राज्यसभा की जिन 18 सीटों पर चुनाव आयोग ने 19 जून को चुनाव की घोषणा की है उसमें मध्य प्रदेश की चार, राजस्थान की तीन और झारखंड की दो सीटें भी शामिल हैं। इसके अलावा चार सीटें आंध्र प्रदेश की भी हैं। पर इन राज्यों में चुनाव का कोई मतलब नहीं है क्योंकि नतीजे सबको पता हैं। इन राज्यों में कौन जीतेगा वह सब जानते हैं। जैसे झारखंड में कांग्रेस ने बेवजह एक सीट पर उम्मीदवार दिया है। सबको पता है कि दो में से एक-एक सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा और भारतीय जनता पार्टी के खाते में जाएंगी। पर दिखावे के लिए कांग्रेस ने एक उम्मीदवार दे दिया।
इसी तरह राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने दिखावे के लिए एक उम्मीदवार उतार दिया है, जिसकी वजह से चुनाव की नौबत आई है। संख्या के हिसाब से सबको पता है कि दो सीटें कांग्रेस जीतेगे और एक सीट भाजपा के खाते में जाएगी। ऐसे ही आंध्र प्रदेश में सबको पता है कि चारों सीटें सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के खाते में जाएगी पर सिर्फ चुनाव हो इसके लिए टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू ने अपना उम्मीदवार उतार दिया। वहां भी कोई उलटफेर नहीं होना है, चाहें सीटें वाईएसआर कांग्रेस जीतेगी, जिसमें तीन उसके उम्मीदवार हैं और एक रिलायंस समूह के कारोबारी परिमल नाथवानी हैं।
मध्य प्रदेश में जरूर चुनाव दिलचस्प हो सकता था पर राज्य में शिवराज सिंह चौहान की सरकार बन जाने के बाद उसकी संभावना भी खत्म हो गई है। राज्य में तीन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, जिनमें से दो भाजपा को और एक कांग्रेस को मिलेगी। 230 सदस्यों की विधानसभा में इस समय 24 सीटें खाली हैं। 206 की संख्या के हिसाब से एक सीट जीतने के लिए 52 वोट की जरूरत है। भाजपा के अपने 107 विधायक हैं और उसे पांच अन्य विधायकों का समर्थन हासिल है। इसलिए उसे आराम से दो सीटें मिलेंगी और कांग्रेस की ओर से अकेले दिग्विजय सिंह जीतेंगे।

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