शनिवार, 24 मार्च 2018

किसान और कृषि का मुद्दा अगले चुनाव में अहम होने वाला है।

प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी किसानों को लेकर सचमुच चिंता में हैं। उनको लग रहा है कि अगले चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला वोट बैंक किसानों का हो सकता है। देश के अलग अलग हिस्सों में किसानों का आंदोलन तेज होने से भी उनकी चिंता बढ़ी है। उनको सबसे ज्यादा चिंता इस बात की हो रही है कि कांग्रेस और दूसरे किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। यह कम हैरानी की बात नहीं है कि जिस सरकार ने चार साल में विज्ञापन के ऊपर करीब चार हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं उसके मुखिया को लग रहा है कि मरा हुआ विपक्ष दुष्प्रचार कर रहा है।

बहरहाल, पिछले दिनों कृषि मंत्रालय के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष एमएसपी को लेकर भ्रम फैला रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि लागत के सारे मूल्यों को जोड़ कर सरकार एमएसपी दे रही है। प्रधानंमत्री ने लागत के ऊपर 50 फीसदी मुनाफा देने के दावे को सही ठहराया। दूसरी ओर किसान संगठनों और कांग्रेस का कहना है कि सरकार स्वामीनाथन कमेटी के सुझाए फार्मूले के आधार पर लागत तय नहीं कर रही है।

कांग्रेस पार्टी ने अपने महाधिवेशन में कृषि के प्रस्ताव मे एमएसपी के बारे में विस्तार से चर्चा की। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बनाए प्रस्ताव को कैप्टने अमरिंदर सिंह ने पेश किया। इसमें कांग्रेस का दावा है कि वह सभी फसलों के ऊपर एमएसपी की व्यवस्था करेगी। अभी बहुत सीमित फसलों के लिए यह व्यवस्था है। इसके अलावा कांग्रेस इसका विस्तार करने यानी ज्यादा राज्यों में खरीद केंद्र बनाने का वादा भी कर रही है। तभी भाजपा का मानना है कि किसानों के संकट और उनकी मुश्किलों का फायदा उठाने में कांग्रेस कहीं बाजी न मार ले। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने खुद चिंता जताई। माना जा रहा है कि किसानों के मसले पर अब भाजपा अभियान चलाएगी। इससे यह भी लग रहा है कि किसान और कृषि का मुद्दा अगले चुनाव में अहम होने वाला है। 

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