शुक्रवार, 9 मार्च 2018

हमारा देश व्यवस्थित खतरे में है

 कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन( यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने  कहा कि देश में एक वैकल्पिक और पीछे ले जाने वाला नजरिया    (विजन) पेश किया जा रहा है और आजादी के साथ- साथ समाज के सामने व्यवस्थित खतरे मौजूद हैं। सोनिया ने कहा, ‘‘ मई2014 से पहले क्या भारत वाकई एक विशाल काला छिद्र( ब्लैक होल) था और सिर्फ चार साल पहले उसने प्रगति की तरफ कदम बढ़ाए? क्या यह हमारे लोगों की समझदारी का अपमान नहीं है?
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए सोनिया ने कहा, ‘‘ हमारा देश, हमारा समाज, हमारी आजादी अब सब लगातारऔर व्यवस्थित खतरे में है। इतिहास फिर से लिखा जा रहा है, तथ्यों को झुठलाया जा रहा है और पूर्वाग्रह एवं कट्टरता भड़काई जा रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ आज हमारे सामने वैकल्पिक और वास्तव में पीछे ले जाने वाला नजरिया पेश किया जा रहा है।’’ रायबरेली से लोकसभा सदस्य सोनिया ने कहा, ‘‘ मई2014 से पहले क्या भारत वाकई एक विशाल काला छिद्र( ब्लैक होल) था और सिर्फ चार साल पहले उसने प्रगति की तरफ कदम बढ़ाए? क्या यह हमारे लोगों की समझदारी का अपमान नहीं है? बात श्रेय लेने की नहीं है बल्कि भारत की ताकत को स्वीकारने की है।’’
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि संविधान बदलने के बारे में दुस्साहसी टिप्पणियां भारत में निहित मूल्यों को विकृत करने की जानबूझकर की जा रही कोशिश है। 71 वर्षीय सोनिया ने कहा, ‘‘ सत्ता प्रतिष्ठानों से आ रहे भड़काऊ बयान अचानक या संयोगवश नहीं दिए जा रहे, बल्कि यह खतरनाक मंसूबों का हिस्सा हैं। वैकल्पिक आवाजों को चुप कराया जा रहा है। सोचने की आजादी, अपनी मर्जी से शादी की आजादी पर हमले किए जा रहे हैं। धार्मिक तनाव पैदा किए जा रहे हैं, कानून को अपने हाथ में लेने वाली भीड़ और निजी सेनाओं को खुली छूट दी जा रही है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि दलित एवं महिला उत्पीड़न को लेकर स्तब्ध करने वाली संवेदनहीनता दिखाई जा रही है और चुनाव जीतने के लिए समाज को ध्रुवीकृत किया जा रहा है।
सोनिया ने कहा, ‘‘ देश को अच्छी तरह खड़ा रखने वाले लंबे समय से प्रभावी रहे सिद्धांतों का उल्लंघन किया जा रहा है। संसदीय बहुमत को वाद- विवाद दबाने और कानूनों को एकतरफा तरीके से पारित कराने के लाइसेंस की तरह पेश किया जा रहा है। जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर राजनीतिक विरोधियों का निशाना बनाया जा रहा है।’’
भाजपा पर निशाना साधते हुए सोनिया ने कहा कि न्यायपालिका संकट में है। विचारों में मतभेद, खाने- पीने, मौज- मस्ती की आजादी पर हमले हो रहे हैं और भारत के सामाजिक डीएनए से छेड़छाड़ की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ क्या अधिकतम शासन का मतलब न्यूनतम सच्चाई है? क्या इसका मतलब यह है कि वैकल्पिक तथ्य असहज वास्तविकता की जगह ले लेंगे? उदाहरण के लिए नौकरियां ही लें। हर कोई जानता है कि रोजगार की स्थिति गंभीर है लेकिन अचानक से हमें बताया जाता है कि2017 में75 लाख नौकरियां सृजित हुईं।’’
सोनिया ने कहा, ‘‘ बड़े पैमाने पर इस दावे की पोल खोली गई। पर क्या वाकई इससे फर्क पड़ता है? नहीं पड़ता है। क्योंकि जैसे ही एक मिथक टूटता है, दूसरा सामने आ जाता है।’’

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