मंगलवार, 31 मार्च 2020

सीएम और मंत्रियों से लेकर विधायकों का 75 फीसदी तथा IAS, IPS, IFS का 60 फीसदी वेतन रोका जाएगा

गहलोत सरकार का बड़ा फैसला, स्वास्थ्य सेवाओं को छोड़कर किसी को नहीं मिलेगा मार्च का पूरा वेतन

जयपुर। कोरोना संकट  के बाद मंगलवार को पहली बार हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में सीएम से लेकर मंत्रियों, अधिकारियों और कर्मचारियों के मार्च माह के वेतन  का बड़ा हिस्सा रोकने का फैसला किया गया है। स्वास्थ्य सेवाओं के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ सहित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को पूरा वेतन मिलेगा। बैठक में बताया गया कि लॉकडाउन के कारण प्रदेश को 17 हजार करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। इसके कारण मार्च माह का वेतन रोकने का फैसला किया गया है।

सीएम से लेकर विधायकों का 75 फीसदी, IAS, IPS, IFS का 60 फीसदी वेतन रोका

सीएम, डिप्टी सीएम, सभी मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, मुख्य सचेतक, उप मुख्य सचेतक और सभी विधायकों के मार्च माह के वेतन का 75 फीसदी हिस्सा रोका जाएगा. आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों का मार्च माह का 60 प्रतिशत वेतन रोकने का फैसला किया गया है। जबकि राज्य सेवाओं के अधिकारियों और कर्मचारियों का 50 फीसदी वेतन रोका जाएगा। 

पेंशनर्स की 30 फीसदी पेंशन भी स्थगित

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को छोड़कर अन्य कर्मचारियों का मार्च माह के ग्रोस वेतन का 30 प्रतिशत हिस्सा स्थगित रखा जाएगा। इसके साथ ही सेवानिवृत्त पेंशनर्स की मार्च माह की सकल पेंशन का 30 प्रतिशत हिस्सा भी स्थगित रखा जाएगा।


गरीब और जरुरतमंदों को 1500 रुपए की अनुग्रह राशि और मिलेगी

मंत्रिपरिषद की बैठक में गरीब और जरुरतमंदों को 1500 रुपए की अनुग्रह राशि और देने का फैसला किया गया है। 36 लाख 51 हजार बीपीएल, स्टेट बीपीएल, अंत्योदय योजना के लाभार्थियों, 25 लाख निर्माण श्रमिकों और पंजीकृत स्ट्रीट वेण्डर्स जो कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के दायरे में नहीं आते हैं उन्हें पहले एक हजार रुपए की अनुग्रह राशि दी गई थी। इन वर्गों को अब 1500 रुपए की राशि और दी जाएगी। इस पर 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

जयपुर में सरकार हुई सतर्क, परकोटा क्षेत्र किया सील

जयपुर। भीलवाड़ा के बाद राजस्थान में सबसे ज्यादा कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामले राजधानी जयपुर  में सामने आए हैं। जयपुर में भी परकोटा में स्थित रामगंज में कोरोना के अब तक 10 केस पॉजिटिव सामने आ चुके हैं। इसी वजह से सरकार ने रामगंज क्षेत्र में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए परकोटा में रहने वाले लोगों को सुरक्षित रखने के लिए अब इस क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर दिया गया है।

किसी भी प्रकार की आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी

एसएस (गृह) राजीव स्वरूप ने बताया कि जयपुर के चारदीवारी क्षेत्र में पहले से ही कर्फ्यू लगा हुआ है। अब इस क्षेत्र को पूरी तरह सील कर दिया गया है। अब परकोटा क्षेत्र में किसी भी प्रकार की आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी, जो लोग परकोटा क्षेत्र में रहते हैं वे अब वहीं रहेंगे। केवल चिकित्साकर्मी, जिला प्रशासन और नगर निगम कर्मियों को ही परकोटा क्षेत्र से बाहर आने दिया जाएगा। यदि इस क्षेत्र में निवास करने वाले किसी व्यक्ति को आवश्यक सेवाओं को बरकरार रखने के लिए परकोटा क्षेत्र से बाहर जाना आवश्यक होगा तो उसके लिए अलग से पास बनाया जाएगा।

केवल ये लोग आ जा सकेंगे 

अब केवल जिला प्रशासन, पुलिस, नगर निगम, फायर ब्रिगेड, रसद विभाग, बिजली, पानी, बैंक और एटीएम से संबंधित कार्मिक, सभी प्रकार के चिकित्साकर्मी, मीडियाकर्मी और गैस सिलेंडर के वितरण से संबंधित कर्मचारी को ही परकोटा क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति होगी. जिन लोगों की आवश्यक वस्तुओं से संबंधित दुकानें और सेवाएं परकोटा क्षेत्र में है उनके कर्मचारियों के लिए पुलिस द्वारा पास उपलब्ध कराया जाएगा।

सभी पास किए रद्द

परकोटा क्षेत्र में जरुरतमंदों को भोजन के पैकेट और राशन सामग्री सप्लाई करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं को भी यहां प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। सभी तरह के वितरण की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की जाएगी। परकोटा क्षेत्र के लिए अब तक जो भी वाहन और व्यक्तिगत पास जारी किए गए थे वे मंगलवार शाम 6 बजे से मान्य नहीं रहे हैं। चारदीवारी क्षेत्र से जो भी व्यक्ति और वाहन बाहर जाएगा उन्हें सेनेटाइज किया जाएगा। पुलिस द्वारा सख्ती से कर्फ्यू की शर्तों पालना कराई जाएगी। यहां पुलिस की मदद के लिए एसडीआरएफ भी तैनात की जा रही है। इसके साथ ही फ्लैग मार्च भी किया जा रहा है।

मेडिकल टीम ने घर-घर शुरू किया सर्वे

राज्य सरकार ने परकोटा क्षेत्र के लोगों से अपील की है कि चिकित्सा विभाग की ओर से क्षेत्र में घर-घर सर्वे किया जा रहा है। हेल्थ टीम घर-घर पहुंचकर एक एक सदस्य का चेकअप करा रही है। ऐसे में किसी भी परिवार के सदस्य या परिचित को बुखार खांसी या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखे तो बिना समय बर्बाद किए तत्काल 181 हेल्पलाइन पर फोन करें।

शर्मनाक! कई समृद्ध मुफ्तखोर गरीब और जरूरतमंदों का हक मारकर अपने घर भरने से बाज नहीं आ रहे

जयपुर। देश में आपात की स्थिति में भी कई मुफ्तखोर और मुनाफाखोर अपने घर और जेबें भरने से बाज नहीं आ रहे। जहां एक तरफ किराना दुकानदार, सब्जी विक्रेता आवश्यक वस्तुओं के मनमाने दाम वसूल अपनी जेब भर रहे हैं, तो दूसरी तरफ समाज में बैठे कई समृद्ध मुफ्तखोर गरीब और जरूरतमंदों का हक मारकर अपने घर भरने से बाज नहीं आ रहे। 

ऐसा ही मामला सांगानेर क्षेत्र में देखने को मिला। यहां एक व्यक्ति ने सीएमओ में शिकायत की कि उनके घर पर्याप्त राशन सामाग्री नहीं है और उपलब्ध करवाई जाए। शिकायत पर रसद सामाग्री लेकर जब टीम मौके पर पहुंची तो पहले टीम के सदस्यों को शिकायतकर्ता का आवास देकर शक हुआ। सभी सुविधाओं से सम्पन्न आवास में टीम ने किचन में जाकर खाद्य सामग्री की जांच की तो देखा वहां पर्याप्त मात्रा में आटा, मसाले, तेल सहित अन्य खाद्य सामाग्री का स्टॉक पड़ा था।

पूछने पर शिकायतकर्ता ने इसे अपना न बताकर घर में ही रहने वाले अन्य परिवार का कहकर अपने को बचाने लगा। इतना ही नहीं, शिकायतकर्ता कहना लगा कि हम इस मकान में किराये पर रहते है और ये रसोई भी हमारी नहीं है। झूठी शिकायत कर राशन सामाग्री लेने के मामले में प्रशासन के अधिकारियों ने शिकायतकर्ता को डांट-फटकार लगाई और आगे से शिकायत करने पर कठोर कार्यवाही करने की हिदायत देकर छोड़ दिया।


राज्य सरकार ने तय किए सब्जियों के दाम, जयपुर में हैं ये भाव

जयपुर। कोरोना वायरस  के चलते लागू लॉकडाउन  में आमजन को आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई निर्बाध होती रही इसके लिए राज्य सरकार लगातार कदम उठा रही है। रोजमर्रा की आवश्यक चीजों में शामिल सब्जी  की दुकानदार मनमानी कीमतें ना वसूल लें इसके लिए राजस्थान सरकार ने बाजार और कॉलोनियों में बिकने वाली सब्जियों की खुदरा कीमत भी तय कर दी हैं। 

सोशल डिस्टेसिंग का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है

लॉकडाउन में सब्जियों की किल्लत न हो इसके लिए ठेले वालों को भी कॉलोनियों में सब्जी बेचने की इजाजत दी गई है। जयपुर शहर के विभिन्न इलाकों में सब्जियां लगभग सरकारी दर के आसपास ही बिक रही हैं। सब्जी की दुकानों और कॉलोनियों में बिक रही सब्जी की खरीदारी के दौरान सोशल डिस्टेसिंग का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। सरकार की ओर से आलू 30 से 35 रुपए प्रति किलो, लोकी 35 रुपए, मिर्च 40 रुपए, पत्ता गोभी 20 रुपए, प्याज 35 रुपए, खीरा 33 रुपए, नींबू 60 रुपए और टमाटर 30 रुपए प्रति किलो की दर तय की गई है। कई कॉलोनियों में ठेले, ऑटो और अन्य साधनों से सब्जियां बेचने आने वाले विक्रेता सब्जी आने की सूचना माइक पर अनाउंमेंट करके भी दे रहे हैं।

सीएम खुद डे-टू-डे लॉकडाउन के हालात की समीक्षा कर रहे हैं

उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने रोजमर्रा की आवश्यक चीजों की दुकानें खोलने की छूट दे रखी है ताकि आमजन को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। सीएम अशोक गहलोत लॉकडाउन के हालात की खुद डे-टू-डे समीक्षा कर रहे हैं. सीएम ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दे रखे हैं कि लॉकडाउन में आमजन को आवश्यक चीजों की किसी तरह की कमी ना हो। इसके साथ ही इस दौरान कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश हैं।

सोमवार, 30 मार्च 2020

डब्लुएचओ की भूमिका पर भी सवाल

कोरोना वायरस के पूरी दुनिया में महामारी की तरह फैल जाने में विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके प्रमुख टेड्रोस एडेनॉम गेबरेसियस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। पिछले दिनों जब भारत की पहल पर और सऊदी अरब के प्रिंस की अध्यक्षता में जी-20 देशों के प्रमुखों की वीडियो कांफ्रेंसिंग से मीटिंग गई तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने डब्लुएचओ और इसके प्रमुख की खिंचाई की थी और उन पर आरोप लगाया था कि उनकी वजह से इस वायरस के विस्तार को समय रहते नहीं रोका जा सका। पर उसी मंच पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने डब्लुएचओ और टेड्रोस की जम कर तारीफ की।

सोचें, डब्लुएचओ या टेड्रोस की भूमिका के बारे में तारीफ करने के लायक क्या है? टेड्रोस की कमान में डब्लुएचओ ने चीन में फैल रही महामारी के बारे में सूचनाएं छिपाईं या आधी अधूरी सूचना दुनिया को दी। चीन के वुहान में दिसंबर में संकट शुरू हो गया था पर जनवरी के मध्य तक इस जानकारी को पूरी तरह से लोगों के सामने नहीं आने दिया गया। जबकि डब्लुएचओ का काम यही है कि वह ऐसे किसी खतरे का आकलन करे और दुनिया के देशों को आगाह करे। पर वुहान में फैले कोरोना वायरस के मामले में उसने ऐसा नहीं किया। अगर उसने समय रहते दुनिया के देशों को इस बारे में जानकारी दी होती तो इस वायरस के संकट को इतना फैलने से रोका जा सकता था। 

बहरहाल, बाद में जब अमेरिका ने उस पर सवाल उठाए और ऐसा लगा कि भारत भी उस पर आरोप लगा सकता है तो टेड्रोस ने भारत की तारीफ शुरू कर दी। हालांकि भारत के लॉकडाउन के मॉडल को दुनिया के ज्यादातर जानकार पूरी तरह से सही नहीं मान रहे हैं पर टेड्रोस ने जम कर इसकी तारीफ की, जिसका एकमात्र मकसद यह था कि भारत भी अमेरिका के सुर में सुर मिला कर डब्लुएचओ की आलोचना न करे। इस बीच यह भी खबर है कि टेड्रोस के ऊपर इथियोपिया में स्वास्थ्य मंत्री कॉलेरा की महामारी के बारे में सूचना छिपाने का आरोप भी लगा है। कहा जा रहा है कि उन्होंने तीन बार इस बारे में सूचना छिपाई। बहरहाल, उनके अपने रिकार्ड के अलावा यह भी लग रहा है कि चीन इस समय संयुक्त राष्ट्र संघ और उसकी संस्थाओं को पूरी तरह से नियंत्रित कर रहा है।

सिर्फ दिल्ली के अधिकारियों की जांच क्यों?

केंद्र सरकार ने दिल्ली के अधिकारियों पर कार्रवाई की है। दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और दो अन्य अधिकारियों को नोटिस दिया गया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव रेणु शर्मा और वित्त विभाग के प्रधान सचिव राजीव वर्मा को निलंबित कर दिया गया है, जबकि एक दूसरे अतिरिक्त मुख्य सचिव सत्य गोपाल और सीलमपुर के एसडीएम अजय अरोड़ा को नोटिस भेजा गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी नोट में कहा गया है कि ये अधिकारी देश में लागू लॉकडाउन के आदेश का पालन नहीं करा सके, अपनी ड्यूटी में विफल रहे और इस वजह से हजारों की संख्या में मजदूर दिल्ली से पलायन करने लगे। दिल्ली-यूपी बोर्डर पर हजारों मजदूरों के इकट्ठा होने का ठीकरा इन अधिकारियों पर फोड़ा गया है।

सवाल है कि ऐसी कार्रवाई सिर्फ दिल्ली के अधिकारियों पर क्यों हुई है? हरियाणा के कई जिलों से प्रवासी मजदूरों ने पलायन किया है। हरियाणा के सोनीपत से ही पलायन कर रहे आठ मजदूर एक गाड़ी से कुचले गए, जिनमें से पांच लोगों की मौत हुई। हरियाणा के शहरों- गुड़गांव, मानेसर, फरीदाबाद, कोंडली, सोनीपत, पानीपत आदि से बड़ी संख्या में मजदूरों ने पलायन किया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अपील के बावजूद मजदूर नहीं रूके। हरियाणा से पलायन इतना भारी है वहां खेत में खड़ी फसल काटने के लिए मजदूर नहीं हैं, किसान परेशान हो रहे हैं। पर वहां के किसी अधिकारी के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

कांग्रेस शासित राजस्थान और पंजाब से, शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी के शासन वाले महाराष्ट्र और कम्युनिस्ट पार्टी के शासन वाले केरल से भी हजारों मजदूरों का पलायन हुआ है। जिस तरह से दिल्ली-यूपी सीमा पर लगे जुटे थे उसी तरह से केरल के कोट्टायम में हजारों लोग इकट्ठा हो गए। वहां भी इससे लोगों की जान जोखिम में पड़ी पर वहां के अधिकारियों पर कार्रवाई के बारे में नहीं सोचा गया। संकट के इस समय में भी केंद्र सरकार ने अपनी सारी नाराजगी दिल्ली की सरकार के लिए बचा कर रखी है।

यह भी खबर आई है कि दिल्ली और देश के कई हवाईअड्डों से लोग बिना जांच के निकल गए। सऊदी अरब और दुबई से लौट रहे लोगों की जांच मार्च के मध्य तक नहीं हुई। केरल में कोरोना वायरस के ज्यादातर मरीज वहीं हैं, जो इन देशों से लौटे हैं। पूरे देश को इस तरह की लापरवाही से खतरे में डालने के लिए किस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हो रही है? आज भारत के ज्यादातर अस्पतालों में डॉक्टर और दूसरे स्वास्थ्यकर्मी बिना पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट, पीपीई के काम कर रहे हैं। भारत के पास दो महीने से ज्यादा समय था पीपीई के ऑर्डर देकर मंगाने का, पर नहीं मंगाया गया। इससे डॉक्टरों, नर्सों और दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों का जीवन खतरे में पड़ा है, उसके लिए किसकी जिम्मेदारी तय की जा रही है?

संयुक्त राष्ट्र में क्यों नहीं उठ रहा मुद्दा?

चीन मामूली बातों को भी संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाता रहता है। भारत ने पिछले साल कश्मीर के बारे में फैसला किया तो चीन ने इसे भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया, बल्कि उसने इस मसले पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक बुलवाई, जबकि वह शुद्ध रूप से भारत का आंतरिक मामला था। पर इस समय पूरी दुनिया अब तक के सबसे बड़े संकट से जूझ रही है तब इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र संघ में चर्चा नहीं हो रही है और न संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की बैठक हो रही है। ध्यान रहे इस समय सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता चीन के पास ही है। 

पिछले दिनों एक छोटे से देश इरिट्रिया ने कोरोना वायरस के मसले पर संयुक्त राष्ट्र संघ में चर्चा की मांग की थी। उसने सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने की भी मांग की थी। पर किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया और उसकी मांग आई-गई हो गई है। असल में यह बैठक इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि अगर इस मसले पर सुरक्षा परिषद में चर्चा होती है तो चीन की भूमिका पर सवाल उठेंगे। संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में आएगी। चीन के सबसे बड़े वायरोलॉजी लैब, वुहान इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी के बारे में बातें होंगी।

चीन यह सब नहीं चाहता है। तभी वह सुरक्षा परिषद की बैठक नहीं होने देना चाहता और पता नहीं किस मजबूरी में सारी दुनिया भी इस बात की अनदेखी किए हुए है। ऐसा लग रहा है कि दवा से लेकर तमाम दूसरी चीजों में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट्स की सप्लाई चेन पर चीन की पकड़ इतनी मजबूत है कि संकट के इस समय में कोई भी देश उसे नाराज करना नहीं चाहता। भारत और अमेरिका भी चुपचाप उसकी मनमानियां देख रहे हैं।

चीन अपनी सफाई में लगा है

चीन को लेकर सारी दुनिया आशंकित है। इस बात की चारों तरफ चर्चा है कि चीन ने कोरोना वायरस फैलाया है। इस चर्चा को खत्म करने के लिए या इसके सबूत मिटाने के लिए चीन इन दिनों पीछे जाकर वायरस का समूचा इतिहास मिटाने में लगा है। गौरतलब है कि चीन में वुहान वायरस या वुहान निमोनिया की खूब चर्चा होती रही है। ‘चाइना डेली’ ने 2018 में एक ट्विट किया था, जिसमें उसने बताया था कि वुहान इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी में 15 सौ किस्म के अलग अलग वायरस के नमूने हैं।

चाइनीज मीडिया की और भी ऑनलाइन रिपोर्ट्स में वुहान वायरस या वुहान निमोनिया की चर्चा रही है। पर जब से कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में फैला है और इसे लेकर वुहान चर्चा में आया है तब से चीन की मीडिया अपनी तमाम पुरानी रिपोर्ट्स मिटाने में लगी है। इस बात के पक्के सबूत मिले हैं कि चीन की मीडिया के पुराने रिपोर्ट्स से वुहान वायरस या इससे मिलते जुलते जो भी शब्द लिखे गए थे उन्हों मिटाया जा रहा है।

असल में चीन नहीं चाहता है कि इस वायरस के लिए दुनिया उसे कठघरे में खड़ा करे क्योंकि इससे उसका कारोबार पूरी तरह से चौपट हो जाएगा। तभी उसने अमेरिका पर आरोप लगा दिया। जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को चाइनीज वायरस कहा तो चीन ने पलट कर आरोप लगा दिया कि पिछले साल के अंत में चीन के सैनिकों का एक दस्ता वुहान गया था और वहीं वायरस लेकर गया था।

चीन ने इस बात को इतने जोर-शोर से कहना शुरू किया कि ट्रंप को पीछे हटना पड़ा। ट्रंप ने बयान देकर कहा कि वे कोरोना वायरस को चाइनीज वायरस नहीं कहेंगे। इसके बाद अचानक चीन भी चुप हो गया। अब दुनिया को और खास कर मीडिया को चीन की कहानी का पर्दाफाश करना चाहिए। पुरानी मीडिया रिपोर्ट्स और उनके ट्विट्स को सामने लाकर उसके बारे में लोगों को बताना चाहिए। दुर्भाग्य से किसी भी देश का मीडिया ऐसा नहीं कर रहा है उलटे मीडिया में चीन की कही बातों को पूरी तरह से सच मान कर प्रचारित किया जा रहा है। भारत के सबसे बेहतरीन सामरिक जानकारों में से एक ब्रह्मा चैलानी लगातार चीन का सच सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं। 

राजस्थान में कोरोना वायरस पॉजिटिव केस, संख्या पहुंची 79

जयपुर। कोरोना वायरस  इस समय वैश्विक आपदा बन चुका है। इस बीच, कोरोना वायरस राजस्थान में अपना पैर तेजी से पसारता हुआ नजर आ रहा है। सोमवार रात तक राजस्थान में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 79 पहुंच गया है। 

राजस्थान के भीलवाड़ा के बाद अब जयपुर के रामगंज में कोरोना वायरस अपने पैर पसारते हुए नजर आ रहा है। खबर के मुताबिक, सोमवार को रामगंज में कोरोना वायरस के 10 पॉजिटिव केस आए। रामगंज में पहले से पॉजिटिव मिले हनीफ की मां और बेटा कोरोना पॉजिटिव मिले। वहीं, भीलवाड़ा में भी एक और पॉजिटिव सामने आया है. बांगड हॉस्पिटल की ओपीडी में एक व्यक्ति पॉजिटिव मिला है। 

इसके अलावा ईरान से भारत लाए गए लोगों में से आज कुल 7 पॉजिटिव मिले हैं. 277 भारतीय ईरान से 25 मार्च को जोधपुर लाये गए थे। इस बीच, रविवार को अजमेर में एक ही परिवार के चार लोग कोरोना की जांच में पॉजिटिव पाए गए।

जानकारी के मुताबिक, अजमेर में घर का बेटा (23 वर्षीय) पंजाब से कोरोना वायरस संक्रमण लेकर आया था। इसके बाद जब उसकी जांच हुई तो उसके साथ माता-पिता और उसकी बहन भी कोरोना वायरस पॉजिटिव पाई गई। वहीं, राजस्थान के जोधपुर में भी सोमवार सुबह कोरोना एक पॉजिटिव केस सामने आया है।

गौरतलब है कि इससे पहले रविवार को राजस्थान में कोरोना वायरस के दो और पॉजिटिव मामले दर्ज किए गए। इसमें भीलवाड़ा की 53 साल की महिला शामिल है। वहीं, अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि महिला दिल की मरीज थी और यहां उसकी एंजियोप्लास्टी की गई थी।
  










कोरोना से जंग में निगम की सक्रियता

इसानों के साथ-साथ बेजुबान पशु-पक्षियों के लिये भी की जा रही है भोजन की व्यवस्था 

जयपुर। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिये जारी जंग में साफ-सफाई, सैनेटराइजेषन के साथ-साथ नगर निगम बेसहारा लोगों, पषु-पक्षियों के लिये खाने पीने की व्यवस्था करने में मुस्तेदी से लगा हुआ है। नगर निगम द्वारा शहर में प्रतिदिन 1 लाख से ज्यादा फूड पैकेट वितरित करवाये जा रहे है। इसके साथ-साथ निराश्रित पषुओं के लिये चारा एवं कुत्तों के लिये रोटी की व्यवस्था भी निगम द्वारा की जा रही है।

93 स्थानों पर वितरित किया जा रहा है तैयार भोजनः-

प्राधिकारी एवं आयुक्त नगर निगम जयपुर ग्रेटर एवं हैरिटेज विजयपाल सिंह ने बताया कि शहर के चिन्हित 93 स्थानों पर अक्षय पात्र की रसोई में तैयार खाना वितरित करवाया जा रहा है। प्रतिदिन लगभग 1 लाख से ज्यादा खाने के पैकेट असहाय लोगों को वितरित किये जा रहे है। इसके लिये सभी जोन उपायुक्तों को निर्देष दिये गये है कि उनके क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रहे। उन्होंने बताया कि जिला प्रषासन, स्वयं सेवी संस्थाओं अथवा निगम के कन्ट्रोल रूम के माध्यम से जहां भी खाने की आवष्यकता बताई जा रही है वहां तत्काल खाना उपलब्ध करवाया जा रहा है।  

कुत्तों के लिये रोटी तो पक्षियों के लिये दाने की व्यवस्थाः-

नगर निगम का प्रयास है कि संकट की इस घडी में कोई जानवर भी भूखा नहीं रहे। इसके लिये 7 से 8 हजार रोटियां प्रतिदिन अक्षय पात्र रसोई से बनवाकर शहर के कुत्तों को वितरित की जा रही है। अभी हाल ही में निगम ने जो नये हूपर खरीदे है उनके माध्यम से कुत्तों के लिये रोटियां वितरित करवाई जा रही है। प्रत्येक जोन में इस कार्य के लिये विषेष हूपर लगाया गया है जिसमें एक व्यक्ति की डयूटी इस कार्य के लिये लगाई गई है। निदेषक सम्पदा मुकेष कायथवाल इसकी माॅनिटरिंग कर रहे है। इसी प्रकार पक्षियों को दाना डालने के निर्धारित स्थानों पर निगम द्वारा दाना डलवाया जा रहा है। नगर निगम ने इसके लिये 10 क्विंटल दाना खरीदा है।

गायों को उपलब्ध करवाया जा रहा है हरा चारा:-

आयुक्त विजयपाल सिंह ने बताया कि श्री कृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट के माध्यम से निराश्रित गौवंष के लिये हरे चारे की व्यवस्था की गई है। जहां भी निराश्रित गौवंष है वहां पर हरा चारा पहुंचाया जा रहा है।

निगम के पार्को के बाहर पानी की टंकी रखवाने के निर्देषः-

आयुक्त विजयपाल सिंह ने निर्देष दिये है कि निगम के पार्को के बाहर सीमेन्ट की टंकी रखवाकर पानी भरा जाये ताकि निराश्रित पषु-पक्षियों को पेयजल उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि निगम के कई पार्को के बाहर सीमेन्ट की टंकियां रखी हुई है और जहां नहीं है वहां रखवाने के निर्देष उपायुक्त उद्यान को दिये गये है।

आमजन छतों या घर के बाहर रखे दाना पानीः-

आयुक्त विजयपाल सिंह ने सभी शहरवासियों से अपील की है कि वे घरों की छत पर या घर के बाहर पक्षियों के लिये दाने एवं पानी की व्यवस्था करें। आयुक्त ने शहरवासियों से अपील की है कि वे 2 रोटी ज्यादा बनाये और आस-पास के निराश्रित पषुओं को खिलाये। इसके साथ ही उन्होंने आमजन से अपील की है कि यदि आपके आस-पास कोई व्यक्ति भूखा है तो निगम के कन्ट्रोल रूम नम्बर 0141-27427400 पर फोन करके आप यह जानकारी प्राप्त कर सकते है कि आपके आस-पास किस जगह पर निगम द्वारा खाने के पैकेट उपलब्ध करवाये जा रहे है।

पूरे शहर में करावाया जा रहा है सोडियम हाइपोक्लोराईट का छिड़काव

घरों पर छिड़काव के लिये फोन कर कन्ट्रोल रूम पर अनावष्यक दबाव न बनाये आमजन

जयपुर। नगर निगम द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये पूरे शहर में सोडियम हाइपोक्लोराईट का छिड़काव करवाया जा रहा है। इसके लिये निगम ने 30 से ज्यादा दमकल लगा रखी है। प्रत्येक जोन में 3 से 4 दमकल इस कार्य में लगी हुई है। हाल ही में इस कार्य के लिये अत्याधुनिक 10 दमकलें और लगाई गई है। इनकी खासियत है की ये चलते हुये सोडियम हाइपोक्लोराईट का छिड़काव कर सकती है। वाटरमिस्ट तकनीक से लेस इन दमकलों से कम तरल से ज्यादा ऐरिया कवर किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त 120 टीमें सोडियम हाइपोक्लोराईट के छिड़काव के लिये फील्ड में लगी हुई है। निगम के 100 से ज्यादा कार्मिक पीठ पर टाकने वाली मषीनों के माध्यम से भी छिड़काव कर रहे है। लगभग सभी सार्वजनिक स्थानों, सड़कों, गलियों एवं काॅलोनियों को कवर किया जा रहा है।

आयुक्त विजयपाल सिंह ने आमजन से अपील की है कि घरों पर सोडियम हाइपोक्लोराईट के छिड़काव के लिये फोन कर निगम के कन्ट्रोल रूम पर अनावष्यक दबाव नहीं बनाये। उन्होंने बताया कि निगम द्वारा पूरे शहर के सार्वजनिक स्थानों पर लगातार छिड़काव करवाया जा रहा है। उन्होेंने बताया कि कन्ट्रोल रूम में कई फोन ऐसे भी आ रहे है जिनके माध्यम से घरों में छिड़काव करवाने की मांग की जा रही है। गौरतलब है कि नगर निगम द्वारा घरों पर छिड़काव केवल उन्ही क्षेत्रों में किया जा रहा है जहां कोई संक्रमित मिला है।

किसी को भी नौकरी ने नहीं निकाला जाएगा, मकान का किराया लिया तो होगी कार्रवाई

जयपुर। भारत सरकार कोरोना वायरस  के संक्रमण के संकट से जूझने में जुटी है। ऐसे में राजस्‍थान की गहलोत सरकार ने नया निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि लॉकडाउन  के दौरान अगले 1 महीने तक कोई भी मकान मालिक अपने किरायेदारों से किराया नहीं लेगा। इसके साथ ही कोई भी नियोक्ता अपने श्रमिकों को नौकरी से नहीं निकाल सकेगा। साथ ही इस अवधि के दौरान श्रमिकों को पूरा वेतन दिया जाएगा। इसका उल्‍लंघन करने पर सख्‍त कार्रवाई की जाएगाी।

गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार के निर्देशों का पालन न करने पर कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। राज्य की सीमाएं सील कर दी गई हैं। एक राज्य से दूसरे राज्य में आने-जाने पर रोक लगा दी गई है। दूसरा राज्य व्यक्तियों को अपनी सीमा में प्रवेश नहीं करने देगा। राजीव स्वरूप ने कहा की विशेष कैम्पों में लोग रह सकते हैं। वहां किसी प्रकार की समस्या है तो अधिकारियों को बताएं। कंट्रोल रूम को बताएं या हेल्पलाइन को सूचित करें या फिर निकटतम पुलिस स्टेशन को इसकी जानकारी दें। बकौल राजीव स्वरूप सरकारी टीम मौके पर पहुंचकर उनके खाने का पूरा इंतजाम करेगी। विशेष कैम्पों में फूड पैकेट्स उपलब्ध कराए जाएंगे।

राज्य में कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए

राजीव स्वरूप ने कहा कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश हैं कि राज्य में कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए। पूरे देश में जो लॉकडाउन किया गया है, उसका एक ही उद्देश्य है और वो है कोरोना महामारी के संक्रमण को फैलने से रोकना। सभी को भारत और राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। सरकार ने जो एडवाइजरी जारी की है उसका पूरी तरह से पालन किया जाना आवश्यक है।  

रविवार, 29 मार्च 2020

भारत में लॉकडाउन है सिर्फ जुगाड़!

वह जुगाड़, जिसमें वायरस के साथ घर बैठ कर मौत का इंतजार है। बिना टेस्ट, बिना मेडिकल तैयारी के 21 दिनका ‘भारत बंद’ घर में वायरस को बैठा कर है। भारत में वायरस का पहला केस वुहान से 31 जनवरी को केरल में आया था। तब से मध्य मार्च तक पूरे भारत में वायरस प्रदेश-दर-प्रदेश पसरा और अचानक एक दिन जब ‘भारत बंद’ का फैसला हुआ तो वह युद्ध मैदान में वायरस से लड़ने के लिए मेडिकल फोर्स, हथियारों, टेस्ट-अस्पतालों से धावा बोल हमले का बिगुल बजा कर नहीं था बल्कि इस जुगाड़सोच में है किघरों में बंद होने से वायरस मर जाएगा। जुगाड़ कामयाब हुआ तो वाह और नहीं तो श्मशान घाट पर बैठ कर लोग सोचेंगे कि इससे ज्यादा भला क्या हो सकता था! मौत नहीं टाल सकते!  

हां, यही हैं आने वाले वक्त में कोरोना से भारत के लड़ने की तस्वीर!पूरा देश मुगालते में है कि मोदीजी के साहस से, मोदीजी की सख्ती से भारत बच जाएगा। वायरस को गर्मी खा जाएगी। घर में बैठ कर रामायण, महाभारत देखेंगे, नरेंद्र मोदी का सत्संग सुनेंगेऔर हाथ साफ करते रहेंगे तो 21 दिनों में भारत के लोगों के शरीर का इम्यून सिस्टम वायरस को घोल कर नाली में बहा देगा।

इसके अलावा सब रामभरोसे है और लॉकडाउन में 130 करोड़ लोगों का टाइम पास है। भारत के 130 करोड़ लोगों की वायरस से लड़ाई बिना मेडिकल तैयारी, बिना सघनजांच-पडताल, मास टेस्टिंग, ट्रेसिंग, अस्पतालों, वेंटिलेशन, पीपीई, चिकित्साकर्मियों केहैं। तभी हम तालाबंदी में वायरस के साथ वक्त काटने को शापित हैं। भारत का लॉकडाउन इंसान और वायरस को एक साथ ताले में बंद करना है और शरीर के इम्यून सिस्टम और वायरस को आपस में लड़ते देते हुए वक्त पास होने देना है।

क्या यह गलत बात है? यदि गलत है तो कोई बताए कि लॉकडाउन के साथ वायरस को घटाने याकिमिटिगेट करने, कुचलने याकि सप्रेस करने के लिए वायरस की खोजखबर, उसके फैलाव को पकड़ने के परीक्षणों याकि टेस्ट के जरिए जो महाअभियान शुरू होना चाहिए था क्या वह कहीं दिखलाई दे रहा है? यदि दिखलाई नहीं दे रहा है तो सीधा अर्थ सिर्फ यह है कि 130 करोड़ लोग और वायरस आमने-सामने खड़े हो कर आपस में, अपने घरों में लड़ते रहें।

ऐसे वुहान, इटली, स्पेन, न्यूयार्क या दुनिया के किसी भी देश में नहीं हुआ। वहां लॉकडाउन सचमुच में टेस्ट और मेडिकल महाअभियान का जंग बिगुल था। कार्ययोजना और रोडमैप से लॉकडाउन शुरू हुआ। लड़ाई के पूरे रोडमैप के साथ। मतलब टेस्ट से मौत तक याकि दाहसंस्कार के रोडमैप के साथ है। उस नाते रोडमैप का पहला बिंदु टेस्टिंग है। मगर भारत में लॉकडाउन के बाद भी टेस्टिंग ऊंट के मुंह में जीरा है। दस लाख लोगों के पीछे 16 टेस्ट का औसत है, जबकि जिन देशों ने आपातकाल, लॉकडाउन से जंग शुरू की उसमें दक्षिण कोरिया में छह हजार टेस्ट का औसत है तोन्यूयार्क में लॉकडाउन से पहले प्रति दस लाख आबादी पर 16 टेस्ट थे और लॉकडाउन बाद 12 मार्च को 1,145 और 21 मार्च को 6,276 की टेस्टिंग थी। अमेरिका में तीन दिन पहले औसत प्रतिदिन टेस्टिंग 1280 लोगों की थी तो इटली में लॉकडाउन के बाद 25 मार्च को 5268 टेस्ट प्रतिदिन थे। जबकि 130 करोड़ लोगों के भारत में 25 मार्च तककुल ही टेस्ट 25,144 थे।जाहिर है भारत में तालाबंदी जुगाड में हम वायरस को छुपाए बैठे हैं। जिस दिन भारत में प्रति दस लाख के पीछे सौ टेस्ट भी होने लगेंगे और नतीजों में फुर्ती आई नहीं कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा प्रभावित देश होने का ग्राफ बनने लगेगा।

कितना खराब है यह लिखना कि भारत में ज्यों-ज्यों कोरोना वायरस का टेस्ट बढ़ेगा, भारत के आंकड़ों के आगे अमेरिका, स्पेन, इटली की श्मशान खबरें सामान्य लगने लगेंगी। लेकिन क्या यह रियलिटी वायरस से लड़ने की सरकार और जनता की लड़ाई के रोडमैप की असलियत नहीं होनी चाहिए? क्यों भारत के टीवी चैनल, मीडिया, नैरेटिव और भारत के लोग यह हल्ला नहीं बना रहे हैं कि बिना टेस्ट के हम कोरोना से नहीं लड़ सकते है। बिना युद्धस्तरीय मेडिकल टेकओवर, स्टेडियम-मैदानों को टेस्ट ग्राउंड, अस्पतालों में कनवर्ट किए हम महानगरों को मरघट बना डालेगें? तुरंत हर तहसील, हर जिले को उनकी सीमाओं में बांध कर उन्हें टेस्ट से लेकर अंत्येष्टि की गाइडलाइन में पाबंद बनाओ।

हां,हम यमदूत वायरस से तभी लड़ सकते हैं जब जाग कर, होशहवास में लड़ाई लड़ें। कल सुबह सीएनएन के ग्लोबल टाउनहाउस प्रोग्राम में स्पेन की इस रिपोर्ट को सुन मैं दहल गया कि वहां प्रशासन ने वायरस के मरीज मृतकों के दाह संस्कार को रोक दिया, क्योंकि जगह और कर्मचारी की कमी से फिलहाल प्राथमिकता लड़ना है, समझ नहीं पड़ रहा कि करें तो क्या करें! कितनी दहला देने वाली बात है यह! लेकिन इटली और स्पेन जैसे महाविकसितव भारत से असंख्य गुना अधिक मेडिकल सुविधाओं, संजीदगी, अनुशासन, चुस्त सिस्टम वाले देश में यदि आज मृतकों की अंत्येष्टि भी मुश्किल चुनौती हो गई है तो गरीब, पिछड़े भारत में आने वाला वक्त क्या सिनेरियो लिए हुए होगा, यह क्या समझ नहीं आना चाहिए। क्या जुगाड़ में ही वक्त काटेगें?

अपना मानना है कि कोरोना वायरस फिलहाल विकसित देशों में लोगों की जानें ले रहा है तो यह उनके विकसित होने मतलब टेस्ट-मेडिकल सुविधाओं की हकीकत से है। वे वायरस से पहले लड़ रहे हैं तो वे अपने-अपने बूते पहले वायरस पर काबू भी पाएंगे। उनका मेडिकल सिस्टम तुरंत लड़ने में समर्थ है इसलिए वे टेस्ट, इलाज से जंग में जल्दी पहुंचे हैं जबकि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे तीसरी दुनिया के देश रामभरोसे, लाकडाउन के जुगाड़ में बिना तैयारी के लड़ेंगे।

तभी इटली, स्पेन, ब्रिटेन, अमेरिका जैसे देश वायरस से वेंटिलेशन पर गए लोगो को ही बचाने में फेल होते दिख रहे हैं पर मृत्यु दर न्यूनतम रखते हुए। विकसित देशों में मृत्यु दर संक्रमित लोगो में एक से दो प्रतिशत के बीच अटकेगी जबकि भारत सहित तीसरी दुनिया के बाकी देशों में कोरोना वायरस से बनने वाली मृत्यु दर तीन-चार प्रतिशत पहुंच जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। इसलिए क्योंकि इन देशों की वायरस के खिलाफ लड़ाई बिना संसाधन, बिना हथियार, बिना तैयारियों के है। अमेरिका, स्पेन, इटली आदि विकसित देश लॉकडाउन के बाद घरों से वायरस को निकाल उसे अस्पताल ले जा कर लड़ने का फोकस बनाए हुए हैं जबकि भारत में तालाबंद के साथ लोगों को, वायरस को घरों में लड़ने के लिए रामभरोसे छोड़ा जा रहा है।

अब इस बिंदु पर यह फुलस्टॉप बनता है कि हम क्या कर सकते हैं? हमारे पास टेस्ट किट, लैब, अस्पताल, वेंटिलेशन, बख्तरबंद पीपीई पोशाक आदि याकि सार्वजनिक-निजीमेडिकल व्यवस्था का कुल जोड़ ही जब जर्जर है और दुनिया के बाजार की खरीददारी की मारामारी में हाबड़तोड़ सामान मंगवा सकना अपने लिए मुश्किल है तो करें तो क्या करें? इस पर फिर विचार करेंगे।

कोरोना लॉकडाउन: केंद्र ने कहा- प्रवासी मजदूरों का पलायन रोकने के लिए सीमाएं सील करें राज्य

केंद्र ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासनों से लॉकडाउन के दौरान प्रवासी कामगारों की आवाजाही को रोकने के लिए प्रभावी तरीके से राज्य और जिलों की सीमा सील करने को कहा है। 

मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने उनसे सुनिश्चित करने को कहा कि शहरों में या राजमार्गों पर आवाजाही नहीं हो क्योंकि लॉकडाउन जारी है।

 कोरोना वायरस फैलने के खतरे को देखते हुए 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर लॉकडाउन की घोषणा के बाद आने-जाने का कोई साधन न मिलने के कारण पैदल या साइकिल से ही सैकड़ों-हजारों किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए निकल पड़े।

इसको देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार सहित कई अन्य राज्य सरकारों ने अपने यहां के मजदूरों को वापस लाने के लिए बसों की व्यवस्था की थी।

एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘देश के कुछ हिस्सों में प्रवासी कामगारों की आवाजाही हो रही है। निर्देश जारी किए गए हैं कि राज्यों और जिलों की सीमा को प्रभावी तरीके से सील करना चाहिए।’

राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि शहरों में या राजमार्गों पर लोगों की आवाजाही नहीं हो। केवल सामान को लाने-ले जाने की अनुमति होनी चाहिए।

अधिकारी ने बताया कि इन निर्देशों का पालन करवाने के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की निजी तौर पर जिम्मेदारी बनती है।

अधिकारी ने बताया कि प्रवासी कामगारों सहित जरूरतमंद और गरीब लोगों को खाना और आश्रय मुहैया कराने के लिए समुचित इंतजाम किए जाएंगे।

इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने शनिवार को राज्यों को परामर्श जारी कर कहा था कि लॉकडाउन के दौरान बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रवासी मजदूरों का पलायन रोका जाए।

आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों एवं राज्य बाल आयोगों को ईमेल भेजकर परामर्श जारी किया है।

उन्होंने कहा कि बच्चों के हितों में पलायन रोका जाए और प्रवासी कामगार जिस शहर में हैं उन्हें वहीं खाने-पीने की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए।

कानूनगो ने परामर्श में यह भी कहा कि सभी बेसहारा बच्चों और बाल गृहों में रहने वाले बच्चों के लिए खाने-पीने और चिकित्सा की सुविधाएं सुनिश्चित की जाए।

उन्होंने इन दिनों प्रवासी कामगारों के पैदल पलायन का हवाला देते हुए कहा, ‘श्रमिक और उनके बच्चे जिस शहर में हैं उन्हें वहीं पर स्थानीय प्रशासन की ओर से खाने-पीने, रहने और चिकित्सा की सुविधाएं मुहैया कराई जाए।’

कानूनगो ने कहा कि बच्चों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने से जुड़े कदमों की निगरानी जिला अधिकारी के स्तर पर से होनी चाहिए।

आयोग ने यह भी कहा कि सभी इलाकों में ”चाइल्डलाइन” सेवा को सक्रिय रखा जाए ताकि हर जरूरतमंद बच्चे की मदद की जा सके।

शनिवार को ही केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए एक बैठक में उद्योग एवं व्यापार संगठनों से श्रमिकों के वृहद स्तर पर हो रहे पलायन को रोकने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि ये श्रमिक न सिर्फ उद्योग एवं व्यापार जगत की संपत्ति हैं बल्कि इस तरह का पलायन श्रमिकों को कोरोना वायरस का संवाहक भी बना सकता है।

वहीं, इस बैठक में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने श्रमिकों व कामगारों को उनकी जगह तथा नौकरी में बनाये रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि श्रमिकों के पलायन से न सिर्फ राष्ट्रीय बंदी पर असर पड़ेगा बल्कि यह संक्रमण के समाप्त होने के बाद परिस्थितियों को सामान्य होने में भी देरी का कारक बनेगा।

प्रदेश के 60 लाख 61 हजार परिवारों के 2.5 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग, संक्रमण रोकने के लिए हाइपो क्लोराइट का छिड़काव

जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि राज्य भर में 60 लाख 61 हजार परिवारों के 2.5 करोड़ सदस्यों की स्क्रीनिंग का काम एक्टिव सर्विलांस टीम द्वारा व करीब 25.5 लाख रोगियों की पैसिव सर्विलांस टीम द्वारा ओपीडी में स्क्रीनिंग की जा चुकी है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए  हाइपो क्लोराइट का छिड़काव किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विभाग अन्य विभागों के समन्वय से योजनाबद्ध तरीके से काम कर कोरोना संक्रमण से उपजे हालात पर काबू करने की कोशिश कर रहा है।

डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि 28 मार्च शाम 4 बजे तक मिली रिपोर्ट के अनुसार करीब 54 कोरोना पॉजीटिव लोगों की पुष्टि हुई है। दो पॉजीटिव केस आज सामने आए हैं। प्रदेश में कुल 56 केसेज अब तक पॉजीटिव आए हैं। उन्होंने बताया कि कल तक मिले 54 पॉजीटिव केसेज के संपर्क में आए लगभग 1400 लोगों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कर स्क्रीनिंग भी की गई, उनमें से 200 लोगाें के सैंपल लिए गए और उन्हें जांच के लिए भेजा गया है।

275 यात्रियों को एयरलिफ्ट कर जोधपुर आर्मी कैंप में किया क्वारेंटाइन

उन्होंने कहा कि रविवार को भारतीय मूल के 275 यात्रियों को ईरान से एयरलिफ्ट कर जोधपुर में सेना के क्वारेंटाइन सेंटर में भर्ती किया गया है। इनमें 133 महिलाएं और 142 पुरुष और 6 बच्चे हैं। उन्होंने बताया कि यह दूसरा दल है जिसे एयरलिफ्ट करके लाया गया है। इससे पहले जैसलमेर में 490 लोगों को विदेश से लाया गया था।

प्रदेश में 55 हजार से ज्यादा क्वारेंटाइन सेंटर तैयार

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री ने 1 लाख क्वारेंटाइन सुविधा उपलब्ध कराने का जो लक्ष्य रखा था, 55 हजार 400 क्वारेंटाइन चिन्हित किए जा चुके हैं और शेष के लिए कार्यवाही जारी है। 

जरूरत के अनुसार वेंटिलेटर्स खरीदने की प्रक्रिया शुरू

डॉ. शर्मा ने कहा कि विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में वेंटिलेटर्स हैं। मांग और उपलब्धता के अनुसार और वेंटिलेटर्स खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि एक वेंटिलेटर से दो मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाले वेंटिलेटर्स एनबीसी से लेने की बात चल रही है। उसका परीक्षण भी करवा लिया गया है।

पर्याप्त मात्रा में है चिकित्सा सामग्री

डॉ. शर्मा ने कहा कि राज्य में पीपीई (पर्सनल प्रोेटेक्टिव इक्विपमेंट) किट 8549, एन-95 मास्क 38099 की संख्या में मौजूद है। पीपीई किट का बफर स्टाक 2821 और एन-95 मास्क का 36272 है। उन्होंने कहा कि पीपीई किट, मास्क, ग्लव्स, ट्रिपल लेयर मास्क, एन-95 मास्क के लिए आरएमएससीएल को निर्देश दिए जा चुके हैं, वह निरंतर खरीद की कार्यवाही कर रहे हैं। बचाव सामग्री की कहीं कोई कमी नहीं आने देंगे।

अधिकारी-कर्मचारी, चिकित्साकर्मी और नसिर्ंग स्टाफ नहीं छोड़ रहे कोई कसर
डॉ. शर्मा ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री रोहित कुमार सिंह, चिकित्सा शिक्षा सचिव श्री वैभव गालरिया,  निदेशक एनएचएम श्री नरेश कुमार ठकराल एवं राजस्थान स्टेट इंश्योरेंस एजेंसी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती शुचि त्यागी सहित विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, चिकित्सक और नसिर्ंगकर्मी  पूरी शिद्दत से इस महामारी सेे रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। 

मुख्यमंत्री ले रहे पल-पल की खबर

उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर मुख्यमंत्री स्वयं बेहद सजग और संवदेनशील हैं। वे वीडियो कॉन्फ्रेसिंग, बैठक करके हर पल की खबर ले रहे हैं और आवश्यकता के अनुसार निर्देश जारी कर रहे हैं। भले ही पड़ौसी राज्यों से आए लोगों का स्क्रीनिंग काम हो या फिर उन्हें भोजन उपलब्ध कराने की बात हो। हर घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री मॉनिटरिंग रख रहे हैं। साथ ही मुख्य सचिव, गृह सचिव अन्य विभागों से बराबर समन्वय कर हालात को काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं। कोरोना के संक्रमण को नियंत्रित और रोकथाम के लिए बनी टास्क फोर्सेज भी सभी व्यवस्थाओं पर पैनी नजर बनाए हुए है।

गहलोत सरकार ने देर रात ब्यूरोक्रेसी में एक और बड़ा बदलाव कर दिया

राज्य प्रशासनिक सेवा के 22 अधिकारियों के तबादले  के बाद देर रात ब्यूरोक्रेसी में  बदलाव करते हुए आधा दर्जन आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया।

जयपुर। प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार  ने शनिवार को दिन में राज्य प्रशासनिक सेवा के 22 अधिकारियों के तबादले  के बाद देर रात ब्यूरोक्रेसी में एक और बड़ा बदलाव करते हुए आधा दर्जन आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया। इस तबादला सूची में सरकार ने 2 जिलों के कलक्टर भी बदल दिए हैं। सवाई माधोपुर के कलक्टर एसपी सिंह और बाड़मेर के कलक्टर अंशदीप को हटा दिया गया है। सरकार ने अब नन्नू मल पहाड़िया को सवाई माधोपुर और विश्राम मीणा को बाड़मेर कलक्टर लगाया है।

परिवहन निगम के अध्यक्ष रविशंकर श्रीवास्तव को भी हटाया

वहीं रोडवेज बस खरीद मामले में सुर्खियों में रहे राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के अध्यक्ष रविशंकर श्रीवास्तव को उनके पद से हटा दिया गया है। अब उन्हें आयुक्त, विभागीय जांच बनाया गया है। माना जा रहा है कि सरकार ने रवि शंकर श्रीवास्तव की हठधर्मिता के चलते उन्हें पद से हटाया है। कोरोना वायरस के चलते बड़ी संख्या में पलायन कर रहे श्रमिकों के लिए राजस्थान रोडवेज की बसों का सही संचालन नहीं करने के कारण उन पर गाज गिरी है। रोडवेज में उच्च अधिकारी एक दूसरे के आदेश को दरकिनार करने में लग गए थे। 

आईएएस श्रीवास्तव ने बस खरीद पर उठाए थे सवाल

हाल ही में सरकारी बसों की खरीद के मामले में भी रविशंकर श्रीवास्तव ने परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास के फैसले पर सवालिया निशान लगाया था। बाड़मेर और सवाई माधोपुर के कलक्टर की कार्यप्रणाली से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नाखुश बताए जा रहे थे। कार्मिक विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार आईएएस नवीन जैन को अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राज्य पथ परिवहन निगम के पद पर लगाया है। बाड़मेर के कलक्टर अंशदीप को निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग लगाया है। गवाड़े प्रदीप केशवराव को अतिरिक्त निदेशक नेशनल हेल्थ मिशन के पद पर लगाया गया है।

भीलवाड़ा और झुंझुनूं कलेक्टर को 10 आरएएस की सेवाएं

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भीलवाड़ा और झुंझुनू जिला कलक्टर के साथ अब 10 आरएएस अधिकारी भी काम करेंगे। ये अधिकारी झुंझुनू के जिला कलक्टर के दिशा निर्देश में काम करेंगे। झुंझुनू में जिस तरह कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं उसी के चलते सरकार ने आरएएस अधिकारियों की सेवाएं झुंझुनू कलक्टर को सौंपी गई है। इनमें आरएएस प्रकाशचंद्र शर्मा, अर्जुनराम चौधरी, राजनारायण शर्मा, कमलेश आबूसरिया, हेमंत स्वरूप माथुर, राजेंद्र विजय, हरिमोहन मीणा, हरफूल सिंह यादव, सुरेश चंद्र, अबू सुफियान चौहान की सेवाएं सौंपी गई है।

गहलोत सरकार ने देर रात ब्यूरोक्रेसी में एक और बड़ा बदलाव कर दिया

जयपुर। प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार  ने शनिवार को दिन में राज्य प्रशासनिक सेवा के 22 अधिकारियों के तबादले  के बाद देर रात ब्यूरोक्रेसी में एक और बड़ा बदलाव करते हुए आधा दर्जन आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया। इस तबादला सूची में सरकार ने 2 जिलों के कलक्टर भी बदल दिए हैं। सवाई माधोपुर के कलक्टर एसपी सिंह और बाड़मेर के कलक्टर अंशदीप को हटा दिया गया है। सरकार ने अब नन्नू मल पहाड़िया को सवाई माधोपुर और विश्राम मीणा को बाड़मेर कलक्टर लगाया है।

परिवहन निगम के अध्यक्ष रविशंकर श्रीवास्तव को भी हटाया

वहीं रोडवेज बस खरीद मामले में सुर्खियों में रहे राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के अध्यक्ष रविशंकर श्रीवास्तव को उनके पद से हटा दिया गया है। अब उन्हें आयुक्त, विभागीय जांच बनाया गया है। माना जा रहा है कि सरकार ने रवि शंकर श्रीवास्तव की हठधर्मिता के चलते उन्हें पद से हटाया है। कोरोना वायरस के चलते बड़ी संख्या में पलायन कर रहे श्रमिकों के लिए राजस्थान रोडवेज की बसों का सही संचालन नहीं करने के कारण उन पर गाज गिरी है। रोडवेज में उच्च अधिकारी एक दूसरे के आदेश को दरकिनार करने में लग गए थे। 

आईएएस श्रीवास्तव ने बस खरीद पर उठाए थे सवाल

हाल ही में सरकारी बसों की खरीद के मामले में भी रविशंकर श्रीवास्तव ने परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास के फैसले पर सवालिया निशान लगाया था। बाड़मेर और सवाई माधोपुर के कलक्टर की कार्यप्रणाली से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नाखुश बताए जा रहे थे। कार्मिक विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार आईएएस नवीन जैन को अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राज्य पथ परिवहन निगम के पद पर लगाया है। बाड़मेर के कलक्टर अंशदीप को निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग लगाया है। गवाड़े प्रदीप केशवराव को अतिरिक्त निदेशक नेशनल हेल्थ मिशन के पद पर लगाया गया है।

भीलवाड़ा और झुंझुनूं कलेक्टर को 10 आरएएस की सेवाएं

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भीलवाड़ा और झुंझुनू जिला कलक्टर के साथ अब 10 आरएएस अधिकारी भी काम करेंगे। ये अधिकारी झुंझुनू के जिला कलक्टर के दिशा निर्देश में काम करेंगे। झुंझुनू में जिस तरह कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं उसी के चलते सरकार ने आरएएस अधिकारियों की सेवाएं झुंझुनू कलक्टर को सौंपी गई है। इनमें आरएएस प्रकाशचंद्र शर्मा, अर्जुनराम चौधरी, राजनारायण शर्मा, कमलेश आबूसरिया, हेमंत स्वरूप माथुर, राजेंद्र विजय, हरिमोहन मीणा, हरफूल सिंह यादव, सुरेश चंद्र, अबू सुफियान चौहान की सेवाएं सौंपी गई है।

राजस्थान यूथ कांग्रेस संगठन के चुनाव परिणाम घोषित

जयपुर। राजस्थान यूथ कांग्रेस संगठन  के चुनाव परिणाम  आखिरकार रविवार को घोषित कर दिए गए। हालांकि, अभी भी प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश उपाध्यक्ष का चुनाव परिणाम घोषित नहीं किया गया है। इनको छोड़ शेष सभी पदों के नतीजों की आधिकारिक घोषणा कर दी गई। इनमें 10 प्रदेश महासचिव, 38 सचिव, 200 विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष और जिलाध्यक्षों के चुनाव परिणाम शामिल हैं। राजसमंद, चित्तौड़गढ़, चुरू और झुंझुनू के जिलाध्यक्षों के परिणाम भी फिलहाल रोके गए हैं।

यूथ कांग्रेस के संगठन चुनाव में पहली बार ऐप्‍प के जरिए वोटिंग हुई थी। ऑनलाइन वोटिंग पर कई उमीदवारों ने गंभीर सवाल उठाते हुए केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण से इसकी शिकायत की थी। उसके बाद चुनाव परिणाम की घोषणा रोक दी गई थी। यूथ कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण ने गड़बड़ियों की जांच के लिए कमेटी बनाई थी। उसके बाद अब प्रदेशाध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पदों को छोड़ बाकी सभी पदों के नतीजों की आधिकारिक घोषणा कर दी गई है। 

प्रदेश महासचिव पद पर ये हुए विजयी

अजय कुमार जैन, आशीष चौधरी, अशोक कुमार कुलरिया, गौरव सैनी, नवीन कुमार सीलु, अरबाब खान, बलबीर सिंह थोरी, चेतन प्रकाश, तेजकरण चौधरी और सुमन बानो यूथ कांग्रेस के प्रदेश महासचिव पद पर विजयी घोषित किए गए हैं।

ये चुने गए हैं 38 प्रदेश सचिव

जगमोहन मीणा, सुनील डूडी, अरुण व्यास, अमरलाल जाड़म, महीन खान, सैयद साहिल इनाम नकवी, सबेर अहमद, मान सिंह राठौड़, यश मालवीय, रामराज यादव, किरपाल सिंह मीणा, पूजा भार्गव, वीर प्रकाश झाझड़िया, राहुक राजा, रामनिवास, गजाहफर अली, भूपेंद्र सिंह पुरावत, राहुल खान, हीरालाल गुर्जर, बंशीलाल देवड़ा, देवेंद्र बिस्सा, श्रीकांत श्रीवास्तव, हरिमोहन गुर्जर, महबूब खान, योगेश कच्छावा, नितेश यादव, गणेश घोघरा, जितेंद्र कस्वां, मोहम्मद शॉन खान, डिंपल सिंदल, उदय सिंह गुर्जर, राजेश रलिया, हरप्रीत सिंह, रामरतन मीणा, निशांत और हरपाल सिंह यूथ कांग्रेस के प्रदेश सचिव पद पर जीते हैं।

जिलाध्यक्ष के पदों पर ये निर्वाचित घोषित किए गए

अजमेर शहर - अहसान चिश्ती

अलवर - दीनबन्धु शर्मा

बांसवाड़ा - प्रकाश मेडा

शनिवार, 28 मार्च 2020

राज्यों पर जबरदस्ती ठीकरा

एक तरफ कोरोना वायरस से केंद्र और राज्यों की साझा लड़ाई चल रही है और इसी बीच केंद्र ने इसका संक्रमण फैलने के लिए जबरदस्ती राज्यों को जवाबदेबह बताना शुरू कर दिया है या कम से कम ऐसा दांव चल दिया है, जिससे अगर बाद में संक्रमण बहुत ज्यादा फैलता है या तीसरा स्टेज शुरू होता है तो राज्यों को आसानी से जिम्मेदार ठहराया जा सके। केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव ने शुक्रवार को सभी राज्यों को प्रमुख सचिवों को एक चिट्ठी लिखी है और इस बात पर चिंता जताई है कि 18 जनवरी से 23 मार्च के बीच विदेश से भारत लौटे 15 लाख लोगों की राज्यों में ठीक से निगरानी नहीं हो रही है। उन्होंने बताया है कि 15 लाख लोग लौटे हैं, लेकिन निगरानी में इससे कम लोग हैं, इसका मतलब है कि कुछ लोग निगरानी से बाहर हैं और वे बीमारी फैला सकते हैं।

सोचें, इसमें राज्यों की भूमिका कितनी बाद में शुरू होती है। सारे हवाईअड्डों की सुरक्षा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सीआईएसएफ के पास है और विदेश से आए लोगों के हवाईअड्डे से निकलते समय उनकी जांच आदि का जिम्मा इसी एजेंसी के पास होता है। जब केंद्र सरकार ने खुद ही 18 जनवरी तक भारत आए लोगों की स्क्रीनिंग नहीं की, उनकी सूची नहीं बनाई या हवाईअड्डों पर उनको रोका नहीं तो अब राज्यों को जिम्मेदार ठहराने का क्या मतलब बनता है? अगर केंद्र सरकार पहले से एलर्ट होती तो विदेश से आने वालों खास कर चीन की यात्रा हिस्ट्री वाले लोगों को हवाईअड्डों पर ही रोका जा सकता था। उनके लिए हवाईअड्डों के पास ही क्वरैंटाइन की जगह बनाई जा सकती थी। देश के पांच-छह हवाईअड्डों को छोड़ कर बाकी सबके आसपास इसके लिए पर्याप्त जगह है। पर केंद्र सरकार ने मार्च का महीना शुरू हो जाने तक लोगों को रोका नहीं तो अब राज्यों पर ठीकरा फोड़ने का प्रयास हो रहा है। 

50 वाहनों में ड्राई फूड और 10 वाहनों में घर-घर बंटेगी सब्जी

जयपुर। सरकार ने भले ही जिला प्रशासन को शहर में खाना और सब्जी घर-घर बंटवाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन प्रशासन को फील्ड में इसकी क्रियान्विती के लिए समस्या हो रही है। अब प्रशासन दानदाताओं से संपर्क कर शहर में खाना और सब्जी बंटवा रहा है। कई दानदाताओं ने जहां खुद आगे आकर इसके लिए पहल की है तो प्रशासन भी भामाशाहों से संपर्क कर व्यवस्था करा रहा है। अभी तक जिला प्रशासन ने करीब एक हजार दानदाताओं की सूची तैयार की है। इनकी मदद के जरिए शहर में 50 वाहनों में ड्राई फूड और सब्जी का वितरण शुरू किया जा रहा है।

कोरोना  को ब्रेक करने और लॉकडाउन की पालना के दौरान लोगों को अपने घर की लक्ष्मण रेखा पार ना करनी पड़े इसलिए जिला प्रशासन ने होम डिलीवरी की व्यवस्था की है। शहर में व्यापारी महावीर कुमार, नरेन्द्र कुमार जैन की ओर से प्रशासन के साथ मिलकर 10 वाहनों में अलग-अलग सब्जी का वितरण होगा। जिला प्रशासन की ओर से शनिवार से सात थाना इलाकों में सब्जी और खाना बांटा जाएगा। जयपुर एसडीओ युगांतर शर्मा और खाना वितरण के प्रभारी रामवतार गुर्जर ने बताया कि जरूरतमंदों और निराश्रितों को ड्राई फूड के पैकेट बांटने का काम तो हो ही रहा है। साथ ही शहर में किसी भी व्यक्ति को दुकान तक नहीं जाना पडे इसलिए रूट चार्ट तैयार किया गया है, जिसमें हर गली—मोहल्ले को शामिल किया गया है तय दर पर कोई भी व्यक्ति राशन और सब्जियां ले सकता है।

प्रशासन के सामने आ रही वाहनोंं की दिक्कत

जिला प्रशासन को वाहनों के एकत्रित करने में दिक्कत आ रही है। खाना सप्लाई के लिए जिला प्रशासन ने परिवहन विभाग को जिम्मेदारी दी है, लेकिन लॉक डाउन के चलते सभी वाहन बंद रहने या चालक नहीं होने से व्यवस्था करने में दिक्कत आ रही है। शुक्रवार को प्रशासन ने 100 वाहनों मांगे, लेकिन आरटीओ की ओर से इससे कम वाहनों की ही व्यवस्था की गई। 

सहयोग से बढ़ रहे आगे

-सीतापुरा औद्योगिक इलाके में 400 पैकेट बांटे गए। इसमें अधिकतर दिहाड़ी के मजदूर शामिल थे।

-गोपालपुरा मोड़ पर 100 से अधिक जरूरतमंदों को खाने के पैकेट बांटे. इसके अलावा मास्क भी वितरित किए।

-रामनगरिया थाना की सहायता से जगतपुरा में एक रेस्टोरेंट की ओर से 500 लोगों को खाना उपलब्ध कराया।

-शास्त्रीनगर इलाके में जरूरतमंदों को खाने के 500 पैकेट बांटे।

-वार्ड-81 में राशन का वितरण किया। इसमें आटा, दाल आदि जरूरी सामान है।

-श्री कृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट, गौ पुनर्वास केंद्र हिंगौनिया की ओर से शहर में आवारा घूमने वाले जानवरों को सूखा और हरा चारा उपलब्ध करवाया।

आज से शहर में सब्जी वितरण की यह रहेगी व्यवस्था

28 मार्च       खातीपुरा, झोडवाड़ा, पंखा कांटा और आसपास की कॉलोनी ।

29 मार्च       मुरलीपुरा, विद्याधरनगर, आस—पास की कॉलोनी ।

30 मार्च       शास्त्रीनगर।

31 मार्च और एक अप्रेल      परकोटा ।

2 अप्रेल         मानसरोवर, महारानी फर्म, दुर्गापुरा ।

3 अप्रेल         गोपालपुरा, त्रीवेणी।

4 अप्रेल         सोडाला, आस—पास की कॉलोनी ।

5 अप्रेल         चित्रकूट, वैशाली नगर, आस—पास इलाका ।

6 अप्रेल         खातीपुरा, झोटवाड़ा ।

7 अप्रेल         मुरलीपुरा, विद्याधर नगर, आस—पास ।

8 अप्रेूल         ढेहर के बाजाली, अम्बाबाड़ी, आस—पास ।

9 अप्रेल         शास्त्रीनगर ।

10 अप्रेल       परकोटा ।

11 अप्रेल       परकोटा ।

12 अप्रेल       मानसरोवर, महारानी फार्म, दुर्गापुरा ।

13 अप्रेल       गोपालपुरा, त्रिवेणी नगर ।

14 अप्रेल       सोडाला, आस—पास ।

लॉकडाउन के बीच जयपुर में बेजुबानों की मदद के लिए उतरी एक परी !

जयपुर। गुलाबी नगर जयपुर यूं तो इन दिनों में पर्यटकों से गुलजार रहता है। लेकिन इस बार कोरोना  ने पूरी दुनिया की तरह महाराजा जयसिंह द्वारा स्थापित इस शहर की रौनक ही छीन ली है। कोरोना से निपटने के लिए किए गए 'लॉकडाउन'  ने इस शहर को पूरी तरह शांत कर दिया है। खास लोग आइसोलेशन  में जाकर लोगों को सामाजिक दूरी बनाने का संदेश दे रहे हैं तो मध्यमवर्गीय परिवार इस बीमारी के खत्म होने और लॉकडाउन के टूटने का इंतजार कर रहे हैं।

परिंदों ने भोजन की तलाश में लंबी उड़ानें भरनी शुरू कर दी

सबसे बड़ी मुश्किल में वे लोग हैं जो रोज कमाते हैं और उस दिन की कमाई से अपने खाने पीने का बंदोबस्त कर पाते हैं। ऐसे लोगों में दूसरे राज्यों से राज्यों से आए हुए लोग भी शामिल हैं तो दूरदराज के गांवों से मजदूरी करने के लिए आये लोगों की भी बड़ी तादाद है। जाहिर है ऐसे लोगों के लिए दो जून की रोटी एक बड़ी मुश्किल बन गई है। ऐसे लोगों के लिए सामाजिक संस्थाएं और सरकारी मशीनरी हरकत में आई तो थोड़ी बहुत व्यवस्था भी होने लगी। लेकिन उन बेजुबान पर शायद ही किसी की निगाह गई जो अपने खानपान के लिए लोगों पर निर्भर है। घरों के दरवाजों पर ताले क्या लगे इन बेजुबानों के लिए भोजन की व्यवस्था भी मुश्किल हो गई। परिंदों ने भोजन की तलाश में लंबी उड़ानें भरनी शुरू कर दी। बड़ी तादाद में जयपुर के भीतरी हिस्सों में दिखाई देने वाले बंदर भी अंदरुनी हिस्सों से निकल नाहरगढ़ की पहाड़ियों की तरफ भोजन की तलाश में निकल पड़े हैं। 

लोग अपने और अपनों का इंतजाम करने में सीमित हो गए

अब मुश्किल थी तो घरों से बाहर भटकते जानवरों और गली मोहल्लों में रखवाली करने वाले कुत्तों की। वैसे तो ज्यादातर घरों में पहली रोटी गाय और दूसरी रोटी कुत्ते के लिये बनाने की परंपरा लगभग हर घर में रही है। लेकिन यकायक आई आपदा में ज्यादातर लोग अपने और अपनों का इंतजाम करने में सीमित हो गए। फिर रेस्त्रां और भोजनालय बंद हुए सो अलग। देशभर में प्रधानमंत्री के आह्वान पर लॉकडाउन से पहले ही राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार कोरोना की इस महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन का फैसला कर चुकी थी।

हजारों डॉग्स को जिंदा रखने की जद्दोजहद

प्रधानमंत्री मोदी ने इस लॉडाउन को 15 अप्रैल तक बढ़ाने का फैसला किया तो इन आवारा कुत्तों को लेकर "कैनल क्लब राजस्थान" के सचिव वीरेंद्र शर्मा की चिंता और बढ़ गई। शर्मा ने अपनी इस चिंता से जयपुर के पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव को अवगत कराया और डॉग फीडिंग के लिए पास मुहैया कराने की गुजारिश की। पहले से ही अपने पुलिस अमले की मदद से गरीब-बेसहारा लोगों के लिए भोजन के इंतजाम में जुटे आनंद श्रीवास्तव वीरेंद्र शर्मा की चिंता से सहमत थे। लिहाजा लॉकडाउन में सड़कों पर रहने वाले हजारों डॉग्स को जिंदा रखने की जद्दोजहद में पहले भोजन की व्यवस्था हुई और फिर वाहन की। लेकिन सबकी निगाहें उस वक्त एक परी कृतिका श्रीवास्तव पर टिक गई जो खुद चावल और भोजन लिए सड़कों पर इन बेजुबान कुत्तों को भोजन परोसती दिखाई पड़ी।

वफादार दोस्त की मदद इंसान नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा ?

जयपुर के जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल में 11वीं कक्षा की छात्रा कृतिका ने शहर के कई हिस्सों में जाकर बेसहारा कुत्तों को भोजन कराने का जिम्मा कुछ इस तरह से उठाया कि "कैनल क्लब ऑफ राजस्थान" के सदस्यों के बीच सोशल मीडिया पर इन दिनों इस नन्ही परी की सेवा चर्चा का विषय बनी हुई है। कृतिका के पिता आनंद श्रीवास्तव जयपुर के पुलिस कमिश्नर हैं और अपने दल बल के साथ लोगों की सेवा में जुटे हैं। पिता आनंद श्रीवास्तव अपनी मशीनरी के सहारे जरूरतमंद और बेसहारा लोगों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं तो बेटी कृतिका बेसहारा बेजुबान कुत्तों और परिंदों को भोजन उपलब्ध करा रही है। दलील यह कि अपने वफादार दोस्त की मदद इंसान नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा ?

शुक्रवार, 27 मार्च 2020

तब भारत में सवा दो करोड़ लोग मरे थे!

यों  प्रकृति बनाम इंसान की लड़ाई । मानना है कि वैज्ञानिक बना लेंगे वैक्सीन याकि टीका।  प्रकृति और मानव में यह होड़ अंतहीन है कि तुम डाल, डाल तो मैं पात, पात!’ इसलिए वायरस प्रकृति की मार है तो इंसान पात-पात में आगे टीका बना ही लेगा। लेकिन साल तो लगेगा। (यदि चार-छह महीने वैज्ञानिकों ने लिए तो फैक्टरियों से प्रोडक्शन हो कर भारत तक पहुंचने में कुछ महीने) और चार-महीनों का लम्हा ही बहुत है देशों को, मानवता को बरबाद करने के लिए। उस नाते कल लंदन की ‘द इकॉनोमिस्ट’ पत्रिका ने अपने संपादकीय अगली विपदा (the next calamity) में भारत जैसे विकासशील देशों पर पड़ने वाले कहर में याद दिलाया आंकड़ा अपने पाठक भी ध्यान रखें। हां, राज तब अंग्रेजों का था और स्पेनिश फ्लू (ब्यूबोनिक प्लेग) ने भारत की कुल आबादी में छह प्रतिशत लोगों को लील लिया था। 

इसका वायरस भी भारत में चीन, हांगकांग के रास्ते 1894 में आया था। वायरस के पहले झटके में एक करोड़ लोग मरे और फिर धीरे-धीरे सवा करोड़ लोग। वह वायरस भारत में तीस साल तक लोगों की जान लेता रहा। गांवों में सालों पसरा रहा। शुरुआत मुंबई, पुणे, कोलकाता, कराची से हुई थी। मतलब महानगरों से शुरुआत और फिर धीरे-धीरे शेष भारत में। उससे चीन में ज्यादा लोग नहीं मरे थे लेकिन भारत में मरे जबकि राज अंग्रेजों का था। इतिहास की पुनारवृत्ति व वक्त की त्रासदी का यह सिलसिला गौरतलब है कि तब भी पश्चिमी भारत, पंजाब, यूनाइटेड प्रोविंस (यूपी) सर्वाधिक प्रभावित घोषित हुआ था और अब भी महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर भारत पर खतरा मंडरा रहा है।

ब्रितानी सरकार के तब उपाय थे क्वारैंटाइन, आईसोलेशन कैंप, यात्रा पाबंदी और लोगों पर पाबंदियां। तब भारतीयों ने और राष्ट्रवादी नेताओं ने, बाल गंगाधर तिलक ने सरकार की सख्ती और लापरवाही को ले कर अंग्रेज सरकार की आलोचना की तो अंग्रेजों ने पाबंदियां और बढ़ाईं। तिलक को आलोचना के लिए 18 महीने की सश्रम कैद हुई।

तब और अब का फर्क इसलिए नहीं है कि तब भी एक वायरस था अब भी एक वायरस है। तब भी चीन से आया था और अब भी वहीं से आया हुआ है। तब भी बीमारी की न दवा थी और न इलाज था।

इसलिए लॉकडाउन से हम 21 दिन में विजय पा लेंगे, यह संभव ही नहीं है। कोरोना वायरस से भारत में लड़ाई दुनिया के सभी देशों के मुकाबले ज्यादा लंबी चलनी है क्योंकि हम 130 करोड़ लोगों की भीड़ लिए हुए हैं और आबादी के अनुपात में मेडिकल सुविधा, संसाधनों में सर्वाधिक गरीब हैं। हमें मुक्ति तभी मिलेगी, हम तभी जीतेंगे जब पश्चिमी देश हमें वैक्सीन बना कर दें।

राज्य सरकारों को अच्छे मशविरे दें -राष्ट्रपति

जयपुर। राज्यपाल  कलराज मिश्र ने देश के राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति को राज्य में कोरोना की स्थिति और इस वैश्विक बीमारी से राज्य को बचाने के लिए किये जा रहे उपायों व नवाचारों के बारे में शुक्रवार को यहां राजभवन में वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी। राष्ट्रपति  श्री राम नाथ कोविंद और उप राष्ट्रपति श्री एम. वैकंया नायडू ने विभिन्न राज्यों के राज्यपालों व उप राज्यपालों के साथ कोविड-19 पर परिचर्चा की ।

राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यों में राज्यपाल राज्य सरकारों को अच्छे मशविरें दे। राज्य सरकार के साथ एकजुट होकर इस वैश्विक महामारी को मात दे। राज्य में इसकी नियमित समीक्षा करे। उन्होंने कहा कि इस महामारी से बचाव के प्रयासों में देशवासियों ने सराहनीय सहयोग दिया है। 

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश विकासशील है। हमें देश को बचाने के लिए प्रयास करने है। राज्यपाल की राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। राज्यपालों को अपने राज्यों में इस वैश्विक महामारी से बचाव के प्रयासों में पहल करनी होगी। राज्यपालों को अपने-अपने राज्य के मुख्यमंत्री से लगातार संवाद करना चाहिए। राष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि ऎसा प्रयास करें कि सप्ताह में एक समीक्षा बैठक आवश्यक रूप से हो सके। 

उप राष्ट्रपति ने कहा कि सोशल डिस्टेसिंग के लिए लोगों को जागरूक करें । उन्होंने कहा कि जागरूकता कार्यों में विश्वविद्यालयों का सहयोग ले। राज्य सरकारों को मोटिवेट करें। निजी अस्पतालों और धार्मिक संस्थाओं को आगे आने के लिए प्रेरित करें।

राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा कि राजस्थान में कोरोना वैश्विक महामारी को मात देने में सभी लोग एकजुट है। राज्य सरकार के साथ वे निरन्तर सम्पर्क में है। प्रदेश के मुख्यमंत्री से उनकी प्रतिदिन इस सम्बन्ध में चर्चा हो रही है।

राज्यपाल ने बताया कि राजस्थान में घर-घर सर्वे कराया गया है। रैपिड रेसपोंस टीम का गठन किया गया है। गत 13 मार्च को राज्य के मुख्य सचिव व अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) के साथ बैठक कर राज्यपाल ने राज्य सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं।

 मिश्र ने बताया कि इस बीमारी से लडने में आर्थिक सहयोग हेतु मुख्यमंत्री सहायता को6ा में कोविड-19 कोष का निर्माण किया गया है, जिसमें राज्यपाल ने अपना एक माह का वेतन, राज्यपाल सहायता कोष से बीस लाख रूपये और राजभवन के अधिकारियों व कर्मचारियों का एक दिन का वेतन दिया गया है।
           
 मिश्र ने बताया कि राज्य में जागरूता के निरन्तर प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के उपाय तथा शटडाउन के दौरान घरों में रह रहे लोगों विशेषतः निर्धन एवं वंचित वर्गो के रोजमर्रा की आवश्यकताओं की पूर्ति में राज्य स्तरीय रेडक्रॉस एवं जिला इकाईयॉ अपने सदस्य नेटवर्क द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते है। इस क्रम मे राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 संबंधी रोकथाम, नियंत्रण, जांच, उपचार आदि कार्यवाही हेतु रेडक्रॉस सोसायटी से समन्वय किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के स्तर पर स्वयं सेवी संस्थाआें, अन्य सिविल संगठनों एवं निजी चिकित्सक संगठनों से कोविड-19 के नियंत्रण के सम्बन्ध में आवश्यक सहयोग प्राप्त करने हेतु भी समन्वय किया जा रहा है।

 मिश्र ने बताया कि राज्य में संदिग्ध कोरोना यात्रियों/व्यक्तियों को निगरानी में रखने हेतु सभी जिलों में क्वारेनटाईन सेन्टर चिन्हित किये गये हैं। इन सेन्टरों पर कुल बेड संख्या एक लाख किया जाना प्रस्तावित है, जिस हेतु वर्तमान में 25,911 बेड चिन्हित कर लिये गये हैं।

राज्यपाल  कलराज मिश्र ने राज्य में कोविड-19 की स्थिति, इस कार्य में रेड क्रॉस, सिविल सोसायटी व स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका और इस वैश्विक महामारी से बचाव के लिए राज्य में किये जा रहे प्रयासों व नवाचारों के बारे में विस्तार से राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति को बताया ।

देश के राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति ने शुक्रवार को प्रातः 10 बजे से सभी राज्यों के राज्यपाल व उपराज्यपालों से कोविड-19 के हालातों की समीक्षा की। इसमें राजस्थान सहित पन्द्रह राज्यों के राज्यपाल व उपराज्यपालों ने कोरोना वैश्विक महामारी के हालातों की बारे में अपने राज्य की स्थिति को विस्तार से प्रस्तुत किया ।

घर तक सरकार पहुंचाएगी भोजन सामग्री, प्रतिदिन 10 हजार पैकेट हो रहे तैयार

जयपुर।  कोरोना वायरस  संक्रमण से बचने के लिए केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार लोगों तक हर सम्भव मदद पहुंचा रही है।  लॉकडाऊन में जरूरत मंद व्यक्ति को किसी भी स्तर पर कोई परेशानी नहीं हो इन सब बातों का ध्यान रखा जा रहा है। 

 गहलोत सरकार अब जरूरतमंद व्यक्तियों तक राहत सामग्री भी पहुचानें में जुट चुकी है।  जयपुर की बात की जाए तो यहा प्रतिदिन 10 हजार दाल चीन, आटे के पैकेट तैयार किए जा रहे हैं।  राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ से प्रतिदिन 10 हजार से ज्यादा पैकेट तैयार करवाए जा रहे हैं, जिनमें आटा, दाल, चावल, चीनी, चाय, मिर्च, नमक, हल्दी साबुन सेनेटाईजर सहित दैनिक उपयोग की चीजे मुहैया करवायी जा रही हैं। 

जयपुर में शुक्रवार को 10 मोबाइल वेनों को हरी झण्डी दिखाई गई।  मोबाईल वेन के माध्यम से क्फर्यू प्रभावित इलाके रामगंज, बड़ी चौपड़ इलाके में राहत सामग्री बटवायी जा रही हैं, जिससे लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हो। 

साथ ही आपको बता दें कि राजस्थान के जयपुर की मुहाना मंडी के कारोबारी अब आपके घर तक सब्जी पहुंचाएगें वो भी किफायती दामों में।  मुहाना मंडी में बड़ी संख्या में आ रहे खुदरा खरीददारों की संख्या को नियंत्रण करने और कॉलोनियों में खुदरा विक्रेताओं की मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने के लिए यह फैसला लिया है।  

जिला प्रशासन के सहयोग से मांग वाले क्षेत्रों में सब्जी पहुंचाई जाएगी।  इसके लिए व्हाट्सअप नंबर भी जारी किया जाएगा।  सप्लाई शहरी क्षेत्र में होगी।  इसमें एक पैकेज बनाया गया है।  जिसमें आलू, प्याज, टमाटर और मिर्च मुहैया करवाई जाएगी।  

मुहाना फल सब्जी थोक विक्रेता संघ के अध्यक्ष राहुल तंवर का कहना है कि नागरिकों को खुदरा खरीद के लिए मंडी में आने से रोकने की पहल है।  इसके अलावा मंडी में काम करने वाले मजदूरों और पल्लेदारों को भोजन मुहैया करवाने की पहल की जा रही है।  प्रतिदिन एक हजार लोगों को भोजन मंडी कारोबारियों के सहयोग से उपलब्ध करवाया जाएगा।