जयपुर। वन विभाग की अधिकारियों की लापरवाही की वजह से मंगलवार को टाइगर टी-28 की मौत हो गई। टी-28 को रणथंभौर का स्टार टाइगर कहा जाता था। एक वक्त था जब रणथंभौर में टाइगर टी-28 का एकछत्र राज था।
टी-28 की मां कौन थी इसको लेकर हमेशा से विरोधाभास रहा है लेकिन इसे टी-27 का बेटा माना जाता है। टी-28 जब साढ़े चार साल का था तो उनसे बाघ टी-2 को चुनौती दी। इस दौरान उसने टी-2 को हरा कर रणथंभौर के सबसे शानदार इलाके जोन-3 पर कब्जा कर लिया। इस दौरान नर बाघ टी-24, 25 भी जोन 3 पर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन टी-28 ने उन्हें कामयाब नहीं होने दिया।
जोन 3 पर राज के दौरान टी-19 के साथ उसने तीन बच्चे टी-63, 64, 66 पैदा किए जबकि टी-17 के साथ टी-83, 84, 85 पैदा हुए।
बाद में बुढ़ापे में टी-57 बाघ ने उसे जोन-3 से खदेड़ा दिया। उसके बाद टाइगर टी-86 ने उसे जंगल से ही बाहर जाने को मजबूर कर दिया। इस दौरान लड़ाई में वो घायल भी हुआ। तब से वो जंगल के खेतों और नालों के आसपास जिंदगी बिताने लगा। मंगलवार को इसी तरह वो आबादी वाले इलाके में पहुंचा।
इस दौरान ग्रामीणों ने उस पर पथराव कर दिया। खेत में घुसे बाघ को जंगल ले जाने के लिए ट्रेंक्यूलाइज किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक अगर बाघ को उसकी हालत पर छोड़ दिया जाता और ग्रामीणों को वहां से हटा दिया जाता, तो स्थित सामान्य हो जाती और टी-28 वापस अपने ठिकाने पर पहुंच जाता।
टी-28 की मां कौन थी इसको लेकर हमेशा से विरोधाभास रहा है लेकिन इसे टी-27 का बेटा माना जाता है। टी-28 जब साढ़े चार साल का था तो उनसे बाघ टी-2 को चुनौती दी। इस दौरान उसने टी-2 को हरा कर रणथंभौर के सबसे शानदार इलाके जोन-3 पर कब्जा कर लिया। इस दौरान नर बाघ टी-24, 25 भी जोन 3 पर कब्जा करने की कोशिश की लेकिन टी-28 ने उन्हें कामयाब नहीं होने दिया।
जोन 3 पर राज के दौरान टी-19 के साथ उसने तीन बच्चे टी-63, 64, 66 पैदा किए जबकि टी-17 के साथ टी-83, 84, 85 पैदा हुए।
बाद में बुढ़ापे में टी-57 बाघ ने उसे जोन-3 से खदेड़ा दिया। उसके बाद टाइगर टी-86 ने उसे जंगल से ही बाहर जाने को मजबूर कर दिया। इस दौरान लड़ाई में वो घायल भी हुआ। तब से वो जंगल के खेतों और नालों के आसपास जिंदगी बिताने लगा। मंगलवार को इसी तरह वो आबादी वाले इलाके में पहुंचा।
इस दौरान ग्रामीणों ने उस पर पथराव कर दिया। खेत में घुसे बाघ को जंगल ले जाने के लिए ट्रेंक्यूलाइज किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक अगर बाघ को उसकी हालत पर छोड़ दिया जाता और ग्रामीणों को वहां से हटा दिया जाता, तो स्थित सामान्य हो जाती और टी-28 वापस अपने ठिकाने पर पहुंच जाता।

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