शुक्रवार, 19 जून 2020

राष्ट्रीय सुरक्षा नीति कहा है?

छह साल पहले केंद्र में जब नरेंद्र मोदी की सरकार आई थी तब एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने का फैसला किया गया था। तब से अब तक तीन मानव संसाधन मंत्री बदल चुके हैं लेकिन शिक्षा नीति तैयार नहीं हुई है। उसी तरह पिछली सरकार के आखिरी कार्यकाल में सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा नीति बनाने का फैसला किया था। डिफेंस प्लानिंग कमेटी 2018 से ही राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर विचार कर रही है। लेकिन अभी तक यह नीति ऐसा लग रहा है कि तय नहीं हो पाई है। सामरिक जानकारों का मानना है कि बहुत स्पष्ट राष्ट्रीय सुरक्षा नीति नहीं होने पर सशस्त्र बलों को टकराव के मौके पर ऊपर बैठे अधिकारियों या राजनीतिक नेतृत्व की ओर देखना होता है। चीन के साथ 15 जून को गालवान घाटी में हुई हिंसक झड़प को लेकर भी ऐसी खबरें आ रही हैं कि ऐन मौके पर सैनिकों को बिना हथियार से चीनी सेना के कैंप तक गश्त करने को कहा गया था। 

सामरिक जानकारों का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा नीति स्पष्ट रूप से बने होने से फायदा यह होता है कि खतरें और चुनौतियों को देखते हुए सेना की तैनाती का स्तर तय करने में आसानी होती है। उसके अलावा जरूरी बुनियादी ढांचा तैयार करने या तकनीकी अपग्रेडेशन के लिए किसी की अलग से मंजूरी नहीं लेनी होती है। ये काम रूटीन में होते रहते हैं। यह भी सवाल उठ रहा है कि जब ऐसी कोई नीति नहीं बन पाई है या पहले कभी नीति रही हो तो उसे अपग्रेड नहीं किया जा सका है तो सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी क्यों नहीं लगातार मिल रही है और फैसले कर रही है? ऐसे संकट के समय में भी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की मीटिंग होने की खबर नहीं है। सेना के प्रमुखों ने रक्षा मंत्री को ब्रीफ किया और रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री को जानकारी दी। इसकी बजाय सुरक्षा मामलों की समिति को बैठ कर फैसला करना चाहिए।


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