बुधवार, 8 अगस्त 2018

आखिर अब जनता किससे करे सवाल

 सवालों की सियासत, जनता निरूत्तर
सियासत सवालों में उलझी है और जनता के सामने अब सवाल मुंह बाए खड़े है। आखिर अब जनता किससे करे सवाल रोजगार, किसान, महंगाई, और विकास से जुडे है आमजन के सवाल
जयपुर। प्रदेश की सियासत इन दिनों सवालों में उलझी हुई है। विपक्ष सत्ता पक्ष के सामने सवाल खड़े कर रहा है,तो सत्ता पक्ष विपक्ष को अपनी सरकार के दौरान किए कार्यों का हिसाब देने का राग छेडे हुए है। आखिरकार सवाल अब जनता के सामने भी है। कि उनके सवालों का जवाब कौन देगा।


सवालों में उलझी सियासत चुनावी मुहिम में उतरी पार्टियां सत्ता पक्ष कर रहा विकास के दावे तो विपक्ष मांग रहा सत्ता पक्ष से हिसाब लेकिन इस बीच सियासत उलझी सवालों में कांग्रेस कर रही गौरव यात्रा पर सवाल चालीस सवालों से घेरेगी भाजपा को।


राजस्थान प्रदेश के विकास की गाड़ी इन दिनों सवालों के ट्रेक पर खड़ी है। या यूं कहे कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सामने ही सवाल मुंह बाए खड़े है। और विपक्ष और सत्ता पक्ष जवाब देने की बजाय एक दूसरे से ही सवाल कर रहे है। प्रदेश की सियासत में भी कुछ ऐसा ही है।भाजपा ने राजस्थान में गौरव यात्रा निकालना शुरू की तो कांग्रेस ने चालीस दिन की यात्रा के लिए चालीस सवालों की सूची तैयार कर दी। हर दिन कांग्रेस का सवाल भाजपा से जवाब मांगेगा।


कांग्रेस ने उठाए सवाल तो भाजपा ने भी सवालों के मैदान में दिया जवाब कांग्रेस से मांग लिया चार पीढी तक का हिसाब और जनता के बीच कांग्रेस के सामने रख दिए सवाल ।



कांग्रेस के सवाल की गुगली पर भाजपा ने जमकर शॉट खेलना शुरू कर दिया है। जनता के बीच अब सवाल करने का मुद्दा ज्यादा छाया हुआ है। यहां तक कि कांग्रेस की  40 सवालों की सूची से जब सवाल आने लगे तो भाजपा भी कहां कम थी चालीस सवालों पर जनता को जबाव देने के वादे के साथ कांग्रेस से चार पीढी तक का हिसाब मांग लिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से ही जवाब देने को कहा यहां तक कि जनता को भी पाठ पढाया कि राहुल गांधी दौरे पर आए तो वो कांग्रेस से हिसाब मांगे


 सवालों की सियासत, जनता निरूत्तर
सियासत सवालों में उलझी है और जनता के सामने अब सवाल मुंह बाए खड़े है। आखिर अब जनता किससे करे सवाल रोजगार, किसान, महंगाई, और विकास से जुडे है आमजन के सवाल



सियासत में यूं तो जो सत्ता पक्ष जवाबदेही बनती है कि वो जनता के सवालों का जवाब दे और इसमें विपक्ष की आवाज को भी जनता की ही आवाज माना जाता है। लेकिन क्या सरकार तक ये आमजन के सवाल पहुंच पा रहे है। या फिर विपक्षी खेमा अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभा रहा है। ये भी सवाल अब खडे होने लगे है ।



दावे तो सभी पार्टियां कर रही है। और सवाल भी सभी पार्टियों की जुबान पर है। लेकिन जनता के सवालों का जवाब किसने दिया, ये तो जनता ही तय करेगी। और ये भी तय करेगी, कि आखिर जवाबदेही सरकार कौनसी रही है।


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