जयपुर। आवारों पशुओं से निजात दिलाने और नस्ल सुधार के लिए प्रदेश सरकार जल्द ही बछिया पैदा करने वाला सीमन पशुपालकों को देने वाली है। दो जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चल रहे सेक्स सोर्टेड सीमन से कृत्रिम गर्भाधान की योजना की सफलता के बाद इसे अब प्रदेशभर में लागू जाएगा।
प्रदेश के पशुपालक आवारा पशुओं के साथ ही बैल और सांड से परेशान रहते हैं। लगातार खेती में मशीनरी के बढ़ते उपयोग और प्राकृतिक गर्भाधान की मांग कम होने के कारण नर गौवंश की उपयोगिता कम हो गई है। गौपालन निदेशक खजान सिंह ने बताया कि इस समस्या के निजात के लिए सेक्स सोर्टेड सीमन से कृत्रिम गर्भाधान की योजना लागू की जाएगी। जिसके बाद किसानों को सीमन उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे बछिया पैदा होने की संभावना 90 प्रतिशत से अधिक रहेगी। इसकी कीमत 1000 रुपए प्रति सीमन होगी, लेकिन किसानों को यह 200 रुपए में मिलेगा. बाकी पैसे राज्य सरकार की ओर से वहन किए जाएंगे।
पशुपालन विभाग सचिव राजेश शर्मा ने बताया कि सेक्स सोर्टेड सीमन से कृत्रिम गर्भाधान की योजना के लिए सरकार ने बजट में घोषणा की थी। वहीं, इसके लिए 10 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया था। सरकार की ओर से फाइल वित्त विभाग को भेज दी गई है। जल्द ही मंजूरी के बाद इसे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
प्रदेश में 2019 की जनगणना अनुसार 567.75 लाख पशुधन है, जिसमें से 1 करोड़ 40 लाख गौवंश है।
यहां चल रहे पायलट प्रोजेक्ट
जनवरी 2018 से झुंझुनूं जिले में संकर गौवंश का।
दिसंबर 2018 से जोधपुर में देशी गौवंश थारपारकर का जिसमें 90 प्रतिशत बछिया पैदा हुई।
प्रारंपरिक सीमन से 50 प्रतिशत तक होती मादा संतति।
सबसे पहले जिलों में चयनित पशु चिकित्सा संस्थाओं,कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान का काम शुरू किया जाएगा।
सेक्स सोर्टेड सीमन के लाभ
- न्यूनतम 90 प्रतिशत मादा पशु पैदा होंगे
- अनचाहे नर पशु उत्पन्न होने की संभावना बहुत कम हो सकेगी
- जिससे नर पशुओं को संभालने के लिए लगने वाले समय, श्रम, धन से पशुपालकों व अन्य को मुक्ति मिलेगी
आवारा पशुओं के कारण उत्पन्न होने वाली सड़क दुर्घटना, खेतों में नुकसान की समस्या में कमीं आएगी
- आवारा पशुओं की संख्या कम होने से प्रदेश की गौशालाओं, नंदी शालाओं का भार व खर्चा कम होगा
- देशी गौवंश के संरक्षण व संवर्धन को गति मिलेगी
- दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी, पशुपालकों को सीधा लाभ मिलेगा
योजना के प्रभावी संचालन एवं पर्यवेक्षण के लिए संभागीय अतिरिक्त निदेशक की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी, जो हर माह में प्रगति की समीक्षा करेगी और रिपोर्ट पशुपालन निदेशालय, पशुधन विकास बोर्ड और गौपालन निदेशालय को सौंपेगी। इसके साथ ही राज्य स्तरीय समिति 4 माह में इसकी समीक्षा करेगी।

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