राज्य के विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बना रही कांग्रेस की ओर से 24 से संकल्प रैली की शुरुआत की जाएगी। इस रैली की शुरुआत चित्तौड़गढ़ से होगी।
जयपुर । राफेल डील को लेकर गंभीर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस दाग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुर्ते पर चिपकाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। संसद से लेकर मंच तक हर जगह वे राफेल घोटाले को लेकर मोदी को घेर भी रहे हैं। लेकिन, राहुल जिस मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर चुनाव में भुनाना चाहते हैं, वो पीसीसी चीफ सचिन पायलट के संकल्प में शामिल नहीं हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि सचिन पायलट अपने बयान में कह रहे हैं।
दरअसल, पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने 24 अगस्त से चित्तौड़गढ़ से संकल्प रैली शुरू करने की बात कही है। राज्य के 6 संभाग में होने वाली इस रैली में दिल्ली से लेकर प्रदेश स्तर तक के बड़े नेता शामिल होंगे। इसके बाद हर संभाग में बड़ी सभा करने की तैयारी कांग्रेस ने की है। पायलट ने रैली का नाम 'संकल्प' रखने पीछे तीन प्रमुख वजह बताई है। इसके बारे में वे कहते हैं कि संकल्प इस बात का है कि प्रदेश में किसानों की आवाज उठानी है। संकल्प है नौजवानों को नौकरी दिलाने का और संकल्प है भाजपा के कुशासन से मुक्ति दिलाने का। लेकिन, पायलट के इन संकल्पों में से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का संकल्प गायब है। राहुल के उस संकल्प को इसमें स्थान नहीं मिला है, जिसके बल पर वे देशभर में मोदी सरकार को घेरना चाहते हैं।
हाल में दिल्ली में हुई विशेष बैठक के दौरान राहुल ने सभी को जिला मुख्यालयों पर राफेल घोटाले को लेकर विरोध-प्रदर्शन करने के निर्देश दिए हैं। इसके पीछे राहुल की मंशा है कि इस मुद्दे पर वे चहुंओर से मोदी को घेर सकें। यहां के चुनाव का आगाज करने के दौरान भी राहुल ने सबसे ज्यादा जोर राफेल घोटाले पर ही दिया था। बावजूद इसके राहुल के इस राफेल को सचिन पायलट ने अपने संकल्प में शामिल तक नहीं किया है।
जानकारों का कहना है कि जिस तरह से भाजपा ने बोफोर्स घोटाले को मुद्दा बनाकर उसे भुनाया। ठीक वैसा ही राहुल गांधी भी करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि मोदी सरकार के दामन पर राफेल के दाग को इस तरह से लगा दिया जाए, जिसे चाहकर भी हटाया नहीं जा सके। लेकिन, जिस तरीके से राहुल के जाते ही उनका राफेल कांग्रेसी नेताओं के जुबान से गायब हो गया है। उसने कई सवालों को जन्म दे दिया है।
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