी नब्ज़ को पकड़ते हुए इसका भरपूर लाभ उठाया.

उनके ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ जैसे दावों, काला धन वापस लाने और हर एक बैंक खाते में 15 लाख रुपये देने जैसे वादे अविश्वसनीय लगते लेकिन जनता उन्हें एक मौका देने के लिए तैयार थी.

सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं खासकर मुसलमानों के खिलाफ होने वाली घटनाओं ने ऐसा लगता है कि उसी मध्यम वर्ग के लोगों पर ज्यादा असर नहीं किया जिस तरह से भ्रष्टाचार के आरोपों ने किया था. इसे लेकर कोई अनशन पर नहीं है, न कोई मार्च निकाला गया और न ही कहीं गुस्सा दिखाई देता है.

राजनीतिक दल भी खुलकर इन लिंचिंग करने वालों, सरकार और संघ परिवार के इन मामलों पर रवैये के खिलाफ नहीं निकले. शायद उन्हें लगा कि इससे उन्हें कोई चुनावी फायदा नहीं होने वाला है.

इन खौफनाक घटनाओं को लेकर सबसे बेहतरीन कवरेज विदेशी मीडिया में देखने को मिला. विदेशी मीडिया को पढ़ने, देखने और सुनने वालों के लिए भारत अब एक ऐसी जगह है जहां निरंतर अंतराल पर लिंचिंग की ये घटनाएं होती रहती हैं.

भारतीय मीडिया में इनकी कवरेज धारावाहिक अंदाज में किया गया है, जब तक किसी घटना के बारे में लिखा जाए, तब तक मीडिया आगे बढ़ जाता है. वास्तव में इन घटनाओं की तीखी आलोचना कहीं हो रही हैं तो वो है सोशल मीडिया पर, जहां आम लोग जो किसी बड़ी मीडिया संस्थान तक पहुंच नहीं रखते, वे बड़े स्पष्टवादी और पैने तरीके से इस मसले पर अपनी राय रख रहे हैं.

कोई निश्चित तौर पर यह नहीं बता सकता कि चुनाव में इन सारे घटनाक्रम की क्या भूमिका होगी. यूपीए खासकर कांग्रेस को चुनाव में घोटाले वाली सरकार की छवि के कारण भारी नुकसान झेलना पड़ा था.

ग्रामीण भारत में इसे लेकर लोगों में गुस्सा है लेकिन क्या लिंचिंग की घटनाएं ‘किसे वोट देना है’ जैसे फैसले को लेकर लोगों की राय बदल पाएंगी? बेशक ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो इस तरह की हिंसा के बिल्कुल खिलाफ न हो.

लेकिन यह सिर्फ वोट और चुनाव की बात नहीं है, यह कानून, न्याय और मानवता का सवाल है. हो सकता है कि भाजपा और संघ परिवार चुनाव, मतदाता और प्रतिबद्ध हिंदुत्व के मनोविज्ञान को समझते हो. वे चिकनी-चुपड़ी बात करने वाले शहरी पेशेवरों को भी समझते हो.

वे सोचते हैं कि चुनाव परिणाम उनके पक्ष में होगा और शायद वे सही भी हों, लेकिन अगर लेकिन अगर पार्टी नेतृत्व के इसी चेहरे के साथ या बिना वापस आती है तब भी लंबे समय तक उसके शासन को लिंचिंग काल की तौर पर याद किया जाता रहेगा.

पांडे की चेतावनी, अनर्गल बयानबाजी करने वाले नेताओं को चुनाव में नहीं मिलेगा मौका

जयपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री लालचंद कटारिया के बयान को लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पाण्डे ने प्रदेश के सभी कांग्रेस नेताओं को निर्देशित किया है कि अनर्गल बयानबाजी व औचित्यहीन वक्तव्य नहीं दें।
उन्होंने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं सहित सभी नेताओं से अपील की है कि कोई भी ऐसा बयान जो पार्टी अनुशासन के खिलाफ हो उसे नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हाईकमान ऐसे सभी गैर जिम्मेदराना वक्तव्यों के प्रति बेहद गंभीर है और ऐसी सभी घटनाक्रमों का सीधा संज्ञान हाईकमान द्वारा लिया जा रहा है।

पाण्डे ने कहा कि पार्टी के सभी निष्ठावान नेताओं को अनुचित बयानबाजी से दूर रहना चाहिए क्योंकि जानबूझकर अथवा गैर इरादतन जारी बयानों से विपक्षी पार्टी को अनावश्यक मुद्दा मिल जाता है और इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है।

उन्होंने कहा कि हर कांग्रेसजन का दायित्व है कि ऐसा कोई अवसर विपक्षी दलों को सुलभ नहीं करवायें जिससे पार्टी को नुकसान पहुॅंचे। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य राजस्थान में व्याप्त भाजपा की अराजकता से प्रदेश की जनता को मुक्ति दिलवाना है, इसलिए हम सबको जनहित में प्राण-प्रण से लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की बहाली के लिए कांग्रेस पार्टी द्वारा निर्धारित समस्त कार्यक्रमों को सफल बनाना है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में चुनाव राहुल गॉंधी के नेतृत्व में होंगे जिसमें सभी वरिष्ठ नेताओं का सामूहिक योगदान व भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा पार्टी लाईन से इतर दिये जाने वाले प्रत्येक बयान को गंभीरता से लिया जा रहा है, ऐसे में बयानबाजी करने वाले नेताओं को भविष्य में चुनाव में भागीदारी से वंचित भी रखा जा सकता है।

पाण्डे ने कहा कि कांग्रेस लोकतांत्रिक पार्टी है जिसमें संगठन में व्याप्त आंतरिक लोकतंत्र का बड़ा महत्व है, इसलिए हर नेता को आभास होना चाहिए कि अपनी बात को पार्टी मंच पर उठाए ना कि सार्वजनिक बयानबाजी कर पूरी तरह से नकारा साबित हुई भाजपा सरकार के लोगों को कांग्रेस के प्रति मुद्दे देकर उसकी जवाबदेही से बचने का मौका दें।
उन्होंने कहा कि आज देश व प्रदेश की जनता कांग्रेस की तरफ बड़ी उम्मीद से देख रही है, इसलिए हम सबका दायित्व है कि एकमुखी होकर कांग्रेस की जीत निश्चित करने के लिए पूरी निष्ठा के साथ अपना योगदान प्रदान करें।

शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

कामचोर, दामचोर और अब नामचोर भी बन गयी सरकार - घनश्याम तिवाड़ी

जिस सिंधिया घराने ने पीढ़ियों से राजस्थान को लूटा, उसके स्वाभिमान को आहत किया और प्रदेश की जनता से लूटखसोट की है। एसे लोग कभी भी राजस्थान का गौरव नहीं बढ़ा सकते। 


जयपुर । भारत वाहिनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष  घनश्याम तिवाड़ी ने भाजपा द्वारा घोषित 'राजस्थान गौरव यात्रा' पर नामचोरी का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पर तीखा हमला किया और कहा कि भारत वाहिनी पार्टी द्वारा पूर्वघोषित "राजस्थान गौरव यात्रा" को भाजपा और उसकी मुख्यमंत्री ने चुराया है। तिवाड़ी ने इसे पूर्णतया अनैतिक और मुख्यमंत्री की सरासर बेईमानी बताया। श्री तिवाड़ी ने भाजपा पर सीधे सीधे आरोप लगाया कि यह चोरी भाजपा की एक सोची समझी साज़िश है और इनके बौद्धिक दिवालियापन को उजागर करती है। ग़ौरतलब है कि कुछ समय पूर्व भाजपा की सुराज गौरव यात्रा पर श्री तिवाड़ी द्वारा प्रश्न खड़ाकर उसे 'कुराज गौरव यात्रा' बताए जाने के बाद भाजपा ने इस यात्रा का नाम बदल 'राजस्थान गौरव यात्रा' कर दिया है।

जो कि  तिवाड़ी की भारत वाहिनी पार्टी द्वारा काफ़ी पहले से प्रस्तावित यात्रा का नाम है। इसके साथ
तिवाड़ी ने PAI- 2018 की रिपोर्ट को आधार बना कर कहा कि राजस्थान पिछले वर्ष इस इंडेक्स में 7वें पायदान पर था जो अब फिसल कर 11वें पर आ गया है। मतलब प्रदेश की शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, पानी, मानव विकास, सामाजिक सुरक्षा, महिलाओं व बच्चों की स्थिति और क़ानून व्यवस्था की स्थिति में ज़बरदस्त गिरावट आयी है। वास्तव में यह सुराज नहीं कुराज है।


 तिवाड़ी ने भाजपा की राजस्थान गौरव यात्रा के नामकरण को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि जिस सिंधिया घराने ने पीढ़ियों से राजस्थान को लूटा, उसके स्वाभिमान को आहत किया और प्रदेश की जनता से लूटखसोट की है। एसे लोग कभी भी राजस्थान का गौरव नहीं बढ़ा सकते। मुख्यमंत्री की इस यात्रा की चारभुजा मंदिर से शुरुआत पर आश्चर्य व्यक्त किया।  तिवाड़ी ने इतिहासकार औझा की पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि जिस चारभुजा मंदिर को लूटने का काम सिंधियाओं ने किया और जिसे सिंधियाओं से बचाने के लिए राजस्थान की 22 वीरांगनाओं ने बलिदान किया था, जिनकी मूर्तियाँ वहाँ आज भी है। उस मंदिर से यात्रा की शुरुआत कर वसुंधरा राजे सिंधिया किस मुँह से राजस्थान के गौरव को बढ़ाने की बात करती है?

 तिवाड़ी ने कहा कि सिंधियाओं ने हमेशा राजस्थान को अपमानित और पीड़ित किया है। राजस्थान की तीन प्रमुख रियासतें जयपुर, जोधपुर और मेवाड़ को इन सिंधियाओं ने हमेशा लूटा और अपमानित किया। उन्होंने कहा कि सिंधियाओं ने टोंक में बड़ी संख्या में लूट और ठगी के लिए कुख्यात पिंडारियों को बसाया और राजस्थान के ख़िलाफ़ जब भी सिंधियाओं का लूट अभियान होता तो इन पिंडारियों को साथ ले कर जाते थे।



 तिवाड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री को हमारा अनुसरण करना ही है तो सिर्फ़ नाम का नहीं हमारे गुणों का भी अनुसरण करे। अपने तीखे तेवरों के लिए प्रसिद्ध श्री तिवाड़ी ने प्रदेश की जनता को आगाह करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति का भाव बदल सकता है पर स्वभाव नहीं बदल सकता। तिवाड़ी ने अपनी बात को एक राजस्थानी दोहे से समझाया;

बा'रा कोसां बोली पलटे, बड़ पलटे साखाहं।

काला पर धोला पलटे, पण लखण पलटे न लाखाँह।

तिवाड़ी ने जोड़ा कि जिनको चोरी की आदत लगी है वे दामचोरी, कामचोरी के साथ-साथ अब नाम भी चोरी करने लगे हैं।

वसुंधरा की 'राजस्थान गौरव' यात्रा से सैनी साइड-लाइन

प्रदेश में चार महीने के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले निकलने वाली मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदनलाल सैनी को साइड लाइन कर दिया गया है।

जयपुर । प्रदेश के सियासी मैदान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा 4 अगस्त से दौड़ेगी, इसी के साथ ही भाजपा के चुनावी अभियान का भी आगाज होगा। मुख्यमंत्री वसुंधरा ने राजस्थान गौरव यात्रा को प्रदेशभर में दौड़ाने की जिम्मेदारी अपने खास सिपहसलारों को दी है। जबकि, इस यात्रा के लिए बनी प्रदेश समिति में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदनलाल सैनी को शामिल नहीं किया गया है।

राजसमंद स्थित चारभुजाजी से शुरू होने वाली वसुंधरा की राजस्थान गौरव यात्रा को  लेकर सभी तैयारियों को करीब-करीब अंतिम रुप दे दिया गया है। इस यात्रा के जरिए एक बार फिर वसुंधरा विकास कार्यों के जरिए प्रदेशवासियों के मन में अपनी पैठ बनाना चाहती हैं। इस यात्रा को लेकर पार्टी पदाधिकारियों के बीच हुए मंथन के बाद प्रदेश समिति के साथ ही यात्रा के संयोजक और सह संयोजक की नियुक्ति कर दी गई है। इस यात्रा का संयोजक गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को बनाया गया है।

जबकि, सहसंयोजक वसुंधरा के करीबियों में से एक पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी को बनाया गया है। इसके साथ ही प्रदेश समिति में भी वसुंधरा के  ही खास मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों को शामिल किया गया है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश समिति में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी, पंचायती राज मंत्री राजेंद्र राठौड़, पीडब्ल्यूडी मंत्री युनुस खान, जनअभाव अभियोग निगरानी समिति के अध्यक्ष श्रीकृष्ण पाटिदार को शामिल किया है।


इसी प्रकार  राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत,  खाद्य आपूर्ति मंत्री बाबूलाल वर्मा,  राज्य सभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, प्रदेश उपाध्यक्ष रामनारायण डूडी, उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी और यूडीएच मंत्री श्रीचंद कृपलानी को भी इस समिति में शामिल किया है।  जानकारी के मुताबिक यही सभी सदस्य राजस्थान गौरव यात्रा को लेकर सभी जिम्मेदारियों को निभाएंगे। खास बात यह है कि वसुंधरा के इस खास टीम से प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी को दूर रखा गया है।

यात्रा के लिए बनी टीम में सैनी को जगह नहीं मिलने पर सियासी रुप से चर्चा जारी है। माना जा रहा है कि वसुंधरा के लिए ये यात्रा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए बेहद खास है। ऐसे में वसुंधरा किसी और के बजाए अपने खास सिपहसलारों को कमान सौंपी है।

वसुंधरा ने सुराज गौरव यात्रा का नाम क्यो बदल "राजस्थान गौरव" क्यो किया

प्रदेश के सियासी रण में मुख्यमंत्री अब 'सुराज गौरव' नहीं बल्कि राजस्थान गौरव यात्रा लेकर उतरेंगी। चुनावी यात्रा के नाम में बदलाव ने सियाली हल्कों में सवाल के साथ ही कयासों को जन्म दे दिया है।


जयपुर । राज्य के सियासी मैदान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चार अगस्त से 'सुराज गौरव यात्रा' नहीं बल्कि 'राजस्थान गौरव यात्रा' के जरिए प्रदेशवासियों के बीच पहुंचेंगी। चुनावी रथ यात्रा शुरू होने से कुछ दिन पहले इसके नाम में परिवर्तन करने के बाद सियासी हल्कों में चर्चा शुरू हो गई है।

वैसे तो माना जाता है कि किसी के नाम बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन बात सियासत की हो तो काफी फर्क पड़ता है। यही स्थिति वसुंधरा के इस यात्रा की भी है। सियासतदारों के बीच चर्चा है कि जिस 'सुराज' के नाम पर वसुंधरा अपनी इस यात्रा  के जरिए प्रदेश में आमजन के बीच जाने वाली थी।  अचानक उसका नाम राजस्थान गौरव कैसे पड़ गया। इस बारे में पार्टी पदाधिकारी भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं  दे रहे हैं। वहीं, राजनीति के जानकारों की मानें तो प्रदेश में बेरोजगारी, बजरी, कानून व्यवस्था सहित कई मुद्दों को लेकर विपक्ष लम्बे समय से सरकार को घेर रही है।



हाल में अलवर में मॉब लिंचिंग होने के बाद सरकार सीधे तौर पर निशाने पर आ गई। कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने इस मामले में सरकार को जमकर घेरा और निशाना साधा। इस घटना के बाद सरकार की किरकिरी हुई है। माना जा रहा है कि इसी वजह से सरकार ने अंतिम समय में यात्रा का नाम 'सुराज' से बदलकर 'राजस्थान गौरव' कर दिया। साथ ही पार्टी के जानकारों का यह भी कहना है कि भाजपा हमेशा आदर्शवादी वाक्यों को अपनाकर आगे बढ़ती रही है।

ये पार्टी की पॉलिसी भी है कि वे नाम जिनके बोलने से एकता और राष्ट्रवाद का बोध हो, उसे अपनाते हुए एजेंडे को आगे बढ़ाया जाए। ऐसे में माना जा रहा है कि 'राजस्थान' का नाम अपनी यात्रा में आगे लगाकर पार्टी प्रदेश के गौरव का बखान कर सत्ता तक पहुंचना चाहती है। जानकारों ने बताया कि इससे पहले गुजरात चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात के आन-बान का नाम पर प्रचार कर लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया था।

गुरु पूर्णिमा पर छात्रावासों एवं आवासीय विद्यालयों में लगाए 50 हजार पौधे

आज गुरू पूर्णिमा के दिन।  हमारे छात्रावास एवं आवासीय विद्यालयों के बच्चों में गुरूजनों की पूजा करने के साथ धरती माॅ की पेड लगाकर कर्ज चुकाने का काम किया है।


जयपुर। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा प्रदेश मेंसंचालित 800 छात्रावास एवं 22 आवासीय विद्यालयों एवं जिला कार्यालय व होमस में आज गुरू पूर्णिमा के अवसर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजन किया, जिसमें 47 हजार बच्चे एवं 3 हजार कार्मिकों ने ‘‘एक छात्र-एक पेड़’’ लगाने एवं सार सम्भाल ने की अवधारण के पर पूरे प्रदेष में 50 हजार पौधे लगाये गये।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डाॅ. अरुण चतुर्वेदी ने शुक्रवार को गुरूपूर्णिमा के दिन अम्बेडकर भवन परिसर में आयोजित वृक्षारोपण समारोह में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ अशोक का पेड लगाकर वृक्षारोपणकार्य का शुभारंम किया।

पेड लगाते हुए डाॅ. चतुर्वेदी ने कहा आज गुरू पूर्णिमा के दिन। इस दिन हमारे छात्रावास एवं आवासीय विद्यालयों के बच्चों में गुरूजनों की पूजा करने के साथ धरती माॅ की पेड लगाकर कर्ज चुकाने का काम किया है। बच्चों को ‘‘एक छात्र-एक पेड’’ लगाने के साथ पूरी सार सम्भाल का जिम्मा दिया गया है। जिससे पेड़ बड़ा होकर पर्यावरण को शुद्ध बना सके।

इस अवसर पर डाॅ. चतुर्वेदी ने विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को घर पर लगाने के लिए पौधे वितरित किये। वृक्षारोपण समारोह में विभाग के निदेषक डाॅ. समित शर्मा ने कहा कि पूरे
प्रदेश में संचालित छात्रावासों एवं आवासीय विद्यालयों में ‘‘एक छात्र-एक पेड़’’ पूरे जोष के साथ बच्चों के साथ सभी कार्मिकों व अध्यापकों ने वृक्षारोपण किया गया वही पूरी सार सम्भाल करने का सकंल्प लिया।
विभाग के अतिरिक्त निदेशक संचित विश्नोई, वित्तीय सलाहकार बृजेश शर्मा, अतिरिक्त निदेषक अशोक शर्मा, डालचन्द्र वर्मा, रीना शर्मा, उपनिदेषक संघमित्र वरड़रिया व अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों ने छायादार, फलदार एवं फूलदार पौधे लगाकर वृक्षारोपण महोत्सव मनाया।

2014 से 2017 तक सांप्रदायिक हिंसा की 2,920 घटनाएं, 389 लोगों की मौत

 राजस्थान में हुई 91 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में 12 लोग मारे गए और 175 लोग घायल हुए
बिहार, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ज्यादातर सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई हैं.


सांप्रदायिक हिंसा की सबसे ज़्यादा घटनाएं उत्तर प्रदेश में हुईं. यहां 2014 से लेकर 2017 तक में 645 मामले सामने आए जिसमें 121 लोग मारे गए. ये आंकड़ा सभी राज्यों में मारे गए लोगों का लगभग 32 प्रतिशत है.

 केंद्र सरकार ने बुधवार को बताया कि साल 2017 में देश में सांप्रदायिक हिंसा की 822 घटनाएं हुईं जिनमें 111 लोगों की मौत हो गई. गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने राज्यसभा को बताया कि साल 2016 में सांप्रदायिक हिंसा की 703 घटनाएं हुईं जिनमें 86 लोगों की जान गई.

वहीं 2015 में सांप्रदायिक हिंसा की 751 घटनाओं में 97 लोग मारे गए थे. हालांकि 2015 से पहले तक के आंकड़ों को देखें तो 2014 से लेकर 2017 तक में सांप्रदायिक हिंसा की 2,920 घटनाएं हुईं हैं जिसमें 389 लोगों की मौत हो गई. वहीं इन घटनाओं में 8,890 लोग घायल हुए.

एक प्रश्न के लिखित जवाब में अहीर ने बताया कि कानून व्यवस्था, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है. उन्होंने कहा कि शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने में केंद्र राज्य सरकारों को अलग-अलग तरीके से मदद करता है.

इसके लिए समय-समय पर खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है, सतर्कता संबंधी संदेश भेजे जाते हैं और महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर परामर्श भी दिया जाता है.

2014 से लेकर अब तक के आंकड़ों को देखें तो सांप्रदायिक घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है. जहां एक तरफ 2014 में सांप्रदायिक हिंसा की 644 घटनाएं हुई थीं वहीं साल 2017 में सबसे ज्यादा 822 सांप्रदायिक हिंसा के मामले सामने आए.

इसमें सबसे ज्यादा घटनाएं उत्तर प्रदेश से सामने आए हैं. साल 2017 में यूपी में 195 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं जिसमें 44 लोगों की मौत हो गई और 542 लोग घायल हो गए. दूसरे नंबर पर कर्नाटक है. कर्नाटक में इस तरह की 100 घटनाएं हुईं जिसमें 9 लोगों की मौत हुई और 229 लोग घायल हो गए.

उत्तर प्रदेश में 2014 से लेकर 2017 तक इस तरह की 645 घटनाएं हुईं जिसमें 121 लोग मारे गए. सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए लोगों में से लगभग 32 प्रतिशत लोग उत्तर प्रदेश से हैं.

वहीं बिहार में भी पिछले साल 85 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं. इसमें तीन लोग मारे गए और 321 लोग घायल हो गए. राजस्थान में हुई 91 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में 12 लोग मारे गए और 175 लोग घायल हुए.

पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. जहां 2016 में पश्चिम बंगाल में इस तरह की 32 घटनाएं हुईं, वहीं 2017 में 58 सांप्रदायिक हिंसा के मामले सामने आए. इस दौरान नौ लोगों की मौत हुई और 230 लोग घायल हो गए.


गुरु एक पावर है दाढ़ी बाल वेशभूषा का नाम नहीं

बाबा उमाकांत जी महाराज का फकीरी फरमान
आगामी  दिनांक 17 अगस्त 2018 दिन शुक्रवार को जो भी शाकाहारी सदाचारी व्यक्ति अपने घरों व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर जयगुरुदेव नाम का झंडा फहराएगा या जय गुरुदेव नाम की पट्टिका लगाएंगे उनके आगे आने वाले खराब समय से रक्षा होगी। 
भविष्य भारत मे गऊ हत्या बन्द हो जाएगी और सिर्फ गऊ हत्या ही नहीं बल्कि किसी भी जीव की हिंसा - हत्या नही होगी। कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक भी शराब,मांस की दुकान नही होगी। रात के 12 बजे किसी भी सड़क पर कोई महिला निकलेगी तो किसी की नियत खराब नही होगी । समय पर जाड़ा, गर्मी,बरसात होगी। और भारत विश्व का गुरु होगा।

जयपुर । आज  जयपुर में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आध्यत्मिक सत्संग सुनाते हुये बाबा उमाकान्त जी महाराज ने गुरु का महत्व बताते हुये कहा कि गुरु एक पावर है कोई दाढ़ी बाल वेशभूषा का नाम नहीं होता। गुरु एक पावर एक शक्ति होती है जिसके माध्यम से कोइ भी शाकाहारी सदाचारी इंसान मृत्युलोक से लेकर ऊपर के मंडलों की यात्रा को निर्विघ्नं पूरा कर सकता है। गुरु के पास जाने से ही भौतिक जगत में कला सीखने को मिलती है और तमाम तरह की विघ्न बाधाओं से भी बचा जा सकता है। इसलिए कहा गया है कि - सतगुरु की महिमा अनंत अनंत किया उपकार


दुःख निवारण गुरु पूर्णिमा के अवसर  पर सतसंग सुनाते हुए महाराज जी ने कहा कि मनुष्य शरीर, ईश्वर  को पाने के लिए मिला था लेकिन आपने इसे भोगों में लगा दिया और पाप करने लगे । मांस खाने लगे ,शराब पीने लगे और चोरी, व्यभिचार करने लगे। देखो शराब में तो है एक हजार बुराइया है ये अपराध और भ्रष्टाचार की जननी है । अगर अभी देश मे शराब बन्द करा दी जाए तो 50 प्रतिशत अपराध और भ्रष्टाचार खत्म हो जाएंगे। महाराज जी के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा पर्व को मनाने के लिये देश-विदेश से लाखों भक्तगण पधारे।  सतसंग के पश्चात महाराज जी द्वारा पूजन किया गया उसके पश्चात प्रशाद का वितरण हुआ। प्रसाद का महत्व बताते हुये पूज्य महाराज जी ने बताया कि हारी-बीमारी, दुख, तकलीफों, परेशानियों में जयगुरुदेव नाम बोलकर गृहण करने से फायदा मिलेगा में लाखों की भीड़ के बावजूद लोगों ने कतारबद्ध होकर  पूरे अनुशासन से प्रयास लिया। इतना ही नही महाराज जी ने भी सत्संग के बाद हर एक प्रेमी से मिलकर उनके दुख तकलीफों को सुनकर उनका समाधान भी बताया।

धर्मावलंबियों से महाराज का आह्वान

महाराज जी ने सभी मठों के मठाधीशों, मंदिर के पुजारियों, धर्म एवं मजहबी प्रमुखों से प्रार्थना, आह्वान किया कि आप लोगों को समझाओ उन्हें मेहनत ईमानदारी से काम करे, धर्म के रास्ते पर आ जाये । जीवो पर दया रहम करे ये आपका दयित्व है । वरना इस वक्त दुनियां बारूद के ढेर पर बैठे है कभी भी कुछ भी हो सकता है।
महाराज जी की भविष्यवाणीयाँ
महाराज जी ने सत्संग में बताया कि भविष्य भारत मे गऊ हत्या बन्द हो जाएगी और सिर्फ गऊ हत्या ही नहीं बल्कि किसी भी जीव की हिंसा - हत्या नही होगी। कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक भी शराब,मांस की दुकान नही होगी। रात के 12 बजे किसी भी सड़क पर कोई महिला निकलेगी तो किसी की नियत खराब नही होगी । समय पर जाड़ा, गर्मी,बरसात होगी। और भारत विश्व का गुरु होगा।
बाबा उमाकांत जी महाराज का फकीरी फरमानआगामी  दिनांक 17 अगस्त 2018 दिन शुक्रवार को जो भी शाकाहारी सदाचारी व्यक्ति अपने घरों व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर जयगुरुदेव नाम का झंडा फहराएगा या जय गुरुदेव नाम की पट्टिका लगाएंगे उनके आगे आने वाले खराब समय से रक्षा होगी।

दो दिवसीय इस कार्यक्रम में बाबा जय गुरुदेव धर्म विकास संस्था उज्जैन तक के तत्वाधान में दहेज रहित 7 विवाह संपन्न हुए।

भारत वाहिनी पार्टी की चुनावी टीम का ऐलान

जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। प्रदेश की सभी छोटी-बड़ी पार्टियां संगठन को मजबूत बनाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। हाल ही में बनी घनश्याम तिवाड़ी की भारत वाहिनी पार्टी ने भी गुरुवार को अपनी प्रदेश कार्यसमिति का ऐलान किया है।

भारत वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने प्रदेश कार्यसमिति के सदस्यों और वरिष्ठ नेताओं से परामर्श के बाद गुरुवार को प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा कर दी। प्रदेश कार्यकारिणी में प्रदेश कार्यसमिति से कुल 26 पदाधिकारी और 31 सदस्य लिए गए हैं। यहां देखें पूरी सूची-

प्रदेश उपाध्यक्ष : 

डॉ. मूल सिंह शेखावत, झुंझुनूं प्रख्यात चिकित्सक, पूर्व विधायक
डॉ. नगेंद्र शर्मा, जोधपुर शहर, प्रख्यात न्यूरोसर्जन
शशिकांत बोहरा, अलवर, शिक्षाविद्
शैतान सिंह यादव, जयपुर ग्रामीण, वरिष्ठ किसान नेता 
महेंद्र सिंह मीणा, करौली, सामाजिक कार्यकर्ता



प्रदेश संगठन महामंत्री : 

पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद्, लेखक  कवि दयाराम महरिया, सीकर, को दी गयी है।
प्रदेश महामंत्री : 
जगदीश खाजपुरिया, झुंझुनूं
छोटूलाल कुमावत, जयपुर ग्रामीण, राष्ट्रीय महामंत्री कुमावत समाज 
किशन लाल यादव, जयपुर ग्रामीण, वरिष्ठ किसान नेता
मंगल चंद गुर्जर, सीकर, सरपंच
प्रदेश कोषाध्यक्ष :

युवा उद्यमी मुरारी शर्मा, सिविल लाइंस, जयपुर को प्रदेश कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी है।

प्रदेश मंत्री :

1 मदन मेघवाल, जिला परिषद सदस्य, धोद, सीकर
2 जुगल किशोर सेन, पूर्व चेयरमैन नगर पालिका, श्रीगंगानगर
3 तेजकांत नागरवाल, अधिवक्ता, जयपुर
4 कृष्ण कुमार जानू, किसान नेता, चूरू
5 हरफूल पँवार, सरपंच, पलसाना, सीकर 
6 घेवर चंद सारस्वत, समाज सेवी, जोधपुर शहर
7
धारा गौड़, बगरु, जयपुर ग्रामीण 
प्रदेश प्रवक्ता :

कृष्ण कुमार जानू, किसान नेता, चूरु

प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य 

1 फतेह मल लोढ़ा, सिविल लाइंस, जयपुर शहर
2 रतन लाल यादव, झोटवाड़ा, जयपुर शहर
3 राम किशोर रावत, सिविल लाइंस, जयपुर शहर
4 फूलचंद सैनी, समाज सेवी, कोटपूतली, जयपुर ग्रामीण
5 घनश्याम मंत्री, किशनपोल, जयपुर शहर
6 भंवर सिंह सिराधना, झुंझुनूं
7 कान्हाराम बलाई, बगरू, जयपुर ग्रामीण
8 हेमसिंह राठौड़, चाकसू, जयपुर ग्रामीण
9 महेंद्र बागड़ी, सांगानेर, जयपुर शहर
10 श्याम प्रसाद जैन, राजसमंद
11 छीतरमल घोंसल्या, आमेर, जयपुर ग्रामीण
12 प्रमोद शर्मा, बाड़ी, धौलपुर
13 मक्खन लाल, श्रीमाधोपुर, सीकर
14 हनुमान सिंह कासली, धोद, सीकर
15 मदन जोशी, रायसिंह नगर, श्री गंगानगर 
16 रवि व्यास, आदर्श नगर, जयपुर शहर 
17 सुधांशु जैन, जयपुर 
18 करणी सिंह, बस्सी, चित्तौड़
19 हनुमान परसवाल, दांतारामगढ़, सीकर 
20 महावीर कुमावत, दांतारामगढ़, सीकर
21 कांता छीपा, सांगानेर, जयपुर शहर
22 मंजू चौहान, सांगानेर, जयपुर शहर
23 ईशाक देशवाली, हवामहल, जयपुर शहर 
24 सुखविंदर सिंह, जयपुर 
25 बाबू लाल जैमन, दौसा 
26 प्रमोद शर्मा, झालावाड़ 
27 सपना, ज़िला परिषद सदस्य, थानाग़ाज़ी, अलवर
28 दिनेश शर्मा, चूरु
29 घनश्याम तिवाड़ी, पीपाड़शहर , जोधपुर ग्रामीण
30 झाबरमल तिवाड़ी, जयपुर
31 पवन शर्मा, समाजसेवी, सूरजगढ़
संभाग प्रभारी 

1 गिरधारी तिवाड़ी, (भरतपुर-धौलपुर-करौली)
2 अवधेश शर्मा (जयपुर शहर-जयपुर ग्रामीण)
3 सुरेश नागौरी (पाली-सिरोही-जालौर)
4 विजय शर्मा (उदयपुर-चित्तौड़गढ़-राजसमंद)
5 आशीष तिवाड़ी (सीकर-झुंझुनुं-चूरू-नागौर)
6 राजकमल (अलवर-दौसा)
7 नथमल शर्मा (जोधपुर-बाड़मेर-जैसलमेर)


सभी संभाग प्रभारी एवं ज़िला समन्वयक तथा भारत युवा वाहिनी, भारत किसान वाहिनी, भारत स्त्रीशक्ति वाहिनी  के प्रदेश पदाधिकारी प्रदेश कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगे।



भारत किसान वाहिनी, राजस्थान प्रदेश :

राजस्थान के वरिष्ठ किसान नेता मुरलीधर देवगुढ़ा को भारत किसान वाहिनी के प्रदेश समन्वयक की जिम्मेदारी दी गयी है। भारत किसान वाहिनी, भारत युवा वाहिनी और भारत स्त्रीशक्ति वाहिनी के पदाधिकारियों और कार्यकारिणी की घोषणा इनकी प्रदेश कार्यसमितियों की विधिवत बैठक के बाद की जाएगी। 


जिला समन्वयक : 

भारत वाहिनी पार्टी में जिला स्तर पर समन्वयक का चुनाव किया गया है। वर्तमान में चुने गए जिला समन्वयकों  के नाम इस प्रकार हैं :
1 विमल अग्रवाल, जयपुर शहर
2 अशोक विजयवर्गीय, जयपुर ग्रामीण
3 राजन गुप्ता, अलवर
4 मुकेश शर्मा, अलवर ग्रामीण
4 अशोक डामोर, बाँसवाड़ा
5 योगेश गौड़, बाराँ
6 कुलदीप जघीना, भरतपुर
7 सुदामा शर्मा, अजमेर
8 शिव कुमार पांड्या, बीकानेर
9 दिनेश गुर्जर, सीकर
10 पीताम्बर शर्मा, बूंदी
11 रतन लाल कीर, चित्तौड़गढ़
12 हरी सिंह बेनिवाल, चूरू
13 विजय शंकर बोहरा, दौसा
14 प्रमोद शर्मा, बाड़ी, धौलपुर
15 अतुल धींगड़ा, हनुमानगढ़
16 अनिल बिस्सा, जैसलमेर
17 ललित वैष्णव, झालावाड़
18 राम निवास सैनी, झुंझुनूं
19 डॉ. हनुमान प्रसाद गौड़, जोधपुर शहर
20 सतानंद गौड़ राजपूत, करौली
22 मनीष शर्मा, कोटा
23 देवेंद्र दवे, पाली

गुलाबी नगर महक रहा है बाबा उमाकांत महाराज जी के गुलाबी भक्तों से

जयपुर। बाबा उमाकांत महाराज के सान्निध्य में मनाए जा रहे दो दिवसीय दुख निवारण गुरु पूर्णिमा महोत्सव में देश-विदेश से आए लाखों भक्तों को सत्संग सुनाते हुए महाराज ने कहा कि मांस, मनुष्य का भोजन नहीं है । मांसाहार और शराब के कारण जब मनुष्य का खून बेमेल हो जाता है तो उसकी बुद्धि खराब हो जाती है और मां, बहन, बेटी की पहचान खत्म हो जाती है।

उन्होंने कहा कि रावण जैसा ज्ञानी जो चार वेद, छह शास्त्र, अठारह पुराणों का ज्ञाता था, उसकी बुद्धि इसी मांस और शराब के कारण खराब हुई और वो राक्षस कहलाया। इसलिए भूलकर भी अंडा, मांस, मछली, शराब या किसी भी प्रकार के नशे का सेवन नहीं करना चाहिए, जिससे कर्म खराब हो। मौसम के परिवर्तन से जो रोग होते हैं, वे तो दवाइयों से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कर्मों के भार के कारण जो रोग होते हैं, वे आसानी से नही जाते हैं। सदा शाकाहरी रहें और यदि आप अपने जीवन में बरकत पाना चाहते हैं तो मेहनत और ईमानदारी से काम करें। इसके बाद महाराज ने नामकरण, जनेऊ, मुण्डन संस्कार आदि भी सम्पन्न कराए।

गुलाबी नगर महक रहा है महाराज जी के गुलाबी भक्तों से

गुलाबी शर्ट, गुलाबी टोपी, गुलाबी सूट, गुलाबी पगड़ी तो कही गुलाबी साड़ी में भक्तों का सैलाब - ये नजारा है अजमेर रोड स्थित विशाल मैदान में चल रहे गुरु पूर्णिमा महोत्सव का । यहां महाराष्ट्र, गुजरात, मप्र, उप्र, बंगाल, कर्नाटक, नेपाल, मलेशिया, श्रीलंका, अमेरिका, दुबई जैसे देशों से भी भक्त आए हैं, जो गुलाबी वस्त्रों में इस गुलाबी जयपुर को और गुलाबी बना रहे हैं।

महाराजजी के आह्वान पर बने परमार्थ के दो विश्व कीर्तिमान  

 गांव-गांव, शहर-शहर, देश-विदेशों तक अपने संदेशों और प्रार्थनाओं से जनमानस को शाकाहारी बनाने का संकल्प लेने वाले बाबा उमाकांत महाराज के सान्निध्य में भक्तों ने एक महीने में ही 20 लाख से ज्यादा लोगों को शाकाहारी बनाने का वर्ल्ड रिकाॅर्ड बनाया और इस दुख निवारण गुरु पूर्णिमा में भी एक समय में, एक स्थान पर, लाखों शाकाहारी लोगों का जन सैलाब एकत्रित होने से गोल्डन बुक आॅफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड में एक ऐतिहासिक विश्व कीर्तिमान के रूप में दर्ज हो गया। इतना ही नहीं इन अनगिनत भक्तों ने जब महाराज जी के साथ जयगुरुदेव नाम की धुनी का उच्चारण किया तो वह नाम न केवल वायु मंडल में गुंजायमान हो गया, बल्कि एक साथ, एक समय में, एक सुर में लाखों भक्तों का स्वर गोल्डन बुक आॅफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड के पन्नों में भी सुनहरे अक्षरों में अंकित हो गया।

बाबा जयगुरुदेव प्रतिभा सम्मान समारोह में प्रतिभाओं को मिला बड़ा सम्मान   

 इस दुख निवारण गुरु पूर्णिमा में महाराज द्वारा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर के मेधावी विद्यार्थियों के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा 2017 में चयनित प्रशिक्षु अधिकारी (आईएएस, आईपीएस), एम.बी.बी.एस., बी.ए.एम.एस., बी.एच.एम.एस. तथा पैरामेडिकल, विश्वविद्यालय के स्नातक स्तर के मेधावी छात्रों एवं छात्राओं के साथ उनके शिक्षकों के साथ -साथ उनके परिजनो को भी सम्मानित किया गया।



इसमें 10वीं के ग्यारह विद्यार्थियों को 5000 रु., 12वीं के तीस छात्रों को 8000 रु., विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय के पैंतालीस एवं पैरामेडिकल के छह विद्यार्थियों को 10,000 रु. तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा 2017 में चयनित तीन अधिकारियों, एम.बी.बी.एस., बी.ए.एम.एस., बी.एच.एम.एस. के पन्द्रह विद्यार्थियों को 11,000 रु. की राशि के चेक महाराज के द्वारा आर्शीवाद स्वरूप प्रदान की गई। इतना ही नहीं संस्था द्वारा इन प्रतिभाओं को तराशने वाले गुरुजनों एवं इनके माता-पिता को भी सम्मानित किया गया, जिसमें चांदी का सिक्का, सम्मान पत्र, प्रसाद, डायरी और संत दर्शिका प्रदान की गई।

गुरुवार, 26 जुलाई 2018

कांग्रेस पार्टी के आला नेताओं सावधान ! :राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत

1993 में तो आज से भी बढ़िया स्थिति थी लेकिन बागियों ने लुटिया डूबो दी थी

विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात देने की तैयारी कर रही कांग्रेस के सामने अपनों ने संकट खड़ा कर दिया है। इस स्थिति को देखकर चिंतिक वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने 1993 का सीन याद करने की नसीहत दी है।

जयपुर । विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़े राजस्थान को फतह करने के लिए कांग्रेस भले ही असरदार रणनीति बना चुकी हो, लेकिन, उसके चुनावी राह में अपने ही कांटे बिखेरने पर तुले हैं। ये कोई और नहीं हैं, टिकट के दावेदार हैं। हर विधानसभा क्षेत्र से टिकट की आस लगाए कांग्रेस कार्यालय से लेकर आला नेताओं की दहलीज तक पहुंचने वाले दावेदारों की संख्या को देख अब पार्टी पदाधिकारी भी सकते में आ गए हैं। प्रदेश में आज बनते हालात को देख चिंतित पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने सभी को 1993 के सीन को याद करने की सीख दी है।

उन्होंने कहा है कि 1993 में आज से काफी बढ़िया स्थिति में कांग्रेस थी। इतनी बढ़ियां स्थिति मध्यप्रदेश की भी नहीं थी। गहलोत ने कहा कि उस समय हर कोई यही कहता था कि कांग्रेस की सरकार बनना निश्चित है। लेकिन, टिकट वितरण के बाद चुनाव में खड़े हुए बागियों के चलते कांग्रेस उस चुनाव को हार गई थी। गहलोत ने कहा कि उस चुनाव में भाजपा के भैरोसिंह शेखावत ने सरकार बनाई थी।



उन्होंने कहा कि आज भी वैसे ही हालात बन रहे हैं। टिकट एक को ही मिलता है। सबसे बेहतर यह है कि सभी कार्यकर्ता आपस में बातचीत के साथ तथा सहयोग करें। जिससे स्क्रीनिंग कमेटी अपना सही ढंग से कर सके और जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट मिल सके। इस दौरान उन्होंने गुजरात से भी सभी को सीख लेने की नसीहत दी। गहलोत ने कहा कि गुजरात का जिक्र करते हुए कहा कि वहां किसी से टिकट के मामले में बात करो तो वह खुद ही कह देता था कि यदि मुझे टिकट नहीं मिलता तो फलां को दे देना। इसी कल्चर को राजस्थान में भी अपनाने की जरूरत है। जिससे हम सरकार बना सकें।

गहलोत ने कहा कि राजस्थान जीतेंगे तो दिल्ली मजबूत होगा। गौरतलब है कि प्रदेश में इस बार कांग्रेस के सामने टिकट के दावेदारों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालात यह है कि हर विधानसभा क्षेत्र से टिकट के लिए 5-5 उम्मीदवार सामने आ रहे हैं। ये उम्मीदवार समय-समय पर अपना शक्ति प्रदर्शन करते हुए अपनी स्थिति को और मजबूत करने में लगे रहते हैं। प्रदेश में पार्टी के  स्तर पर निकाली गई 'मेरा बूथ मेरा गौरव' कार्यक्रम के दौरान राज्य के करीब 1 दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में टिकटार्थियों के बीच विवाद की स्थिति रही है। ये कार्यक्रम टिकटार्थियों के लिए अखाड़ा बनता नजर आया।

जंगल में मोर नाचा किसने देखा- कटियार

वसुंधरा राजे की सुराज गौरव यात्रा से पहले 
भाजपा की ओर से घोषित किए गए प्रवक्ता और पैनालिस्ट मुस्तैद हो गए हैं
जयपुर । मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सुराज गौरव यात्रा से पहले भाजपा की ओर से घोषित किए गए प्रवक्ता और पैनालिस्ट मुस्तैद हो गए हैं। प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी की ओर से दी गई नियुक्ति के बाद आज सुबह से ही पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं की आवाजाही तेज हो गई। सैनी जिन नए लोगों को दायित्व मिला उनमें से अधिकतर ने पार्टी मुख्यालय में आकर पदभार संभाल लिया।

जयपुर । मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सुराज गौरव यात्रा से पहले भाजपा की ओर से घोषित किए गए प्रवक्ता और पैनालिस्ट मुस्तैद हो गए हैं। प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी की ओर से दी गई नियुक्ति के बाद आज सुबह से ही पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं की आवाजाही तेज हो गई। सैनी जिन नए लोगों को दायित्व मिला उनमें से अधिकतर ने पार्टी मुख्यालय में आकर पदभार संभाल लिया।



प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी विमल कटियार ने अपने समर्थकों के साथ आकर पदभार ग्रहण किया। वहीं प्रवक्ताओं में शामिल पंकज मीणा सहित कई अन्य प्रवक्ताओं ने भी पदभार संभाल लिया। बुधवार देर रात प्रदेश भाजपा में 8 प्रवक्ता और 12 पैनालिस्ट और मीडिया प्रभारी व सहप्रभारी की घोषणा की गई थी। जिसके बाद अब पद की लालसा रखने वाले भाजपा नेताओं की उम्मीदें बढ़ गई है।



मीडिया विभाग में वक्ताओं और पैनालिस्ट का ऐलान होने के बाद अब अन्य पदों पर भी जल्द ही नियुक्तियां हो सकती है। खासतौर पर दो प्रदेश महामंत्री और कुछ पदाधिकारियों के ऐलान होने की संभावना प्रबल है। वहीं मोर्चो और विभागों में भी नए लोगों को दायित्व दिया जा सकता है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की सुराज गौरव यात्रा से पहले ये नियुक्तियां हो सकती हैं।



जंगल में मोर नाचा किसने देखा- कटियार
प्रदेश भाजपा मीडिया प्रभारी का पदभार ग्रहण करने के दौरान बड़ी संख्या में कटियार के समर्थक मौजूद रहे। वहीं कटियार की पूरानी टीम में शामिल भाजपा नेताओं ने भी इस दौरान यहां मौजूद रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। हालांकि पद संभालने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कटियार ने कहा कि पार्टी सबका साथ सबका विकास के नारे पर आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि मीडिया के जरीए ही सरकार के काम जनता तक जाएं। उन्होंने कहा कि बिना मीडिया के राजनीतिक दलों की स्थिति 'जंगल मे मोर नाचा किसने देखा' जैसी हो जाती है। 

भाजपा ने प्रदेश में संगठन के मुखिया के तौर पर मुखौटा तो बदल दिया है, लेकिन वजीर और पियादे अब भी वसुंधरा के ही हैं

राज्य में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा में मुखौटा तो बदल गया है। लेकिन वजीर से लेकर हर पियादे वसुंधरा राजे के ही हैं। वसुंधरा के यही भरोसेमंद सिपाही हर सियासी मोर्चे पर खड़े हो रहे हैं।

जयपुर । विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने प्रदेश में संगठन के मुखिया के तौर पर मुखौटा तो बदल दिया है, लेकिन वजीर और पियादे अब भी वसुंधरा के ही हैं। वसुंधरा भी इन्हीं सिपाहियों पर  भरोसा करके सियासी रण की तरफ एक-एक कदम बढ़ा रही हैं। 4 अगस्त से निकाली जाने वाली चुनावी रथ यात्रा सुराज गौरव में भी वसुंधरा के भरोसेमंदों का मैनेजमेंट देखने को मिल सकता है।

मुख्यमंत्री वसुंधरा की चार अगस्त से सुराज गौरव यात्रा शुरु होने जा रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस यात्रा को लेकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वसुंधरा अपने भरोसेमंद अशोक परनामी को दे सकती हैं। पार्टी के जानकारों का कहना है कि वसुंधरा के करीबियों में से एक होने के साथ ही परनामी प्रदेश की स्थितियों को बेहतर रुप से समझते हैं। यही वजह है कि प्रदेश में घूमने वाली मुख्यमंत्री वसुंधरा के चुनावी रथयात्रा के 'सारथी' की भूमिका परनामी निभा सकते हैं। क्योंकि, रथयात्रा शुरू होने को लेकर की जाने वाली तैयारियों पर परनामी की नजर बनी हुई है। चारभुजा नाथ मंदिर के पास सभा स्थल आदि का जायजा लेने गए मंत्रियों और पदाधिकारियों की टीम में अशोक परनामी भी प्रमुख रुप से शामिल थे।

सैनी नहीं कर पाए टीम की घोषणा
प्रदेश भाजपा की कमान संभाले मदनलाल सैनी को करीब 20 दिन से अधिक हो गए हैं। इसके बाद भी अभी तक सैनी अपनी नई टीम की घोषणा नहीं कर सके हैं। पहले माना जा रहा था कि पार्टी अध्यक्ष अमितशाह के राजस्थान दौरे से पहले सैनी अपनी नई टीम की घोषणा कर देंगे। लेकिन, वे निर्धारित समय तक अपनी टीम की घोषणा नहीं कर सके।

ऐसे में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी परनामी के समय के पुराने चेहरे ही बैठक में नजर आए। अभी तक संगठन के नाम पर केवल जिला संगठन प्रभारियों की ही अदला-बदली हो पाई है। मदनलाल सैनी की ओर से अभी तक टीम की घोषणा नहीं कर पाने के मामले में सियासी चर्चाओं की दौर शुरू हो चुका है। राजनीति में एक धड़ा मानने लगा है कि सैनी टीम की घोषणा करने में काफी देरी कर रहे हैं।

मानसून सत्र में जयपुर की सभी काॅलोनियों में 20 हजार पेड़ लगाएगी कांग्रेस

जनता की सुनने वाला कोई नहीं है। भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला है, जनता कांग्रेस के साथ खड़ी है तथा भाजपा सरकार को सबक सिखाने के लिए चुनाव का इंतजार कर रही है।
जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं जयपुर जिलाध्यक्ष प्रतापसिंह खाचरियावास ने  बनीपार्क ब्लाॅक और सिविल लाइंस ब्लाॅक कांग्रेस के बूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जनता संपर्क अभियान के तहत कार्यकर्ता अपने-अपने भागों की सभी काॅलोनियों में मतदाताओं को जोड़ें।
खाचरियावास ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब कांग्रेस कार्यकर्ता को घर-घर जाकर मतदाता सूचियों में नव मतदाताओं को जोड़कर तथा मतदाता सूचियों को पूरी तरह से ठीक करके भाजपा के षड्यंत्र का जवाब देना है।

खाचरियावास ने कहा कि भाजपा के पिछले साढ़े चार वर्ष के शासन से आम आदमी पूरी तरह त्रस्त और परेशान है। भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला है, राशन का गेहूं मिलता नहीं है, कानून व्यवस्था चौपट हो गई है। सरेआम लूट, डकैती, दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं, महंगाई कमर तोड़ रही है, पेट्रोल-डीजल के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं, जनता की सुनने वाला कोई नहीं है। जनता कांग्रेस के साथ खड़ी है तथा भाजपा सरकार को सबक सिखाने के लिए चुनाव का इंतजार कर रही है।

 खाचरियावास ने कहा कि कांग्रेस पार्टी जनता संपर्क अभियान के दौरान जयपुर के प्रत्येक भाग में स्थित काॅलोनियों में काॅलोनीवाइज 10 पेड़ लगाएगी। पेड़ लगाओ-जीवन बचाओ अभियान में कांग्रेस पार्टी अब तक जयपुर में 3000 पेड़ लगा चुकी है। आने वाले समय में प्रत्येक काॅलोनी के भागों में 10-10 पेड़ लगाए जाएंगे। इस तरह जयपुर के लगभग दो हजार भागों में बीस हजार पेड़ लगाने का अभियान पूरे मानसून सत्र में चलेगा।
 सिविल लाइंस विधानसभा क्षेत्र की बूथ कार्यकर्ता मीटिंग में जिलाध्यक्ष-प्रतापसिंह खाचरियावास, बनीपार्क ब्लाॅक अध्यक्ष-मनोज मुदगल, सिविल लाइंस ब्लाॅक अध्यक्ष-साधूराम शर्मा, विमल यादव, ओम राजोरिया, महेश शर्मा, पार्षद-लक्ष्मणदास मोरानी, खातून बानो आदि मौजूद थे।

बुधवार, 25 जुलाई 2018

पाखंडी संतों को ग्रंथों से परखो— संत उमाकांत

 बाबा जयगुरु देव महाराज के आध्यात्मिक उत्त​राधिकारी
जयपुर। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कल संत उमाकांत जी महाराज अपने शिष्यों एवं आमजन को दुख निवारण के ज्ञान देंगे। बाबा जयगुरु देव महाराज के आध्यात्मिक उत्त​राधिकारी महाराज उमाकांत ने कहा कि यहां के भक्तों के बुलावे पर वे उज्जैन से यहां आए हैं। यहां भांकरोटा में बुधवार को एक कार्यक्रम में उपस्थित मीडियाकर्मियों को उन्होंने बताया कि आने वाले समय में हवा और भी जहरीली हो जाएगी। लोगों के किए पाप कार्य के पत्थर ओलों का रूप लेकर आकाश से बरसेंगे। पापा से धरती हिलेगी और भूकंप भी आएंगे। इसलिए सभी को धर्म के मार्ग पर आना होगा।


अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि लोग कितना भी रुपया पैसा कमाते हैं, लेकिन उन्हें बरकत नहीं मिल रही। घर—घर में बीमारियां, लडाई झगडे बढते जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण अधर्म का बढना है। मानव जाति अब पशु पक्षियों को मारकर खाने लगा है। जगजाहिर के सवाल पर महाराज बोले कि हमारे ग्रंथों में संतों को परखने के गुण बताए गए हैं। उन ग्रं​थों के आधार पर गैर संतों को पहचानो। कौन सही है और कौन गलत, इसकी पहचान होनी चाहिए।

एक कैंपस के भीतर 29 बच्चियों के साथ बलात्कार होता रहा और नीतीश कुमार सरकार सोती रही

बिहार की नीतीश कुमार सरकार इस मामले में चुप रही. वहीं बिहार का मीडिया और मुज़फ़्फ़रपुर का नागरिक समाज भी 29 बच्चियों के साथ हुए बलात्कार के इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए है.

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में एक बालिका गृह है. इसे चलाते हैं एनजीओ और सरकार पैसे देती है. इस बालिका गृह में भटकी हुईं लड़कियों को लाकर रखा जाता है, जिनका कोई ठिकाना नहीं होता है, मां-बाप नहीं होते हैं.

इस बालिका गृह में रहने वाली लड़कियों की उम्र 7 से 15 साल के बीच बताई जाती है. टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेस जैसी संस्था ने इस बालिका गृह का सोशल ऑडिट किया था जिसमें कुछ लड़कियों ने यौन शोषण की शिकायत की थी.

उसके बाद से 28 मई को एफआईआर दर्ज हुई और कशिश न्यूज़ चैनल ने इस ख़बर को विस्तार से कवर किया. यहां रहने वाली 42 बच्चियों में से 29 के साथ बलात्कार और लगातार यौन शोषण के मामले की पुष्टि हो चुकी है.

एक कैंपस में 29 बच्चियों के साथ बलात्कार का नेटवर्क एक्सपोज़ हुआ हो और अभी तक मुख्य आरोपी का चेहरा किसी ने नहीं देखा है. पुलिस की कार्रवाई चल रही है मगर उसी तरह चल रही है जैसे चलती है. मई से जुलाई आ गया और पुलिस मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर को रिमांड पर नहीं ले सकी.

इस मामले को शिद्दत से कवर करने वाले संतोष सिंह को राजधानी पटना की मीडिया की चुप्पी बेचैन कर रही है. वे हर तरह से समझना चाहते हैं कि एक कैंपस में 29 बच्चियों के साथ बलात्कार का एक पूरा नेटवर्क सामने आया है जिसमें राजनीति, न्यायपालिका, नौकरशाही और पत्रकारिता सब धूल-मिट्टी की तरह लोट रहे हैं फिर भी मीडिया अपनी ताकत नहीं लगा रहा है.

रिपोर्टर काम नहीं कर रहे हैं. संतोष को लगता है कि पूरा तंत्र बलात्कारी के साथ खड़ा है. इस मामले को लेकर विधानसभा और लोकसभा में हंगामा हुआ है मगर रस्म-ए-अदाएगी के बाद सब कुछ वहीं है. ख़बर की पड़ताल ठप है तब भी जब 11 में से 10 लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं.

‘जिस बालिका गृह में 42 में से 29 लड़कियों के साथ बलात्कार हुआ हो, यह कैसे संभव है कि वहां हर महीने जांच के लिए जाने वाले एडिशनल ज़िला जज के दौरे के बाद भी मामला सामने नहीं आ सका. बालिका गृह के रजिस्टर में दर्ज है कि न्यायिक अधिकारी भी आते थे और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी के लिए भी सप्ताह में एक दिन आना अनिवार्य हैं.’

यह हिस्सा संतोष सिंह के पोस्ट का है. संतोष ने लिखा है कि बालिका गृह की देखरेख के लिए पूरी व्यवस्था बनी हुई है. समाज कल्याण विभाग के पांच अधिकारी होते हैं, वकील होते हैं, सामाजिक कार्य से जुड़े लोग होते हैं.

एक दर्जन से ज़्यादा लोगों की निगरानी के बाद भी 29 बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है. आप जानते हैं कि हाईकोर्ट के अधीन राज्य विधिक आयोग होता है जिसके मुखिया हाईकोर्ट के ही रिटायर जज होते हैं.

बालिका गृहों की देखरेख की ज़िम्मेदारी इनकी भी होती है. मामला सामने आते ही उसी दिन राज्य विधिक आयोग कि टीम बालिका गृह पहुंची. उसकी रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं है.

संतोष सिंह ने लिखा है कि बालिका गृह को चलाने वाला ब्रजेश ठाकुर पत्रकार भी रहा है और पत्रकारों के नेटवर्क में उसकी पैठ है. संतोष समझना चाहते हैं कि क्या इस वजह से मीडिया में चुप्पी है.

बिहार के अख़बारों और चैनलों ने इस ख़बर को प्रमुखता नहीं दी. ज़िला संस्करण में ख़बर छपती रही मगर राजधानी पटना तक नहीं पहुंची और दिल्ली को तो पता ही नहीं चला.

ब्रजेश ठाकुर के कई रिश्तेदार किसी न किसी चैनल से जुड़े हैं. इन रिश्तेदारों की भूमिका स्पष्ट नहीं है. ब्रजेश ठाकुर गिरफ़्तार भी हुआ मगर तीसरे दिन बीमारी के नाम पर अस्पताल पहुंच गया. अस्पताल से ही फोन करने लगा तो बात ज़ाहिर हो गई.

पुलिस को वापस जेल भेजना पड़ा. ब्रजेश ठाकुर के परिवार वालों का कहना है कि रिपोर्ट में उनका नाम इसलिए आया कि उन्होंने पैसा नहीं दिया. न ही समाज कल्याण विभाग के एफआईआर में उनका नाम है. किसी का भी नाम नहीं है. फिर उन्हें निशाना क्यों बनाया जा रहा है.

इस बात की तो पुष्टि हो ही चुकी है कि 29 बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है. यह रिपोर्ट तो झूठी नहीं है. लेकिन 29 बच्चियों के साथ किन लोगों ने लगातार बलात्कार किया है, यह कब पता चलेगा.

ब्रजेश ठाकुर दोषी है या नहीं, यह एक अलग सवाल है मगर जांच नहीं होगी तो पता कैसे चलेगा. जांच कैसे हो रही है, इस पर नज़र नहीं रखी जाएगी तो जांच कैसी होगी, आप समझ सकते हैं. सबके हित में है कि जांच सही से हो.

संतोष सिंह ने ब्रजेश ठाकुर के रिमांड न मिलने पर भी हैरानी जताई है.

‘ऐसा पहला केस देखने को मिला है जिसमें पुलिस ब्रजेश ठाकुर से पुछताछ के लिए रिमांड का आवेदन देती है लेकिन कोर्ट ने रिमांड की अनुमति नहीं दी. पुलिस ने दोबारा रिमांड का आवेदन किया तो कोर्ट ने कहा कि जेल में ही पूछताछ कीजिए. बाद में पुलिस ने कहां कि जेल में ब्रजेश ठाकुर पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं, दो माह होने को है अभी तक वह पुलिस को रिमांड पर नहीं मिला है.’

संतोष की इस बात पर ग़ौर कीजिए.

बिहार सरकार भी इस मामले में चुप रही. टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस ने 23 अप्रैल को बिहार समाज कल्याण विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. फिर भी कोई एक्शन नहीं हुआ.

कशिश न्यूज़ ने इसका खुलासा नहीं किया होता तो किसी को भनक तक नहीं लगती और क्या पता बच्चियों के साथ बलात्कार होते रहता. एक महीने बाद समाज कल्याण विभाग एफआईआर दर्ज करता है.

संतोष ने यह भी लिखा है कि मुज़फ़्फ़रपुर की एसएसपी हरप्रीत कौर ने अगर सक्रियता न दिखाई होती तो इस मामले में थोड़ी बहुत कार्रवाई भी नहीं होती.

आप इसे चाहे जैसे देखें, मगर सिस्टम में इतना घुन लग गया है कि पेशेवर तरीके से कुछ भी होने की कोई उम्मीद नहीं है. वर्षों मुक़दमा चलेगा, किसी को कुछ नहीं होगा. आखिर बिहार का मीडिया और मुज़फ़्फ़रपुर का नागरिक समाज इस सवाल पर चुप क्यों है कि एक कैंपस में 29 बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ है.

उसे यह जानने में दिलचस्पी या बेचैनी क्यों नहीं है कि किन-किन लोगों के सामने इन्हें डरा धमका कर पेश किया गया. क्या ये बलात्कार के लिए बाहर ले जाई गईं या बलात्कारी बालिका गृह के भीतर आए?