गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

मिर्धा अपहरण कांड के दोषी आतंकी को हाईकोर्ट ने कोरोना विशेष पैरोल देने से किया इनकार

जयपुर । राज्य सरकार ने राजेन्द्र मिर्धा अपहरण कांड के अभियुक्त हरनेक सिंह को कोरोना के तहत 28 दिन के विशेष पैरोल पर रिहा करने से इंकार कर दिया है । हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए हरनेक सिंह की याचिका पर सुनवाई 8 मई तक टाल दी है ।

राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि गत 17 अप्रैल को पैरोल कमेटी की बैठक में हरनेक सिंह सहित तीन अन्य कैदियों की स्वीकृत पैरोल रद्द की गई है । 

हरनेक सिंह की ओर से याचिका में कहा गया है कि वह 25 अप्रैल 2020 तक 13 साल 7 महीने और 29 दिन की सजा काट चुका है । उसे पहला पैरोल 3 अगस्त, 2019 से 22 अगस्त 2019 तक मिला था और उसने समय पर जेल में सरेंडर कर दिया था । कोरोना संक्रमण के कारण सुप्रीम कोर्ट ने जेलों से भीड कम करने के लिए बंदियों को विशेष पैरोल पर रिहा करने के निर्देश दिए हैं । सरकार ने पहले उसे पैरोल देने की सूची में रखा था, लेकिन 17 अप्रैल की बैठक में बिना कोई कारण बताए पैरोल देने से इनकार कर दिया ।


गौरतलब है कि आतंकियों ने 17 फरवरी 1995 को कांग्रेस नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा का सी स्कीम स्थित उनके घर से अपहरण कर लिया था । आतंकियों ने खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेन्द्र पाल सिंह भुल्लर को रिहा करने की मांग की थी । पुलिस ने मॉडल टाउन कॉलोनी के एक मकान में छापा मारकर मारा था । यहां हुई गोलीबारी में आतंकी नवनीत कादिया की मौत हो गई थी जबकि दयासिंह लाहौरिया उसकी पत्नी सुमन सूद और हरनेक सिंह फरार हो गए थे । 

लाहौरिया और सुमन सूद को 3 फरवरी 1997 को अमेरिका से प्रत्यर्पित करके भारत लाया गया था । कोर्ट ने लाहौरिया को आजीवन कारावास और सुमन सूद को पांच साल की कैद की सजा से दंडित किया था जबकि हरनेक सिंह को 2004 में पंजाब पुलिस ने गिरफतार किया था और 26 फरवरी 2007 को राजस्थान पुलिस को सौंपा था । एडीजे कोर्ट ने 7 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी ।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें