छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़े उलटफेर के आसार दिख रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और पूर्व भाजपा सांसद करुणा शुक्ला सूबे की बिलासपुर लोकसभा से कांग्रेस उम्मीदवार हो सकती हैं। राजधानी से लेकर दिल्ली के दस जनपथ में बन रहा एक समीकरण सही पासे पर बैठ गया तो पूर्व भाजपा सांसद करुणा शुक्ला जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो जाएंगी।
यह जानकारी देने वाले कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्र की मानें तो इस हफ्ते की शुरुआत में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से करुणा शुक्ला की मुलाकात भी हो चुकी है। करुणा शुक्ला ने एक चर्चा में सिर्फ इतना ही कहा कि वे सोमवार को दिल्ली जा रही हैं। कांग्रेस प्रवेश के बारे में उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। जानकार बताते हैं की इसी सप्ताह शुक्ला का कांग्रेस प्रवेश सम्भव है। सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों पहले बिलासपुर लोकसभा के लिए अपनी संभावनाओं का जायजा लेने के बाद करुणा शुक्ला पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए थीं।
2013 में राज्य में विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा छोड़ने वाली करुणा शुक्ला कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रचार भी कर चुकीं हैं। भाजपा छोड़ने के बाद करुणा शुक्ला की वापसी की संभावनाएं उस समय समाप्त हो गई थीं, जब पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने छत्तीसगढ़ में खुले मंच से उनका इस्तीफा मंजूर करने की घोषणा की थी। इसके बाद से लेकर अब तक करुणा शुक्ला की वापसी की कोई राह नहीं बन पाई। पार्टी सूत्रों के अनुसार करुणा शुक्ला के कांग्रेस प्रवेश के लिए प्रदेश के कुछ नेता पिछले दिनों से जोड़-तोड़ में लगे थे।
इनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और केंद्रीय मंत्री डॉ चरणदास महंत के नाम भी शामिल हैं। हालांकि इन नेताओं ने करुणा शुक्ला के कांग्रेस प्रवेश को लेकर अभी कुछ नहीं कहा है। करुणा शुक्ला को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की करीबी माना जाता है। 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी जोगी उन्हें कांग्रेस में लाने और टिकट देने के पक्ष में थे। कांग्रेस सूत्रों का मानना है कि यदि उसी समय करुणा शुक्ला कांग्रेस में आ जातीं तो पार्टी के पक्ष में एक महत्वपूर्ण संदेश जाता और इसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता था। कांग्रेस सूत्रों का मानना है कि यदि करुणा शुक्ला कांग्रेस में शामिल हो जाती हैं तो मामला सिर्फ एक लोकसभा या छत्तीसगढ़ की राजनीति का नहीं होगा, बल्कि पार्टी देशभर में यह प्रचार कर भाजपा पर निशाना साधने का प्रयास करेगी कि अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी भी अब भाजपा के साथ नहीं है। बताया जाता है कि इस प्रचार का लाभ कांग्रेस को मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि करुणा शुक्ला ने पार्टी में घोर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ने का एलान किया था। प्रदेश के साथ-साथ केंद्रीय नेतृत्व, खासकर पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह पर भी उन्होंने उपेक्षा का आरोप लगाया था। बहरहाल कांग्रेस इसी बहाने प्रदेश में भाजपा को पटकनी देने के फिराक में है।
यह जानकारी देने वाले कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्र की मानें तो इस हफ्ते की शुरुआत में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से करुणा शुक्ला की मुलाकात भी हो चुकी है। करुणा शुक्ला ने एक चर्चा में सिर्फ इतना ही कहा कि वे सोमवार को दिल्ली जा रही हैं। कांग्रेस प्रवेश के बारे में उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। जानकार बताते हैं की इसी सप्ताह शुक्ला का कांग्रेस प्रवेश सम्भव है। सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों पहले बिलासपुर लोकसभा के लिए अपनी संभावनाओं का जायजा लेने के बाद करुणा शुक्ला पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए थीं।
2013 में राज्य में विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा छोड़ने वाली करुणा शुक्ला कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रचार भी कर चुकीं हैं। भाजपा छोड़ने के बाद करुणा शुक्ला की वापसी की संभावनाएं उस समय समाप्त हो गई थीं, जब पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने छत्तीसगढ़ में खुले मंच से उनका इस्तीफा मंजूर करने की घोषणा की थी। इसके बाद से लेकर अब तक करुणा शुक्ला की वापसी की कोई राह नहीं बन पाई। पार्टी सूत्रों के अनुसार करुणा शुक्ला के कांग्रेस प्रवेश के लिए प्रदेश के कुछ नेता पिछले दिनों से जोड़-तोड़ में लगे थे।
इनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और केंद्रीय मंत्री डॉ चरणदास महंत के नाम भी शामिल हैं। हालांकि इन नेताओं ने करुणा शुक्ला के कांग्रेस प्रवेश को लेकर अभी कुछ नहीं कहा है। करुणा शुक्ला को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की करीबी माना जाता है। 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी जोगी उन्हें कांग्रेस में लाने और टिकट देने के पक्ष में थे। कांग्रेस सूत्रों का मानना है कि यदि उसी समय करुणा शुक्ला कांग्रेस में आ जातीं तो पार्टी के पक्ष में एक महत्वपूर्ण संदेश जाता और इसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता था। कांग्रेस सूत्रों का मानना है कि यदि करुणा शुक्ला कांग्रेस में शामिल हो जाती हैं तो मामला सिर्फ एक लोकसभा या छत्तीसगढ़ की राजनीति का नहीं होगा, बल्कि पार्टी देशभर में यह प्रचार कर भाजपा पर निशाना साधने का प्रयास करेगी कि अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी भी अब भाजपा के साथ नहीं है। बताया जाता है कि इस प्रचार का लाभ कांग्रेस को मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि करुणा शुक्ला ने पार्टी में घोर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ने का एलान किया था। प्रदेश के साथ-साथ केंद्रीय नेतृत्व, खासकर पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह पर भी उन्होंने उपेक्षा का आरोप लगाया था। बहरहाल कांग्रेस इसी बहाने प्रदेश में भाजपा को पटकनी देने के फिराक में है।

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