मंगलवार, 9 जून 2020

राजस्थान पुलिस के वायरलेस सेट से हटे संकट के बादल

जयपुर। राजस्थान पुलिस के वायरलेस सेट पर छाए संकट के बादल कुछ हद तक छंट गए हैं। राज्य सरकार ने वायरलेस सेेट के स्पेक्ट्रम लाइसेंस फीस के लिए 9 करोड़ 40 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। हालांकि, केंद्र सरकार के साथ चल रहा स्पेक्ट्रम लाइसेंस रॉयल्टी का मामला पूरी तरह नहीं सुलझ पाया है।

प्रदेश में पुलिस वायरलेस सेेटस के नेटवर्क संचालन के लिए फ्रिक्वेंसी का आवंटन तथा वायरलेस सेटस रखने का लाइसेंस केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय देता है। राज्य सरकार पर 15 साल से इन वायरलेस सैट के स्पेक्ट्रम लाइसेंस और रॉयल्टी का करीब सवा अरब रुपए का भुगतान बकाया है। दूरसंचार मंत्रालय की डब्ल्यू पीसी विंग ने स्पैक्ट्रम चार्जेज भुगतान नहीं करने पर नई फ्रिक्वेंसी आवंटन और नए सेट की खरीद पर रोक लगाने की चेतावनी दी थी।


पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए केंद्रीय दूर संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर 84 करोड़ रुपए की स्पेक्ट्रम रॉयल्टी माफ करने की मांग की थी। केंद्र का संबंध में जवाब नहीं आया। इधर राजस्थान पुलिस जॉब सर सरकार से लाइसेंस की वर्तमान फीस के भुगतान के लिए बजट मांग रहे थे। वित्त विभाग में स्पेक्ट्रम लाइसेंस फीस जमा कराने के लिए वांछित 9 करोड़ 40 लाख रुपए के बजट को मंजूरी दी। इसके बाद गृह विभाग की ओर से भी प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति का आदेश जारी किए गए।


दूरसंचार मंत्रालय की मंजूरी से चलते हैं वायरलेस

राजस्थान के सभी पुलिस थानों, पुलिस चौकियों एवं कानून व्यवस्था के लिए वायरलेस सेट काम में लिए जा रहे हैं। राजस्थान पुलिस दूरसंचार विभाग इन सेट के संचालन की व्यवस्था करता है। विभिन्न तकनीकी युक्त वायरलेस सेटस के नेटवर्क संचालन के लिए फ्रिक्वेंसी का आवंटन तथा वायरलैस सेटस रखने का लाइसेंस दूर संचार मंत्रालय की डब्ल्यू पीसी विंग देती है। डब्ल्यू पीसी विंग ने 419 जगहों के लाइसेंस भी पुलिस महकमें को दिए हुए हैं। 

रॉयल्टी से बढ़ी पुलिस की मुसीबत

वर्ष 2004 से पूर्व उपयोग में लाए जा रहे समस्त वायरलेस सेट की लाइसेंस फीस 1 हजार रुपए प्रति सेट का भुगतान किया जाता रहा है। इस बीच वर्ष 2008 में भारत सरकार ने आदेश जारी कर स्पेक्ट्रम चार्जेज का प्रावधान कर दिया। इसके बाद से ही पुलिस के लिए मुसीबत खड़ी हो गई। प्रत्येक वायरलेस सेट की लाइसेंस फीस के अलावा रॉयल्टी राशि की आरोपित की गई जिसे जमा करवाना राज्यों के लिए अनिवार्य किया गया। इसमें स्पेक्ट्रम लाइसेंस फीस से कई गुना ज्यादा रॉयल्टी पेनल्टी की मांग की जा रही है। 

रॉयल्टी ढाई गुना बढ़ाने से हुई परेशानी

सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय स्पैक्ट्रम लाइसेंस फीस के रूप में हर साल 29 लाख 73 हजार 250 रुपए मांग रहा है। वहीं, रॉयल्टी फीस के रूप में 3 करोड़ 13 लाख 92 हजार 900 रुपए की मांग कर रहा है। इतना सब कुछ तो ठीक, लेकिन वर्ष 2012 के बाद रॉयल्टी की राशि को ढाई गुना बढ़ाकर 7 करोड़ 94 लाख 58 हजार 750 रुपए कर दिया गया। ऐसे में स्पैक्ट्रम फीस 4 करोड़ 45 लाख 98 हजार रुपए हुई जबकि रॉयल्टी राशि 80 करोड़ 73 लाख 54 हजार रुपए की बन रही है। लेट फीस के रूप में चार करोड़ की मांग की जा रही है। इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रॉयल्टी और लेट फीस के 84 करोड़ 52 लाख 38 हजार 357 रुपए माफ किए जाने की मांग कर चुके हैं।

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