देश में जिस तरह से बोफोर्स कांड को लेकर कांग्रेस राजनीतिक पटल पर हमेशा घिरती रही है। वैसे ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफैल डील को लेकर भाजपा और मोदी सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं।
जयपुर . देश में बोफोर्स घोटाले को लेकर कांग्रेस, खासतौर पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कुर्ते पर लगे दाग से पार्टी अभी तक मुक्त नहीं हो पाई है. भले ही इस मामले में सीबीआई जांच के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने राजीव गांधी को 2004 में क्लीनचिट दे दिया हो. लेकिन, इस घोटाले की गूंज राजनीति के गलियारों मे दो दशक के बाद भी बनी हुई है. ठीक ऐसे ही एक घोटाले को लेकर इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी खूब हल्ला कर रहे हैं. बोफोर्स के बदले राहुल गांधी राफैल स्कैम पर आक्रमक हो रहे हैं. वे इस डील में घोटाले की बात कहते हुए इसे पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा के भगवे पर चिपकाने में लगे हैं.
अपनी हर सभा से लेकर संसद तक में राहुल राफैल घोटाले को लेकर चीख रहे हैं. वे सभा के दौरान इस डील की एक-एक परत को हटाते हुए घोटाला कैसे हुआ इसके तथ्य भी बताते नजर आ जाते हैं. अब तक इस मुद्दे पर अकेले ही आवाज बुलंद कर रहे थे. वहीं अब उन्होंने सभी जिला मुख्यालयों पर इस संबंध में विरोध-प्रदर्शन करने के निर्देश भी दे दिये हैं. यानि यह कि आगामी चुनावों से पहले राहुल गांधी इस घोटाले को देशभर में प्रचारित कर इसे भुनाना चाहते हैं. ये ठीक वैसा है जैसा भाजपा ने बोफोर्स घोटाले को लेकर किया था.
इस घोटाले को चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी ने मुख्य हथियार बनाकर भ्रष्टाचार के कठघरे में कांग्रेस को खड़ा किया था. जिसका फायदा पार्टी को मिला भी. आप को बता दें कि 1986 हथियार बनाने वाली स्वीडन की एक कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना से सौदा किया था. इसमें 400 तोपें सप्लाई करने के लिए 8380 करोड़ का सौदा किया था. 1987 में स्वीडिश रेडियो ने खुलासा किया था कि इस डील के लिए कंपनी ने 64 करोड़ रुपए की दलाली भारत में दी थी. इसके बाद ये मुद्दा इतना तूल पकड़ा कि 1989 में राजीव गांधी की सरकार गिर गई थी. इस मुद्दे को प्रतिद्वंदी भाजपा ने हर चुनाव में भुनाया.
उसी प्रकार से अब कांग्रेस राफैल डील का दाग मोदी सरकार और भाजपा पर लगाना चाहती है. इस डील की बात करते हुए राहुल गांधी कहते हैं कि इस हवाईजहाज को लेकर यूपीए ने 540 करोड़ प्रति हवाई जहाज के नाम से एचएएल को कांट्रेक्ट दिया था. आरोप लगाया है कि मोदी सरकार बनने के बाद पीएम ने इस डील को फ्रांस की कंपनी को दे दिया है. साथ ही एक हवाईजहाज की कीमत 1600 करोड़ रुपए होने की बात कहते हुए इसमें घोटाला होने का आरोप लगाया है.
इस मुद्दे को लेकर अब राहुल गांधी हर मंच से पीएम मोदी को घेरने में लगे हैं. अब दिल्ली में हुई एक बैठक के बाद राहुल ने सभी जिला मुख्यालयों पर इस संबंध में प्रदर्शन करने को भी कहा है. जिसके बाद कांग्रेस इस मुद्दे पर हर जिले से मोदी सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि राहुल राफैल को बोफोर्स की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं. जिससे चुनाव के दौरान इस मुद्दे पर वे मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर सकें.
जयपुर . देश में बोफोर्स घोटाले को लेकर कांग्रेस, खासतौर पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कुर्ते पर लगे दाग से पार्टी अभी तक मुक्त नहीं हो पाई है. भले ही इस मामले में सीबीआई जांच के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने राजीव गांधी को 2004 में क्लीनचिट दे दिया हो. लेकिन, इस घोटाले की गूंज राजनीति के गलियारों मे दो दशक के बाद भी बनी हुई है. ठीक ऐसे ही एक घोटाले को लेकर इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी खूब हल्ला कर रहे हैं. बोफोर्स के बदले राहुल गांधी राफैल स्कैम पर आक्रमक हो रहे हैं. वे इस डील में घोटाले की बात कहते हुए इसे पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा के भगवे पर चिपकाने में लगे हैं.
अपनी हर सभा से लेकर संसद तक में राहुल राफैल घोटाले को लेकर चीख रहे हैं. वे सभा के दौरान इस डील की एक-एक परत को हटाते हुए घोटाला कैसे हुआ इसके तथ्य भी बताते नजर आ जाते हैं. अब तक इस मुद्दे पर अकेले ही आवाज बुलंद कर रहे थे. वहीं अब उन्होंने सभी जिला मुख्यालयों पर इस संबंध में विरोध-प्रदर्शन करने के निर्देश भी दे दिये हैं. यानि यह कि आगामी चुनावों से पहले राहुल गांधी इस घोटाले को देशभर में प्रचारित कर इसे भुनाना चाहते हैं. ये ठीक वैसा है जैसा भाजपा ने बोफोर्स घोटाले को लेकर किया था.
इस घोटाले को चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी ने मुख्य हथियार बनाकर भ्रष्टाचार के कठघरे में कांग्रेस को खड़ा किया था. जिसका फायदा पार्टी को मिला भी. आप को बता दें कि 1986 हथियार बनाने वाली स्वीडन की एक कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना से सौदा किया था. इसमें 400 तोपें सप्लाई करने के लिए 8380 करोड़ का सौदा किया था. 1987 में स्वीडिश रेडियो ने खुलासा किया था कि इस डील के लिए कंपनी ने 64 करोड़ रुपए की दलाली भारत में दी थी. इसके बाद ये मुद्दा इतना तूल पकड़ा कि 1989 में राजीव गांधी की सरकार गिर गई थी. इस मुद्दे को प्रतिद्वंदी भाजपा ने हर चुनाव में भुनाया.
उसी प्रकार से अब कांग्रेस राफैल डील का दाग मोदी सरकार और भाजपा पर लगाना चाहती है. इस डील की बात करते हुए राहुल गांधी कहते हैं कि इस हवाईजहाज को लेकर यूपीए ने 540 करोड़ प्रति हवाई जहाज के नाम से एचएएल को कांट्रेक्ट दिया था. आरोप लगाया है कि मोदी सरकार बनने के बाद पीएम ने इस डील को फ्रांस की कंपनी को दे दिया है. साथ ही एक हवाईजहाज की कीमत 1600 करोड़ रुपए होने की बात कहते हुए इसमें घोटाला होने का आरोप लगाया है.
इस मुद्दे को लेकर अब राहुल गांधी हर मंच से पीएम मोदी को घेरने में लगे हैं. अब दिल्ली में हुई एक बैठक के बाद राहुल ने सभी जिला मुख्यालयों पर इस संबंध में प्रदर्शन करने को भी कहा है. जिसके बाद कांग्रेस इस मुद्दे पर हर जिले से मोदी सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि राहुल राफैल को बोफोर्स की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं. जिससे चुनाव के दौरान इस मुद्दे पर वे मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर सकें.

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