शनिवार, 28 मार्च 2020

राज्यों पर जबरदस्ती ठीकरा

एक तरफ कोरोना वायरस से केंद्र और राज्यों की साझा लड़ाई चल रही है और इसी बीच केंद्र ने इसका संक्रमण फैलने के लिए जबरदस्ती राज्यों को जवाबदेबह बताना शुरू कर दिया है या कम से कम ऐसा दांव चल दिया है, जिससे अगर बाद में संक्रमण बहुत ज्यादा फैलता है या तीसरा स्टेज शुरू होता है तो राज्यों को आसानी से जिम्मेदार ठहराया जा सके। केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव ने शुक्रवार को सभी राज्यों को प्रमुख सचिवों को एक चिट्ठी लिखी है और इस बात पर चिंता जताई है कि 18 जनवरी से 23 मार्च के बीच विदेश से भारत लौटे 15 लाख लोगों की राज्यों में ठीक से निगरानी नहीं हो रही है। उन्होंने बताया है कि 15 लाख लोग लौटे हैं, लेकिन निगरानी में इससे कम लोग हैं, इसका मतलब है कि कुछ लोग निगरानी से बाहर हैं और वे बीमारी फैला सकते हैं।

सोचें, इसमें राज्यों की भूमिका कितनी बाद में शुरू होती है। सारे हवाईअड्डों की सुरक्षा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सीआईएसएफ के पास है और विदेश से आए लोगों के हवाईअड्डे से निकलते समय उनकी जांच आदि का जिम्मा इसी एजेंसी के पास होता है। जब केंद्र सरकार ने खुद ही 18 जनवरी तक भारत आए लोगों की स्क्रीनिंग नहीं की, उनकी सूची नहीं बनाई या हवाईअड्डों पर उनको रोका नहीं तो अब राज्यों को जिम्मेदार ठहराने का क्या मतलब बनता है? अगर केंद्र सरकार पहले से एलर्ट होती तो विदेश से आने वालों खास कर चीन की यात्रा हिस्ट्री वाले लोगों को हवाईअड्डों पर ही रोका जा सकता था। उनके लिए हवाईअड्डों के पास ही क्वरैंटाइन की जगह बनाई जा सकती थी। देश के पांच-छह हवाईअड्डों को छोड़ कर बाकी सबके आसपास इसके लिए पर्याप्त जगह है। पर केंद्र सरकार ने मार्च का महीना शुरू हो जाने तक लोगों को रोका नहीं तो अब राज्यों पर ठीकरा फोड़ने का प्रयास हो रहा है। 

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