मंगलवार, 28 अगस्त 2018

कृषि आय पर झूठे वादे

ग्रामीण भारत में 57.8 प्रतिशत कृषि परिवार थे। यानी लोगों के खेती छोड़ने की रफ्तार तेज हुई है। ताजा रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि कृषि परिवारों की कमाई का सिर्फ 43 प्रतिशत हिस्सा खेती और पशुधन पालन से आता है। अगर हम कुल ग्रामीण परिवारों की कमाई देखें तो उनकी खेती पर निर्भरता घट रही है। कुल ग्रामीण परिवारों की आय का सिर्फ 23 प्रतिशत हिस्सा खेती और पशुपालन से आता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अप्रैल 2016 में अशोक दलवाई कमेटी का गठन किया गया था। 
हाल ही में 16 अगस्त को नाबार्ड ने अपनी अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण (एनएएफआईएस) रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के आधे से ज़्यादा कृषि परिवार कर्ज के बोझ से दबे हैं। हर एक व्यक्ति पर औसतन एक लाख से ज़्यादा का कर्ज है। नाबार्ड ने इस रिपोर्ट को 2015-16 के दौरान 245 जिलों के 2016 गांवों के 40,327 परिवारों के बीच सर्वे करके तैयार किया है। रिपोर्ट के बताया गया है कि ग्रामीण भारत में 48 प्रतिशत परिवार ही कृषि परिवार हैं। इसके अलावा गांव के अन्य परिवार गैर-कृषि स्रोतों पर निर्भर हैं। इससे पहले 2014 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा इसी तरह की रिपोर्ट जारी की गई थी। उसके मुताबिक 2012-13 में ग्रामीण भारत में 57.8 प्रतिशत कृषि परिवार थे। यानी लोगों के खेती छोड़ने की रफ्तार तेज हुई है। ताजा रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि कृषि परिवारों की कमाई का सिर्फ 43 प्रतिशत हिस्सा खेती और पशुधन पालन से आता है। अगर हम कुल ग्रामीण परिवारों की कमाई देखें तो उनकी खेती पर निर्भरता घट रही है। कुल ग्रामीण परिवारों की आय का सिर्फ 23 प्रतिशत हिस्सा खेती और पशुपालन से आता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अप्रैल 2016 में अशोक दलवाई कमेटी का गठन किया गया था।

कमेटी ने बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 2022-23 तक किसानों की आय का 69 से 80 प्रतिशत खेती और पशुपालन से प्राप्त करना होगा। नाबार्ड की रिपोर्ट ने बताया है कि खेती और पशुपालन के जरिए कमाई में भारी कमी आई है। एनएसएसओ की पिछली रिपोर्ट के मुताबिक साल 2012-13 में कृषि परिवार की कमाई का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा कृषि व्यवसाय (कृषि/पशुपालन) से था, जबकि लगभग 32 प्रतिशत कमाई मजदूरी/रोजगार वेतन से होती थी। अब खेती से ज़्यादा ग्रामीणों की कमाई का 43 प्रतिशत हिस्सा दिहाड़ी मजदूरी से आता है। यहां तक कि कृषि परिवार की भी 34 प्रतिशत कमाई दिहाड़ी मजदूरी से होती है। वहीं ग्रामीणों की कमाई का 24 प्रतिशत हिस्सा सरकारी या निजी नौकरी के जरिए आता है। तो किसानों की कृषि आय दोगुनी कैसे होगी? पिछले तीन से चार साल में सरकार जिस तरह की कृषि योजनाएं लेकर आई है और उसे जिस तरह लागू किया गया है, उसे देखकर इसका भरोसा तो नहीं बंधता। 

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