विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्लुएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि किसी भी वायरस का टीका तैयार करने में समय लगता है। उन्होंने याद दिलाया है कि इबोला का टीका दस साल में बना था और जीका वायरस का टीका तैयार करने में भी दो साल लगे थे। इस बीच यह भी खबर आई है कि कोविड-19 का टीका अगले साल यानी 2021 के अंत तक भी तैयार हो जाए तो बड़ी बात होगी। हालांकि दूसरी तरफ बिल्कुल इससे उलट दावे किए जा रहे हैं। तभी तभी यह सवाल है कि सबसे पहले वैक्सीन किस कंपनी की आएगी और कब तक आएगी?
भारत में सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया इस पर काम कर रही है। इसे 1966 में साइरस पूनावाला से शुरू किया था और इस समय यह दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन बनाने वाली कंपनी है। यह कंपनी डेढ़ अरब टीके तैयार करती है और दुनिया के 65 फीसदी बच्चों को सीरम इंस्टीच्यूट से बने टीके लगते हैं। इस कंपनी के सीईओ आदर पूनावाला ने बहुत बड़ा जोखिम लेने का फैसला किया है। वे अंतिम परीक्षण से पहले ही टीके का निर्माण शुरू करने की तैयारी में हैं। सीरम इंस्टीच्यूट इस समय ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और अमेरिका की बायोटेक कंपनी कोडाजेनिक्स के साथ दो प्रयोग कर है और तीसरा अपने बीसीजी टीकों में बदलाव करने कुछ परीक्षण कर रही है। अगर परीक्षण सफल रहा तो कंपनी सितंबर-अक्टूबर तक टीका बाजार में ला देगी, जिसकी कीमत एक हजार रुपए होगी।
उधर लंदन में ऑक्सफोर्ड के जेनर इंस्टीच्यूट में भी क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो गया है। उसे भी सितंबर तक वैक्सीन बाजार में लाने की उम्मीद है। अमेरिका के सिएटल में पिछले महीने वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू हो गया। पशुओं पर होने वाले परीक्षण के चरण को छोड़ कर सीधे इंसानों पर परीक्षण हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय दवा कंपनी सैनोफी और जीएसके वैक्सीन लाने की तैयारी में लगे हैं। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने दो तरह के ट्रायल शुरू कर दिए हैं। चीन में वैक्सीन के कम से कम तीन ट्रायल होने की खबर है। इसके बावजूद यह पक्का नहीं है कि किसकी वैक्सीन कब आएगी। हैरानी की बात है कि इसकी टाइमलाइन इस साल सितंबर से लेकर अगले साल दिसंबर तक बताई जा रही है।

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