मौजूदा वसुंधरा राजे सरकार के बीते सवा 4 साल के कार्यकाल में 5 मुख्य सचिव बनाए जा चुके हैं और यदि एनसी गोयल का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया तो छटा मुख्य सचिव भी मिल जाएगा। हालांकि एनसी गोयल के कार्यकाल को बढ़ाए जाने की संभावना बेहद कम है।
ऐसे में वरिष्ठता के आधार पर और जातिगत समीकरण को साधते हुए नए मुख्य सचिव बनाया जाएगा। हालांकि प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी का मुखिया बार-बार बदलने का असर सरकार की बड़ी योजनाओं पर भी देखने को मिला। एक के बाद एक नया मुख्य सचिव आने से सरकार की बड़ी योजनाएं भी पटरी से उतरती चढ़ती रही।
इस तरह बदले ब्यूरोक्रेसी के मुखिया
प्रदेश में वसुंधरा राजे सरकार सत्ता में आई तब ब्यूरोक्रेसी की कमान वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजीव महर्षि को मुख्य सचिव बनाकर सौंपी गई। लेकिन महर्षि बीच में ही अपने कार्यकाल छोड़ दिल्ली चले गए और सीएस राजन को मुख्य सचिव बनाया गया। राजन को दो बार सेवा विस्तार भी दिया गया।
राजन के सेवानिवृत्ति होने के बाद ओपी मीणा को मुख्य सचिव बनाया गया और फिर अशोक जैन 11 महीने तक मुख्य सचिव रहे। जैन के बाद सबसे कम कार्यकाल वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एनसी गोयल को मुख्य सचिव बनाया गया। इस तरह एक के बाद एक प्रदेश में नौकरशाही को 5 बॉस देखने को मिले।
मुख्य सचिव की रेस में गुप्ता सबसे आगे
अप्रैल में प्रदेश को मिलने वाले ब्यूरोक्रेसी के नए मुखिया की रेस में वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डीबी गुप्ता नाम सबसे आगे चल रहा है । डीबी गुप्ता साल 2019 के अंत में सेवानिवृत्त होंगे। हाल ही में 3 आईएएस अफसरों के रिटायरमेंट के बाद 3 विभागों का अतिरिक्त प्रभार अन्य अधिकारियों को दिया गया जिससे यह तय हो गया कि मौजूदा मुख्य सचिव एनसी गोयल को 3 महीने का सेवा का विस्तार अब शायद ही मिल पाए।
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