गुरुवार, 19 मार्च 2020

7 साल बाद निर्भया को मिला इंसाफ, दोषियों को फांसी मिलते ही गूंजा 'भारत माता की जय'

आज सुबह साढ़े पांच बजे निर्भया के चारों दोषियों पवन, अक्षय, मुकेश और विनय को फांसी दे दी गई। मेडिकल टीम ने शवों की जांच कर उन्हें फांसी से उतार दिया है। शवों को एंबुलेंस के जरिए दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पहुंचाया जाएगा, वहां पांच डॉक्टरों की टीम बॉडी का पोस्टमार्टम करेगी। पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी की जाएगी। पोस्टमार्टम के बाद चारों शवों को परिजनों को सौंप दिया जाएगा।

निर्भया के दोषियों को फांसी के बाद कुछ कैदियों ने जेल का माहौल खराब करने की कोशिश की। अब तिहाड़ जेल में तमिलनाडु पुलिस फ्लैग मार्च कर रही है। चारों दोषियों की जेल में श्रम की कमाई परिवार को सौंपी जाएगी। शवों को एंबुलेंस के जरिए दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल भेजा गया। तिहाड़ जेल के डीजी ने कहा, दोषियों ने फांसी से पहले अपनी कोई आखिरी इच्छा नहीं बताई थी। निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, आज के दिन को 'निर्भया न्याय दिवस' के तौर पर मनाने की मांग करेंगे। 

 इस दौरान तिहाड़ जेल के बाहर मीडिया और लोगों की जमावड़ा लगा रहा। लोग हाथ में तिरंगा लेकर तिहाड़ के बाहर खड़े थे। जेल के भीतर से जैसे ही दोषियों को फंदे पर लटकाने की खबर आई बाहर भारत माता की जय के नारे गूंज उठे। 


उधर निर्भया के घर के बाहर भी भारी संख्या में लोग मौजूद थे। फांसी के बाद आशा देवी ने कहा, 'मैंने बेटी की तस्वीर को गले लगाकर उससे कहा- बेटा आज आपको इंसाफ मिल गया। मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। आज वो अगर होती हो मैं एक डॉक्टर की मां कहलाती। मीडिया से बात करते हुए भावुक हुईं आशा देवी। उन्होंने कहा, मैं देशभर की महिलाओं से अपील करती हूं कि देश में किसी भी बेटी के साथ अन्याय हो उसका साथ दें।'

आशा देवी ने कहा, 'देश की बच्चियों के लिए मेरा संघर्ष जारी रहेगा। मैं आगे भी ये लड़ाई जरी रखूंगी। आज के बाद देश की बच्चियां अपने आप को सुरक्षित महसूस करेंगी।'

क्या था पूरा मामला?

गौरतलब है कि निर्भया केस के दोषी 32 साल के मुकेश सिंह, 25 साल का पवन गुप्ता, 26 साल का विनय शर्मा और 31 साल के विनय कुमार सिंह ने 16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ गैंग रेप को अंजाम दिया था। इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। लम्बे समय से निर्भया के परिजन इंसाफ के लिये अदालतों के चक्कर काट रहे हैं।


आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन की याचिका खारिज की थी। पवन ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक और कयूरेटिव पेटिशन दायर की थी जिसमें कहा गया था कि वारदात के समय वह नाबालिग था इसलिए उसकी फांसी की सजा ख़ारिज की जाए। 

पवन ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में उसकी पुनर्विचार याचिका ख़ारिज होने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर की थी। यह कयूरेटिव याचिका ख़ारिज होना तय था, क्योकिं पवन की नाबालिग होने की दलील को सुप्रीम कोर्ट पहले ही ख़ारिज कर चुका है। वहीं इस केस के एक दोषी को नाबालिक होने की वजह से 3 साल जेल होने के बाद छोड़ दिया गया, तो एक ने जेल में ही आत्महत्या कर ली। 

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