जयपुर। राजस्थान विधानसभा के चलते सत्र के बीच ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के दो विधायकों को पूछताछ के लिए पुलिस का नोटिस जारी करना सरकार के गले पड़ गया। मामला इतना बढ़ गया कि सदन में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया गया। बात बढ़ने पर स्पीकर सीपी जोशी खुद आसन पर पहुंचे। सभी पक्षों को सुनने के बाद स्पीकर ने सरकार को नसीहत दी तो साथ ही वक्तव्य देने को भी कहा।
विधानसभा की बैठक के दौरान विधायकों को पूछताछ के लिए पुलिस ने बुलाया तो इस पूरे मामले पर सदन में हंगामा हो गया। मामला, आरएलपी के दो विधायकों इंदिरा बावरी और पुखराज गर्ग से जुड़ा हुआ है। दरअसल, तकरीबन 6 महीने पहले नागौर में बंजारा समाज के कुछ लोगों को अतिक्रमी बताते हुए प्रशासन ने हटाने की कार्रवाई की। इस दौरान आरएलपी के विधायक पुखराज गर्ग और इंदिरा बावरी भी मौके पर पहुंचे और प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया। इस पूरे मामले में एसडीएम ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें आरएलपी के दोनों विधायकों को भी आरोपी बनाया गया था।
इसी मामले में पूछताछ के लिए नागौर की कोतवाली पुलिस ने दोनों विधायकों को भी नोटिस जारी करते हुए 2 मार्च को पूछताछ के लिए पुलिस थाने बुलाया। विधानसभा के चलते सत्र के बीच विधायकों को पूछताछ के लिए बुलाने में पुलिस से बड़ी चूक हो गई और सोमवार को सदन में यह मुद्दा गूंजा। प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने इस मामले में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव भी सदन में रखा।
राजेंद्र राठौड़ ने विशेषाधिकार हनन का मामला विधानसभा में उठाया उस वक्त आसन पर सभापति महेंद्र जीत सिंह मालवीय कार्यवाही का संचालन कर रहे थे। मामला बढ़ते देख खुद स्पीकर डॉक्टर सीपी जोशी अपने चेंबर से उठकर सदन में पहुंचे। सीपी जोशी ने सभी पक्षों को सुना। उन्होंने आरएलपी विधायक इंदिरा बावरी को भी बोलने का मौका दिया। इंदिरा बावरी ने अपनी बात को रखते हुए कहा कि पुलिस रविवार रात उनके घर पहुंची और बच्चों को धमकाया। आरएलपी विधायक ने बताया कि पुलिस ने बच्चों से कहा, कि अपनी मां को बुलाओ नहीं तो वह बच्चों को ही थाने ले जाएंगे। उन्होंने पुलिस का नोटिस अपने घर पर चस्पा करने की बात भी कही।
आरएलपी के विधायक पुखराज गर्ग ने भी इंदिरा बावरी की बात का समर्थन किया। इसके साथ ही उन्होंने खुद के साथ हुए वाकये को भी सदन में बताया। गर्ग बोले कि पुलिस ने उनसे भी पूछताछ के लिए आने को कहा था। उन्होंने जब सदन की कार्यवाही चलने का हवाला दिया तो पुलिस अधिकारी ने कहा कि वह अपनी ड्यूटी अंजाम दे रहा है और इसीलिए नोटिस चस्पा करने आया। पुखराज गर्ग और राजेंद्र राठौड़ ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने चलते सत्र के बीच विधायकों को भगोड़ा साबित करने की कोशिश की।
इस पूरे घटनाक्रम पर जब स्पीकर ने सरकार के मंत्री बीड़ी कल्ला से पूछा तब कल्ला ने कहा कि विपक्ष ने इस मामले को नियमों के तहत नहीं उठाया है। साथ ही कल्ला ने यह भी कहा कि पूरा मामला विधिक प्रक्रिया के तहत चल रहा है और जो भी कार्रवाई हुई वह विधिक प्रक्रिया के तहत हुई है। कल ने कहा कि वे मामले के विस्तार में नहीं जाना चाहते, लेकिन अगर विधायक पुलिस को विधानसभा सत्र का हवाला देते हुए बाद में आने की कह देते तो पुलिस उनकी बात को भी सुनती। कल्ला की बात को आगे बढ़ाते हुए मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि पिछली विधानसभा में उन्होंने भी सरकार को विशेषाधिकार हनन के मामले में नोटिस दिया था, लेकिन तत्कालीन स्पीकर कैलाश मेघवाल ने देरी का हवाला देते हुए नोटिस स्वीकार नहीं किया। उसके बाद जब अगले दिन उन्होंने नोटिस दिया तभी स्पीकर ने उन्हें विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की अनुमति दी थी।
विधानसभा की बैठक के दौरान विधायकों को पूछताछ के लिए पुलिस ने बुलाया तो इस पूरे मामले पर सदन में हंगामा हो गया। मामला, आरएलपी के दो विधायकों इंदिरा बावरी और पुखराज गर्ग से जुड़ा हुआ है। दरअसल, तकरीबन 6 महीने पहले नागौर में बंजारा समाज के कुछ लोगों को अतिक्रमी बताते हुए प्रशासन ने हटाने की कार्रवाई की। इस दौरान आरएलपी के विधायक पुखराज गर्ग और इंदिरा बावरी भी मौके पर पहुंचे और प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया। इस पूरे मामले में एसडीएम ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें आरएलपी के दोनों विधायकों को भी आरोपी बनाया गया था।
इसी मामले में पूछताछ के लिए नागौर की कोतवाली पुलिस ने दोनों विधायकों को भी नोटिस जारी करते हुए 2 मार्च को पूछताछ के लिए पुलिस थाने बुलाया। विधानसभा के चलते सत्र के बीच विधायकों को पूछताछ के लिए बुलाने में पुलिस से बड़ी चूक हो गई और सोमवार को सदन में यह मुद्दा गूंजा। प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने इस मामले में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव भी सदन में रखा।
राजेंद्र राठौड़ ने विशेषाधिकार हनन का मामला विधानसभा में उठाया उस वक्त आसन पर सभापति महेंद्र जीत सिंह मालवीय कार्यवाही का संचालन कर रहे थे। मामला बढ़ते देख खुद स्पीकर डॉक्टर सीपी जोशी अपने चेंबर से उठकर सदन में पहुंचे। सीपी जोशी ने सभी पक्षों को सुना। उन्होंने आरएलपी विधायक इंदिरा बावरी को भी बोलने का मौका दिया। इंदिरा बावरी ने अपनी बात को रखते हुए कहा कि पुलिस रविवार रात उनके घर पहुंची और बच्चों को धमकाया। आरएलपी विधायक ने बताया कि पुलिस ने बच्चों से कहा, कि अपनी मां को बुलाओ नहीं तो वह बच्चों को ही थाने ले जाएंगे। उन्होंने पुलिस का नोटिस अपने घर पर चस्पा करने की बात भी कही।
आरएलपी के विधायक पुखराज गर्ग ने भी इंदिरा बावरी की बात का समर्थन किया। इसके साथ ही उन्होंने खुद के साथ हुए वाकये को भी सदन में बताया। गर्ग बोले कि पुलिस ने उनसे भी पूछताछ के लिए आने को कहा था। उन्होंने जब सदन की कार्यवाही चलने का हवाला दिया तो पुलिस अधिकारी ने कहा कि वह अपनी ड्यूटी अंजाम दे रहा है और इसीलिए नोटिस चस्पा करने आया। पुखराज गर्ग और राजेंद्र राठौड़ ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने चलते सत्र के बीच विधायकों को भगोड़ा साबित करने की कोशिश की।
इस पूरे घटनाक्रम पर जब स्पीकर ने सरकार के मंत्री बीड़ी कल्ला से पूछा तब कल्ला ने कहा कि विपक्ष ने इस मामले को नियमों के तहत नहीं उठाया है। साथ ही कल्ला ने यह भी कहा कि पूरा मामला विधिक प्रक्रिया के तहत चल रहा है और जो भी कार्रवाई हुई वह विधिक प्रक्रिया के तहत हुई है। कल ने कहा कि वे मामले के विस्तार में नहीं जाना चाहते, लेकिन अगर विधायक पुलिस को विधानसभा सत्र का हवाला देते हुए बाद में आने की कह देते तो पुलिस उनकी बात को भी सुनती। कल्ला की बात को आगे बढ़ाते हुए मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि पिछली विधानसभा में उन्होंने भी सरकार को विशेषाधिकार हनन के मामले में नोटिस दिया था, लेकिन तत्कालीन स्पीकर कैलाश मेघवाल ने देरी का हवाला देते हुए नोटिस स्वीकार नहीं किया। उसके बाद जब अगले दिन उन्होंने नोटिस दिया तभी स्पीकर ने उन्हें विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की अनुमति दी थी।

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