शुक्रवार, 9 मार्च 2018

मोदी सरकार के लिए नया बखेड़ा बना विशेष राज्य का दर्जा

जयपुर। केंद्र सरकार से विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग लगातार कई राज्यों से उठ रही है। उन राज्यों में राजस्थान का नाम भी शामिल है। आंध्र प्रदेश के अलावा बिहार, ओडिशा और गोवा की सरकारें लगातार विशेष राज्य के दर्ज की मांग उठा रही है।

दरअसल, रघुराम राजन समिति ने उप्र, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड और मप्र को बेहद पिछड़ा करार दिया था। तब से ही लागातार ये राज्य भी विशेष दर्जों की मांग उठाते रहे है।

वहीं टीडीपी ने केंद्र और आंध्रपद्रेश में भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया है। उसके केंद्र सरकार में शामिल दोनों मंत्रियों ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया। मोदी सरकार से अलग होने के बाद मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने विधानसभा को संबोधित किया। उन्होंने पार्टी के फैसले को सही बताया। टीडीपी ने यह निर्णय आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने से लिया है।

उधर, अब जनता दल यूनाईटेड ने एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की है। जेडीयू ने टीडीपी का समर्थन भी किया है। देश में 29 राज्यों में से 11 को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है। 5 अन्य राज्य भी ये दर्जा मांग रहे हैं, जिनमें राजस्थान भी शामिल है।

क्या है विशेष राज्य दर्जा मिलने के फायदे ?
विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि में 90% अनुदान और 10% रकम बिना ब्याज के कर्ज के तौर पर मिलती है। जबकि दूसरी श्रेणी के राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा 30% राशि अनुदान के रूप में और 70% राशि कर्ज के रूप में दी जाती है। इसके अलावा विशेष राज्यों को एक्साइज, कस्टम, कॉर्पोरेट, इनकम टैक्स आदि में भी रियायत मिलती है। केंद्रीय बजट में प्लान्ड खर्च का 30% हिस्सा विशेष राज्यों को मिलता है। विशेष राज्यों द्वारा खर्च नहीं हुआ पैसा अगले वित्त वर्ष के लिए जारी हो जाता है।

 देश के 11 राज्यों को विशेष दर्जा मिला है  अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड।

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