रविवार, 22 मार्च 2020

कोविड-19 से लड़ाई लंबी है

भारत और दुनिया के 182 देश इस समय कोविड-19 यानी नोवल कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं। सबकी लड़ाई अपने अपने तरीके से है और सब अपने तरीके और अपने संसाधनों के हिसाब से लड़ाई लड़ रहे हैं। भारत की लड़ाई इन सबके मुकाबले जटिल है और इसके कई पहलू हैं। इसलिए भारत को यह लड़ाई सिर्फ एक मोर्चे पर नहीं लड़ना पड़ रहा है, बल्कि कई मोर्चों पर एक साथ लड़ना पड़ रहा है। देश के 130 करोड़ लोगों की सेहत और उनके जीवन का एक मोर्चा है तो दूसरा मोर्चा बड़ी आर्थिक लड़ाई का है। इस लड़ाई में भारत के सामने कई बाधाएं हैं। स्पेन, इटली, फ्रांस या ब्रिटेन की तरह भारत कम आबादी वाला और विकसित देश नहीं है, न यह ईरान की तरह का धार्मिक राष्ट्र है और न चीन की तरह एक पार्टी की तानाशाही वाला देश है। इसके पास अमेरिका की तरह विशाल संसाधन भी नहीं हैं और न दक्षिण कोरिया की तरह उन्नत वैज्ञानिक व्यवस्था है। तभी भारत की लड़ाई इस वायरस से सबसे अधिक प्रभावित आठ-नौ देशों के मुकाबले बिल्कुल अलग है। 

जिस समय देश में आजादी की लड़ाई चल रही थी उस समय महात्मा गांधी ने कम से कम दो स्तर पर इस लड़ाई का विस्तार किया था। एक स्तर अंग्रेजों से मुक्ति व स्वशासन का था तो दूसरा सामाजिक बुराइयों को दूर करने का था। उसी तरह भारत और इसकी सरकार को कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई कम से कम दो स्तरों पर लड़नी है। एक स्तर कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्ति का है तो दूसरा स्तर इस संकट की वजह से पैदा होने वाले भयावह आर्थिक संकट से निपटने का है।

दुनिया के सारे देशों के लोग मान रहे हैं कि मानवता के सामने कोरोना वायरस जैसे अनगिनत संकट आए हैं और उन पर काबू पा लिया गया है। सो, जैसे-तैसे कोरोना वायरस के संकट से भी मुकाबला करके जीत हासिल कर ली जाएगी। दुनिया के अनेक देश इसकी दवा बनाने में लगे हैं, जांच के किट तैयार कर रहे हैं और टीके तैयार करने पर काम हो रहा है। इसमें कुछ हद तक कामयाबी मिल जाएगी। अगले दो-तीन महीने में जानमाल का भारी नुकसान होगा, इसमें कोई  संदेह नहीं है पर इस दौरान किसी न किसी उपाय से इस पर काबू पा लिया जाएगा। लेकिन सवाल है कि उसके बाद क्या होगा?

जून की गर्मियों तक अगर कोरोना वायरस का कहर थम जाता है, दुनिया इस पर काबू पा लेती है, इसके टीके का व्यापक उत्पादन होने लगता है और लोगों का जीवन पटरी पर लौटने लगता है उसके बाद क्या होगा? क्या भारत वैसा ही रहेगा, जैसे अभी है? ध्यान रहे दुनिया जिस भारत गाथा के सम्मोहन में पांच साल पहले थी वह गाथा तो पहले ही अपना रास्ता भटक चुकी थी। अब कोरोना वायरस के असर में भारत गाथा पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। देश के 130 करोड़ लोगों का जीवन पहले से ज्यादा असुरक्षित और मुश्किलों भरा होगा। क्या सरकार ने इसके बारे में कुछ सोचा है? क्या सरकार के पास ऐसा कोई रोडमैप है, जिससे वह कोरोना वायरस से भी लड़े और साथ साथ आने वाले आर्थिक संकट की भयावहता को बूझते हुए अपनी तैयारी भी करे?

कह सकते हैं कि सरकार ने दुनिया के बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने का फायदा उठा कर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया और उससे सरकार को कुछ लाख करोड़ रुपए मिलेंगे, जिससे वह इस संकट के बाद देश की और लोगों की निजी आर्थिकी को पटरी पर लाने के लिए काम करेगी। पर यह भी अधूरी बात है। उत्पाद शुल्क बढ़ाने से सरकार की कमाई तो तब होती, जब पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल उसी अनुपात में होता रहता, जिस अनुपात में कोरोना वायरस के संक्रमण से पहले हो रहा था। हकीकत यह है कि प्रधानमंत्री के एक दिन के जनता कर्फ्यू से पहले ही देश में कर्फ्यू जैसा माहौल हो गया था। आगे भी यहीं माहौल रहना है। फैक्टरियां बंद हो रही हैं, विमान व ट्रेनें खड़ी हो रही हैं, लोगों की निजी और व्यावसायिक गाड़ियां खड़ी हैं, फिर सरकार पेट्रोलियम उत्पाद कहां बेचेगी, जिसकी कमाई से वह आगे आर्थिकी को बचा पाएगी?

कुल मिला कर अभी दिख रहा है कि सरकार के पास आगे का कोई रोडमैप नहीं है। वह तात्कालिकता में काम कर रही है। उसको किसी तरह से कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने की चिंता है। केंद्र के साथ साथ राज्यों की सरकारों को भी इस संक्रमण को फैलने से रोकने की ही चिंता है। यह चिंता अपनी जगह ठीक है। पर इसके साथ साथ आम लोगों के संकट को भी ध्यान में रखना होगा। यह क्यों ज्यादा जरूरी है इस बात को सिर्फ एक तथ्य से समझा जा सकता है। चीन की डेढ़ सौ करोड़ की आबादी में कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या एक लाख से भी कम है और मरने वालों की संख्या तीन हजार के करीब है, जितने लोगों को चीन में हर साल औसतन फांसी दी जाती है। कुल मिला कर 0.1 फीसदी से भी कम आदमी इससे संक्रमित हुआ है पर असर समूची आबादी पर है।

भारत में भी यहीं स्थिति होनी है। इस वायरस से सीधे चीन से भी कम लोग प्रभावित हो सकते हैं। पर इसका असर सभी 130 करोड़ लोगों पर होगा। सरकार को इसका ध्यान रखना होगा। तभी सरकार को कोविड-19 से लड़ने के तात्कालिक उपायों के साथ साथ आगे की योजना भी बनानी होगी। इस योजना के भी कई पहलू हो सकते हैं। सबसे पहले तो इससे सबक लेकर भारत को ऐसी महामारी से निपटने की एक पुख्ता योजना बनानी होगी। जांच के लिए ज्यादा से ज्यादा लैब बनाने होंगे, स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास करना होगा, दवा-टीके आदि बनाने की अपनी स्वतंत्र प्रयोगशालाएं विकसित करनी होंगी। साथ ही देश की आर्थिकी को संभालने, पटरी पर लाने और आम लोगों के जीवन पर होने वाले असर को दूर करने के उपाय भी करने होंगे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें