जहां चुनाव जातिय आधार पर लड़े जा रहे है वहां देखना ये होगा
कि क्या वोटर भी जातिय आधार पर वोट देते है या नहीं।
जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रनेताओं ने नामांकन भर युवा राजनीति की हुकांर भर दी हालांकि हम बात करते है जातिविहिन राजनीति की कमोवेश हर पार्टी भी राजनीति में जातिवाद के खिलाफ होने का दावा करती है हालांकि राजस्थान विश्वविद्यालय में पार्टियों के टिकट वितरण से नामाकंन तक तस्वीर ही कुछ जुदा नजर आई और छात्र राजनीति में भी जातिय बीज अंकुरित होते नजर आए।हम बात कर रहे है सियासत की पहली सिढी की जो कि छात्रसंघ चुनाव से होकर गुजरती है। जिसके बाद ये नेता विधानसभा लोकसभा तक जनता के आवाज बनने का दावां करेत है। लेकिन राजस्थान विश्वविद्याल की जहां छात्रसंघ चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी नामाकंन भरने पहुंचे है और 31 अगस्त को चुनाव होने और परिणाम जारी होने से पहले ही जीत का दावा भी कर रहे है। लेकिन यहां छात्रसंघ चुनाव की पूरी नींव ही जाति के ईर्द-गिर्द नजर आती है जिसके चलते अपेक्स बॉडी के लिए आए 55 आवेदन की पूरी गणित जाति पर टीकी होती है। क्योंकि पूरे छात्रसंघ चुनाव में जाट समाज पर जुआ खेला जा रहा है क्योंकि 18 अध्यक्ष पद के दावेदारों में एबीवीपी और एनएसयुाआई सहित निर्दलियों में चुनाव लड़ने वालों में सबसे ज्यादा जाट समाज से आते है ऐसे में गर्माई छात्र राजनीति में भी गंभीर आरोप लगते नजर आ रहे है दोनों ही संघठनों से बागी लड़ रहे छात्रनेताओं ने संघठन के टिकट बेचने का आरोप भी लगाया है
जातिय समीकरणों की धूरी पर राजस्थान छात्रसंघ विश्वविद्यालय प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला 22677 स्टूडेंट्स पर निर्भर होगा। जिनमें सबसे ज्यादा वोटर महारानी कॉलेज में 6374, फिर कॉमर्स कॉलेज में 4265, राजस्थान कॉलेज में 3586, महाराजा कॉलेज में 2650, शोधार्थी 314 सहित लॉ कॉलेज मॉर्निंग 184, लॉ कॉलेज इवनिंग 328 वोटर और लॉ कॉलेज फाइव इयर में 392 वोटर इन प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
जहां चुनाव जातिय आधार पर लड़े जा रहे है वहां देखना ये होगा कि क्या वोटर भी जातिय आधार पर वोट देत है या नहीं।

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