शनिवार, 20 जून 2020

झूठ की दीमक में गला भारत!

भारत की एटमी-महाशक्ति अब जीरो, निहत्थी है। भारत की आर्थिकी निगेटिव ग्रोथ याकि रसातल में सांस ले रही है। भारत के लोग 1918-20की महामारी जैसी बरबादी के उस कगार पर हैं, जिसमें अंधविश्वासों में कभी लोग सोचते हैं गर्मी से वायरस भाग जाएगा तो कभी सूर्यग्रहण से वायरस के मरने काझूठ क्लिक होता है। सब रामभरोसे और महामारी में झूठ के साथ लूट के अवसर। जाहिर है पिछले सौ सालों में दुनिया का कोई मुल्क झूठ की ऐसी सुनामी का शिकार नहीं हुआ जैसा आज भारत है। एटमबम होते हुए भी वह ताकत में आज इतना लाचार है कि दुनिया में कभी कोई ऐसे नहीं हुआ। 138 करोड़ लोगों का विशाल बाजार होते हुए भी भारत इतना कंगला पहले कभी नहीं हुआ जितना आज है। देश की सार्वभौमता, एकता, अखंडता को चीन ने सन् 2020 की मईमें भारत की सीमा में कई किलोमीटर घुस,अपने जैसे कैंप बनाए तो उनके आगे भारत के निहत्थे सैनिक इसलिएलाचारी में खड़े थे कि यदि एक गोली चल गई तो जंग की नौबत न आ जाए! एटमी ताकत की ऐसी कायराना चिंता क्या प्रमाण नहीं कि सन् 2020 में भारत दिमाग से कितना खाली और झूठ के दीमक से कैसा जर्जर है!

परमाणु हथियारों, प्रक्षेपास्त्रों से लैस भारत का सीमा पर, चीनी सैनिकों के सामने अपने सैनिकों को बिना हथियार खड़े करना क्या दुनिया के सामरिक विशेषज्ञों, देशों की सेनाओं को लज्जाप्रद, शर्मनाक नहीं लगा होगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण दिया है कि हमारे सैनिक मारते-मारते मरे हैं लेकिन हमारे दिमाग ने ख्याल नहीं किया कि बिना हथियार के सैनिकों का लड़ना भला कैसे होता है!उलटे पूरा देश तालियां बजा रहा है वाह मोदीजी वाह बिना यह समझे कि इससे भारत की एटमी ताकत को दुनिया ने कैसे फूंका कारतूस जाना? क्या अब नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका या पाकिस्तान भारत की परवाह करेंगे? 

हां, चीन ने भारत की एटमी महाशक्ति को नंगा कर दिया है। उसने भारत की एटमी ताकत को दुनिया के आगे बिना बारूद का पटाखा दिखला दिया है। 15 जून को भारत के सैनिकों की चीनी सैनिकों द्वारा बर्बर हत्या, भारतीय सैनिकों को बंधक बनाए रखने जैसी घटनाओं के बावजूद चार दिनों में सरकार ने हकीकत को छुपा कर, झूठ बोल कर भारत में जो हल्ला, नैरेटिव बनवाया है वह डोकलाम के वक्त को याद दिलाने वाला है। मतलब जनता से सीमा की हकीकत का सच नहीं बताओ लेकिन झूठ फैलाओ कि चीन का हम बहिष्कार करेंगे तो उसे नानी याद आ जाएगी। उसके ठेके रद्द करेंगे, उससे आयात खत्म करेंगे तो हम आत्मनिर्भर बनेंगे, हमारी आर्थिकी-हमारा विकास दौड़ेगा, हम सोने की चिड़िया होंगें और इक़ोनॉमी पांच ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी।

तय मानें मोदी सरकार चीन से लड़ेगी नहीं, बल्कि जैसे वायरस को अवसर बतला अपने को आत्मनिर्भर बनाने का जनता से आह्वान हुआ है वैसा ही आह्वान चीन से पंगे में होगा। उससे लड़ना नहीं, बल्कि अपनी जनता में झूठ फैलाना है कि चीन को आर्थिक रूप से कंगला बना देंगे। आत्मनिर्भर होने का अवसर आ गया। तभी अगले कई सालों के लिए भारत 138 करोड़ आबादी का वह झूठ का स्थायी कुआं है, जिसमें हम बिना मेडिकल लड़ाई, बिना सैनिक लड़ाई, बिना आर्थिक लड़ाई वायरस को भी हरा देंगे, चीन को भी हरा देंगे और सोने की चिड़िया भी बनेंगे।

सो, पिछले छह सालों में प्रधानमंत्री मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि यदि कोई है तो वह यह है कि पूरा भारत झूठ में जीने का आदी हो गया है। राष्ट्र-राज्य और जनता दोनों के चरित्र में झूठ ही झूठ। पिछले दिनों मेरी एक उद्योगपति से बात हुई और पूछा धंधा कैसे चल रहा है? तो जवाब था यदि कोई और पूछता तो मैं कहता- मेरा तो सब ठीक चल रहा है। पर सब बरबाद है लेकिन बोलते नहीं हैं। और हम व्यापारी लोग भी एक-दूसरे की खबर लेते हैं तो सब एक-दूसरे से झूठ बोलते हुए कहते हैं मेरे तो सब ठीक हैं। मोदीजी ने हम सबको झूठ बोलना सिखला दिया!

सेठ ने क्या गजब बात कही! सरकार झूठ बोलती है कि सब ठीक। हम तो विकास की छलांगें लगा रहे हैं। आर्थिकी ठीक! सीमा पर सब ठीक। वायरस कंट्रोल में तो लोग क्यों नहीं कहेंगे कि हम भी ठीक! सबका दिवाला निकला हुआ है, जेबें खाली हैं, भूख- बेरोजगारी चौतरफा है मगर बावजूद इस सबके सब ठीक। जनता खुश, मोदीजी की जय!

यह सब दीमक से गली हुई चौखट वाली दशा की बदौलत है। झूठ एक देश को कैसे बरबाद करता है, यह भारत के समकालीन इतिहास से आने वाले सालों में भारत को केस स्टेड़ी बनाए हुए होगा। भारत के 138 करोड़लोगों की सामूहिक चेतना इतने तरीकों के झूठ व झूठ के रसायनों से लबालब है कि यदि चीन ने लद्दाख कब्जा लिया तब भी भारत के लोग कहेंगे वाह मोदीजी वाह आपने दिल्ली बचा ली! भारत की आर्थिकी कबाड़-जंक भी घोषित हो गई तो लोग कहेंगे वाह मोदीजी वाह भारत आत्मनिर्भर हुआ! भारत में करोड़-दो करोड़ लोग वायरस से मर जाएं तब भी कहेंगे कि वाह मोदीजी वाह आपने बाकी135 करोड़ लोगों को बचा लिया!

मतलब तर्कशास्त्र, सत्य, वैज्ञानिकता और बुद्धि पर पूरी तरह ताला। भारत आज उस अंधकार युग में है, जिसमें भारत सरकार के सचिव, कर्णधार सभी झूठ, अंधविश्वास, मुगालतों और मुंगेरीलाल के सपनों में जी रहे हैं। तर्कशास्त्र का हर सिद्धांत, तर्क भारत में आज फेल है। सत्य की हर अग्निपरीक्षा फेल है। इसलिए कि मुसलमानों के खिलाफ मोदी-शाह की छप्पन इंची छाती के कुछ करोड़ भक्त बंधुआ ऐसे हैं, जिनसे झूठ की गंगोत्री ने वह सैलाब बना दिया है, जिसमें कितने ही साल डूबे रहें लेकिन लोग पेड़ पर बैठे तालियां बजाते कहते रहेंगे कि वाह मोदीजी वाह आपकी क्या भागीरथ लीला है!

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