कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। सरकारी बाबुओं की प्रेस कांफ्रेंस में रोज किए जाने वाले दावों से अलग इस बीमारी की हकीकत कुछ और है। पिछले एक हफ्ते से ज्यादा समय से हर दिन डेढ़ हजार मामले औसतन आ रहे हैं। देश के अलग अलग हिस्सों में नए हॉटस्पॉट बन रहे हैं। नए इपीसेंटर उभर रहे हैं। मुंबई, अहमदाबाद, इंदौर, दिल्ली आदि शहरों की हालत खराब है। दक्षिण भारत में केरल को छोड़ दें तो बाकी चारों राज्यों- कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में लगातार मामले बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद कोरोना की लड़ाई को लेकर बहुत भारी कंफ्यूजन बना हुआ है। किसी मामले में स्पष्ट रूप से कोई बात किसी को नहीं पता है और इसकी नतीजा यह हुआ है कि चारों तरफ अटकलें लगाई जा रही हैं।
सबसे पहले इलाज की बात करते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बहुत उत्साह से बताया कि प्लाज्मा थेरेपी से इलाज सफल हुआ है और सरकार प्लाज्मा बैंक बनाने जा रही है ताकि कोरोना वायरस के गंभीर रोगियों का इलाज किया जा सके। इस बीच तबलीगी जमात के लोगों ने प्लाज्मा डोनेट करने की अपील कर डाली और सोशल मीडिया में यह चर्चा शुरू हो गई कि जमात के जिन लोगों पर कोरोना फैलाने का आरोप लगा वे कोरोना वॉरियर्स बन रहे हैं। पर ध्यान रहे प्लाज्मा तकनीक से इलाज केरल में भी सफल रहा है और इंदौर में भी इसका परीक्षण चल रहा है। पर इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कह दिया कि इससे इलाज खतरनाक हो सकता है और इसलिए अभी इससे इलाज नहीं करना है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि इससे इलाज करना गैरकानूनी है।
सवाल है कि जिस तकनीक से पहले कई तरह के वायरस का इलाज हो चुका है, जिसका इंसान पर प्रयोग सफल हो चुका है, दुनिया के कई और देशों में भी यह प्रयोग सफल हुआ है वह कैसे खतरनाक और गैरकानून है? ध्यान रहे इस तकनीक से दूसरे कई वायरसों से होने वाली बीमारी का इलाज हुआ है। दूसरे अगर यह खतरनाक है तो इंसानों पर इसके परीक्षण की इजाजत कैसे दी गई है?
यह सब स्पष्ट करने की जरूरत किसी ने नहीं समझी और अचानक इसे खतरनाक और गैरकानून बता कर यह संकेत दे दिया गया कि इससे अभी इलाज नहीं होगा और इसलिए तबलीगी जमात या किसी और समूह से लेकर प्लाज्मा बैंक बनाने की जरूरत नहीं है। सो, अब यह कंफ्यूजन बना हुआ है कि इस तकनीक से इलाज होगा या नहीं और होगा तो कब से होगा।
इसी तरह का कंफ्यूजन टेस्ट किट्स को लेकर है। सरकार ने रैपिड टेस्टिंग किट से कोरोना वायरस की जांच रूकवा दी है और चीन से मंगाई गई किट्स को वापस करने का ऐलान किया है। पर अब भी कई कंपनियों के पास चीन की उन्हीं कंपनियों से किट्स आयात करने का लाइसेंस है, जिनकी किट वापस की जा रही है। यह भी कंफ्यूजन है कि क्या अब आगे किसी विदेशी किट से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट नहीं होगा? स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि मई से भारत में किट बनने लगेगी और उसके बाद भारत अपने ही किट से आरटी-पीसीआर और रैपिड टेस्ट दोनों करेगी। यह भी कहा गया है कि 31 मई से देश में एक लाख टेस्ट रोज होंगे। तब भी यह सवाल अपनी जगह है कि उससे पहले या उसके बाद में भी किसी विदेशी किट का इस्तेमाल भारत में होगा या नहीं? जिन कंपनियों के पास लाइसेंस है वे आयात करेंगी या नहीं? जो कंफ्यूजन रैपिड टेस्टिंग किट पर है वहीं पीपीई किट्स पर भी है। वैक्सीन को लेकर तो खैर है ही।
इसके बाद सबसे बड़ा कंफ्यूजन लॉकडाउन पर है। 27 अप्रैल को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद यह कंफ्यूजन और बढ़ गया है। उस बैठक में किसी बात पर सहमति नहीं बनी। तभी अलग अलग किस्म की खबरें आईं। अब किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि किस किस्म का लॉकडाउन अभी लागू है और तीन मई के बाद कैसा लॉकडाउन लागू होगा। सरकार ने 20 अप्रैल के बाद छूट देनी शुरू की है। कई तरह की गैर जरूरी वस्तुओं की दुकानें खोलने की अनुमति दे दी गई है। पर आम लोग उन दुकानों तक कैसे जाएंगे? रास्ते में पुलिस डंडे लेकर खड़ी है। यह क्लासिकल दुविधा है कि दुकानें खुलें पर लोग लॉकडाउन में रहें!
तीन मई के बाद क्या होगा, यह भी किसी को समझ में नहीं आ रहा है। पूरे देश को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांट दिया गया है। इन तीनों जोन में अलग अलग किस्म से लॉकडाउन लागू होगा। रेड जोन में पूरी तरह से बंदी होगी और ऑरेंज व ग्रीन जोन में छूट दी जाएगी। अगर ऐसा करना है तो इसके लिए ज्यादा समग्रता से नीतियां बनानी होगीं क्योंकि जरूरी नहीं है कि जिसका काम ऑरेंज जोन में है वह उसी जोन में रहता भी हो। यानी लोगों की आवाजाही के बारे में कुछ नियम सुनिश्चित करने होंगे। रेड जोन का आदमी बाकी दूसरे जोन में कैसे जा सकता है यह देखना होगा। जिस तरह से दिल्ली-नोएडा या दिल्ली-गुड़गांव सीमा सील की जा रही है उसमें तो नहीं लग रहा है कि आवाजाही की कोई व्यवस्था बन सकती है। इसी तरह सरकार ने गैर जरूरी सामानों की कुछ दुकानों को खोलने की इजाजत दे दी है पर यह स्पष्ट नहीं है कि उनकी सप्लाई चेन का क्या होगा? क्या गैर जरूरी सामानों के उत्पादन और सप्लाई दोनों की भी इजाजत दी गई है? कुल मिला कर अभी लागू लॉकडाउन और तीन मई के बाद की स्थिति को लेकर बहुत ज्यादा कंफ्यूजन है।






















