सोमवार, 22 जून 2020

गरीब कल्याण रोजगार अभियान का मतलब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत की। इसकी शुरुआत बिहार से की गई और समझना मुश्किल नहीं है कि क्यों बिहार को चुना गया। वहां अगले साल चुनाव होने वाले हैं और दूसरे उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा मजदूर बिहार ही लौटे हैं। सो, बाहर से लौटे मजदूरों की मदद के नाम पर एक योजना शुरू कर दी गई। लेकिन इस योजना को लेकर कई सवाल हैं, जिनका कोई जवाब नहीं है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह तो बता दिया कि इस योजना के तहत क्या क्या काम हो सकते हैं। जैसे पंचायत भवन बन सकता है, जल जीवन मिशन का काम हो सकता है आदि। पर सवाल है कि 50 हजार करोड़ रुपए खर्च वाली योजना को किसने और कब मंजूरी दी?

बिना संसद की मंजूरी के सरकार ने किस कानून के तहत इतना पैसा खर्च करने का फैसला किया? यूपीए सरकार ने मनरेगा की योजना बनाई तो उसके लिए कानून बना, संसद की मंजूरी हुई, पायलट प्रोजेक्ट हुआ और उसके बाद देश भर में योजना लांच हुई। यह योजना ऐसे ही लागू कर दी गई। इसके लिए न तो कोई कानून बना है, न संसद की मंजूरी हुई है, न पायलट प्रोजेक्ट हुआ है, यह एक लाख 70 हजार करोड़ की गरीब कल्याण योजना का भी हिस्सा नहीं है और न कोरोना प्रोत्साहन पैकेज का हिस्सा है। इस योजना के तहत कितने दिन काम मिलेगा, कितनी मजदूरी मिलेगी, कितने दिन तक योजना चलेगी, कौन सा मंत्रालय इसकी निगरानी करेगी, ऑडिट कैसे होगा ये सब बातें भी पता नहीं हैं।


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