प्रसिद्ध मंदिरों में राजनीतिज्ञों का आना-जाना और वहां के श्रद्धालुओं को साधने की कोशिश करने का फॉर्मूला कोई नया नहीं है। मंदिर ही वो मंच होता है जहां श्रद्धालू सबसे ज्यादा पहुंचते हैं और मंदिर के हर कार्यक्रम में भाग लेते हैं। राजनेताओं के नजरिए में ये श्रद्धालू वोटर होते हैं। ऐसे में उन्हें साधने के लिए मंदिरों में राजनेता शीश झुकाते दिखते हैं।
जयपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी राजस्थान विधानसभा चुनाव का शंखनाद जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर से करने जा रहे हैं। गुजरात की तर्ज पर वे राजस्थान में भी सॉफ्ट हिन्दूत्व पर काम करेंगे। लेकिन राहुल ने जयपुर के मोति डूंगरी मंदिर को ही क्यों चुना, आखिर क्यों वसुंधरा राजे का भी इस मंदिर से विशेष लगाव है। तो क्या जनता के सहारे नहीं मंदिरों के सहारे सप्ता प्राप्ति ।मोती डूंगरी गणेश मंदिर देश के ख्यातीनाम ऐतिहासिक मंदिरों में शुमार है। यह वही मंदिर है जहां साल के 12 महीनों प्रदेश की मुखिया का आना-जाना लगा रहता है। हालांकि वसुंधरा राजे अपनी चुनावी यात्रा की शुरूआत चारभुजा नाथजी से करती हैं। लेकिन उनकी मोती डूंगरी गणेश मंदिर में गहरी आस्था है। खासतौर पर गणेश चतुर्थी के मौके पर वसुंधरा राजे इस मंदिर में दर्शन करने जरूर आती हैं।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर के प्रति जयपुर ही पूरे राजस्थान वासियों की भी गहरी आस्था है। आए दिन मंदिर में दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें वहां लगती हैं। गणेश चतुर्थी के मौके पर सबसे ज्यादा भीड़ इसी मंदिर में होती है। हॉलिवुड, बॉलिवुड से लेकर देश की राजनीति के कई कद्दावर नेता जब भी जयपुर आते हैं मोती डूंगरी गणेश मंदिर में जरूर जाते हैं।
प्रसिद्ध मंदिरों में राजनीतिज्ञों का आना-जाना और वहां के श्रद्धालुओं को साधने की कोशिश करने का फॉर्मूला कोई नया नहीं है। मंदिर ही वो मंच होता है जहां श्रद्धालू सबसे ज्यादा पहुंचते हैं और मंदिर के हर कार्यक्रम में भाग लेते हैं। राजनेताओं के नजरिए में ये श्रद्धालू वोटर होते हैं। ऐसे में उन्हें साधने के लिए मंदिरों में राजनेता शीश झुकाते दिखते हैं।
गुजरात चुनावों में प्रचार के दौरान राहुल गांधी मंदिरों-शिवालयों में जाते हुए दिखाई दिए थे। वहीं वे राजस्थान में भी इस बार सॉफ्ट हिन्दूत्व को ध्यान में रखते हुए मंदिरों में जाते दिखेंगे। इससे पहले राजस्थान में जब भी चुनाव होते हैं विभिन्न दलों के नेता अपनी जीत की कामना लेकर मोती डूंगरी श्रीगणेश मंदिर जरूर आते हैं।
राहुल गांधी के दौरे के रणनीतिकार ये जानते हैं कि सबसे ज्यादा भीड़ कौनसे मंदिरों में जुटती है। वैसे किसी भी अच्छे काम की शुरूआत श्रीगणेश से होती है। इसलिए मोती डूंगरी मंदिर को उनकी पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान में पहली चुनावी यात्रा के लिए चुना गया है। जानकारों की मानें तो वसुंधरा राजे का राजनीतिक करियर भी इसी मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद चमका था।
राजस्थान में कांग्रेस बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस आशावान है राजस्थान के चुनावी इतिहास से। क्योंकि यहां पिछले ढाई दशक से हर बार सत्ता परिवर्तन होता आया है। गुजरात की तर्ज पर राहुल गांधी यहां भी धुआंधार प्रचार में जुटेंगे। इसलिए सबसे पहले वे मोती डूंगरी गणेश मंदिर और फिर जयपुर के अराध्यदेव गोविंद देवजी के दर्शन करेंगे।

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