बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के लिए कितने गर्व की बात है, जो कोरोना वायरस के संक्रमण से पैदा हुए संकट के इस दौर में देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री उनके मोहताज हो गए हैं। उनको फोन करके उनसे मदद मांग रहे हैं। सोचें, ऐसा सौभाग्य कितने राज्यों के मुख्यमंत्रियों का हो सकता है? केरल ने छोटा-मोटा काम किया है, अपने यहां कोरोना वायरस का संक्रमण रोक दिया है, मरने वालों की संख्या दो पर ही रोक दी, ज्यादातर लोगों को ठीक करके उन्हें घरों को भेज दिया पर क्या किसी मुख्यमंत्री या किसी राज्य के मुख्य सचिव ने उनको फोन किया? नहीं किया!
पर कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, वित्त मंत्रियों, मुख्य सचिवों, उद्यमियों ने नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी को फोन किया है और कहा है कि कोरोना संकट के कारण बिहारी मजदूर उनके यहां से लौट गए हैं सो, नीतीश और मोदी उन्हें मजदूर उपलब्ध कराने में मदद करें। सोचें, आज नीतीश और सुशील मोदी की हैसियत मजदूर सप्लाई करने वाले देश के सबसे बड़े ठेकेदार की हो गई है। पता नहीं दोनों को शर्म आई या नहीं पर कायदे से यह चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात है कि दोनों ने अपने 15 साल के राज में बिहार को मजदूर सप्लाई करने वाली फैक्टरी बना दिया है और खुद उसके सबसे बड़े ठेकेदार बन गए हैं। ध्यान रहे कोई बिहार से डॉक्टर नहीं मांग रहा है, मेडिकल उपकरण नहीं मांग रहा है, कोरोना को रोकने का नुस्खा नहीं मांग रहा है, न किसी तरह की प्रशासकीय मदद मांग रहा है, सिर्फ मजदूर मांग रहा है, यह नीतीश के 15 साल के सुशासन की हकीकत है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने नीतीश को फोन करके कहा कि वे बिहारी मजदूरों से अपील करें कि वे पंजाब में जहां भी हैं वहां रहें, राज्य सरकार उनके हितों का पूरा ध्यान रखेगी। असल में पंजाब को इस बात की चिंता है कि रबी की फसल तो जैसे तैसे निपट जाएगी, पर अगर मजदूर नहीं रूके या नहीं लौटे तो खरीफ की मुख्य फसल यानी धान की रोपनी ही नहीं हो पाएगी। इसलिए कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने फोन किया और वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने अपील की।
उधर तेलंगाना के मुख्य सचिव ने बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को फोन किया और कहा कि सारे बिहारी मजदूर राज्य छोड़ कर चले गए हैं या जाने वाले हैं। उन्हें या तो रोका जाए या जो लौट गए हैं, उन्हें वापस भेजा जाए। इस बारे में बतता हुए सुशील मोदी ने खुद ही कहा कि राजस्थान के कई उद्यमियों ने फोन करके मजदूरों की जरूरत बताई है और मदद मांगी है। यह बात बताने का उनका भाव कतई शर्म वाला नहीं था। वे गर्व से भरे हुए थे कि उद्यमी उनसे मदद मांग रहे हैं। निश्चित रूप से ये दोनों सबको बता भी रहे होंगे कि ये तो खुद ही नहीं चाहते हैं कि मजदूर वापस लौटें पर योगी आदित्यनाथ का क्या करें, जिन्होंने बसों में भर कर मजदूरों को गांव पहुंचा दिया।

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