अत्री कुमार दाघीच
जयपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेषन में यूपीए चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी ने अधिवेषन में आए कार्यकर्ताओं का एकजुटता दिखाकर आम चुनाव में सरकार बनाने का मंत्र फूंका। सम्मेलन में नेताओं के भाषण के दौरान जमकर तालियां बटोरी मगर दिल से एकजुटता देखने को नहीं मिली। राजस्थान के वरिष्ठ नेताओं को संगठन में दरकिनार करने का दंष ये नेता छुपा नहीं सके। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक आलाकमान ने पीसीसी सदस्य एवं एआईसीसी सदस्यों की सूची स्वीकृत कर प्रदेषाध्यक्ष को भिजवाई थी लेकिन कुछ चापलूस पदाधिकारियों ने सूची में बदलाव कर दिया जिसकी सूचना आलाकमान को नहीं दी गई। न ही बदलाव के कारण बताए गए। सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री अषोक गहलोत के समर्थकों के नेताओं के कार्यकर्ताओं के नाम एआईसीसी सदस्यों की सूची में शामिल था लेकिन जारी सूची में उनके नाम गायब होने से आलाकमान भी एकबारगी सकते में था। आनन-फानन में नाम कटने की जानकारी के बारे में प्रभारी अविनाष पाण्डे से पूछताछ में उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की। लेकिन वरिष्ठ एवं जनाधार वाले नेताओं का नाम कटना आलाकमान ने गंभीरता से लिया और पुनः एक सूची और जारी की गई लेकिन चापलूसो ने उसमें भी काटछांट करने से बाज नहीं आए। बताया जाता है कि प्रदेषाध्यक्ष के खास सिपहसालार ने पीसीसी एवं एआईसीसी में सम्मिलित कराने के लिए कई व्यक्तियों से फण्ड एकत्रित किया। इसके कारण उनका समावेष करना आवष्यक था। इन सिपहसालारों ने एन वक्त तक ऐसे लोगों को प्रदेषाध्यक्ष से दिल्ली मंें गुप्त तरीके से सामंजस्य बैठाने का काम किया था। चाटूकार सिपहसालार प्रदेष में कार्यकर्ताओं की एकजुटता नहीं चाहता। सूत्रों के मुताबिक पिछले लगभग सात वर्षों से प्रदेष कांग्रेस की कार्यकारिणी में संघ पृष्ठभूमि के कार्यकर्ता शामिल होने के चलते मूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की संगठन से दूरी हो गई है। बताया जाता है कि संघ पृष्ठभूमि के कार्यकर्ताओं ने अध्यक्ष के समक्ष ऐसा कोरा बना दिया है जिससे जमीन से जुड एवं मूल कांग्रेस कार्यकर्ता दूरी बनाए हुए है। अधिवेषन में भी संघ पृष्ठभूमि से जुडे कार्यकर्ताओं की भरमार रही और ऐसे में एकजुटता की बात करना संगठन के मूल कार्यकर्ताओं के साथ बेमानी होगी। वर्तमान प्रदेषाध्यक्ष को विरासत में मिली राजनीति के चलते जमीनी कार्यकर्ताओं से अनभिज्ञता है और साथ ही उन्हें चाटूकारों ने ऐसा घेरा कि वे इतने वर्षों में भी असल एवं अन्य स्थानों से आए कार्यकर्ताओं में भेद नहीं कर सके। प्रदेष में अभी सरकार के खिलाफ आक्रोष व्याप्त है लेकिन कांग्रेस इसको भुनाने में असफल रही तो सत्ता मिलना तो दूर विपक्ष की भूमिका के लिए विधायकों की गिनती भी न के बराबर होगी। आलाकमान समय रहते प्रदेष के मुखिया का बदलाव करती है तो संभवतः है कि कांग्रेस प्रदेष में सरकार बनाने की ओर अग्रसर हो।
जयपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेषन में यूपीए चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी ने अधिवेषन में आए कार्यकर्ताओं का एकजुटता दिखाकर आम चुनाव में सरकार बनाने का मंत्र फूंका। सम्मेलन में नेताओं के भाषण के दौरान जमकर तालियां बटोरी मगर दिल से एकजुटता देखने को नहीं मिली। राजस्थान के वरिष्ठ नेताओं को संगठन में दरकिनार करने का दंष ये नेता छुपा नहीं सके। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक आलाकमान ने पीसीसी सदस्य एवं एआईसीसी सदस्यों की सूची स्वीकृत कर प्रदेषाध्यक्ष को भिजवाई थी लेकिन कुछ चापलूस पदाधिकारियों ने सूची में बदलाव कर दिया जिसकी सूचना आलाकमान को नहीं दी गई। न ही बदलाव के कारण बताए गए। सूत्रों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री अषोक गहलोत के समर्थकों के नेताओं के कार्यकर्ताओं के नाम एआईसीसी सदस्यों की सूची में शामिल था लेकिन जारी सूची में उनके नाम गायब होने से आलाकमान भी एकबारगी सकते में था। आनन-फानन में नाम कटने की जानकारी के बारे में प्रभारी अविनाष पाण्डे से पूछताछ में उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की। लेकिन वरिष्ठ एवं जनाधार वाले नेताओं का नाम कटना आलाकमान ने गंभीरता से लिया और पुनः एक सूची और जारी की गई लेकिन चापलूसो ने उसमें भी काटछांट करने से बाज नहीं आए। बताया जाता है कि प्रदेषाध्यक्ष के खास सिपहसालार ने पीसीसी एवं एआईसीसी में सम्मिलित कराने के लिए कई व्यक्तियों से फण्ड एकत्रित किया। इसके कारण उनका समावेष करना आवष्यक था। इन सिपहसालारों ने एन वक्त तक ऐसे लोगों को प्रदेषाध्यक्ष से दिल्ली मंें गुप्त तरीके से सामंजस्य बैठाने का काम किया था। चाटूकार सिपहसालार प्रदेष में कार्यकर्ताओं की एकजुटता नहीं चाहता। सूत्रों के मुताबिक पिछले लगभग सात वर्षों से प्रदेष कांग्रेस की कार्यकारिणी में संघ पृष्ठभूमि के कार्यकर्ता शामिल होने के चलते मूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की संगठन से दूरी हो गई है। बताया जाता है कि संघ पृष्ठभूमि के कार्यकर्ताओं ने अध्यक्ष के समक्ष ऐसा कोरा बना दिया है जिससे जमीन से जुड एवं मूल कांग्रेस कार्यकर्ता दूरी बनाए हुए है। अधिवेषन में भी संघ पृष्ठभूमि से जुडे कार्यकर्ताओं की भरमार रही और ऐसे में एकजुटता की बात करना संगठन के मूल कार्यकर्ताओं के साथ बेमानी होगी। वर्तमान प्रदेषाध्यक्ष को विरासत में मिली राजनीति के चलते जमीनी कार्यकर्ताओं से अनभिज्ञता है और साथ ही उन्हें चाटूकारों ने ऐसा घेरा कि वे इतने वर्षों में भी असल एवं अन्य स्थानों से आए कार्यकर्ताओं में भेद नहीं कर सके। प्रदेष में अभी सरकार के खिलाफ आक्रोष व्याप्त है लेकिन कांग्रेस इसको भुनाने में असफल रही तो सत्ता मिलना तो दूर विपक्ष की भूमिका के लिए विधायकों की गिनती भी न के बराबर होगी। आलाकमान समय रहते प्रदेष के मुखिया का बदलाव करती है तो संभवतः है कि कांग्रेस प्रदेष में सरकार बनाने की ओर अग्रसर हो।

कांग्रेस को कमजोर व राहुल गांधी के साथ धोखा
जवाब देंहटाएं