सोमवार, 26 मार्च 2018

अब चार साल की होगी बीएड की पढ़ाई


देशभर में एलएलबी व एमबीए की तर्ज पर बीएड चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स किया गया है। जिसमें छात्र-छात्राएं 12वीं के बाद सीधे प्रवेश ले सकेंगे। बीएड की पढ़ाई में हो रहे इस बदलाव के चलते एनसीटीई ने नए बीएड कॉलेज की मान्यता को लेकर सत्र 2019-20 में कोई भी आवेदन स्वीकार नहीं किए हैं।

पिछले दो वर्षों से एनसीईटी ने उत्तराखंड सहित देशभर में किसी भी नए बीएड कॉलेज आवेदन को मंजूरी नहीं दी है। अब राज्यों में अभी तक जो बीएड कॉलेज संचालित हो रहे हैं उन्हें अपगे्रड किया जाएगा।

इतना हीं नहीं दो साल में पूरी होने वाली बीएड की पढ़ाई अब चार साल में पूरी होगी। हालांकि, यह इंटीग्रेटेड कोर्स होगा। स्टूडेंट 12वीं के बाद बीए-बीएड, बीएससी-बीएड व बीकॉम-बीएड जैसे कोर्स में प्रवेश ले सकेंगे। उन्हें दूसरे कोर्स की तरह पूरे चार साल तक बीएड की पढ़ाई होगी।

उत्तराखंड में करीब 80 बीएड कॉलेज

उत्तराखंड में वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के अंतर्गत 40, श्रीदेव सुमन विवि के तहत 27 व सरकारी क्षेत्र के कुल एक दर्जन बीएड कॉलेज संचालित किए जा रहे हैं। जिसमें दो वर्षीय बीएड कोर्स चल रहे हैं।

बीएड कॉलेजों में कम होगी भीड़

बीएड में इस बदलाव के बाद स्टूडेंट की भीड़ कॉलेजों में कम होने की संभावना है। शिक्षा से जुड़े जानकार बताते हैं कि इस बदलाव के बाद बीएड कॉलेजों में व्यवस्था बेहतर होंगीं। शिक्षा व अन्य संसाधनों की भी पूर्ति हो सकेगी।

प्रदेश सरकार गंभीर नहीं : अग्रवाल

एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट उत्तराखंड के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने कहा कि एनसीटीई ने करीब तीन साल पहले बीएड चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू करने की पहल की थी। प्रदेश के एक निजी बीएड कॉलेज ने इसके लिए आवेदन भी किया। एनसीटीई व श्रीदेव सुमन विवि ने इसे अपनी मंजूरी भी दे दी थी, लेकिन प्रदेश सरकार ने इसे अनुमति देने से इंकार कर दिया था। चार वर्षीय कोर्स कुछ राज्यों ने लागू भी कर दिया, लेकिन उत्तराखंड में इसे गंभीरता से नहीं लिया गया।


जिससे अब राज्य में दो वर्ष वाले बीएड कॉलेजों को चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स संस्थानों के रूप में अपगे्रड करने में कम से कम चार वर्ष का समय लगेगा। एनसीटीई ने नए बीएड कॉलेजों की मान्यता बंद कर दी है। उत्तराखंड सरकार के चाहिए कि वे एनसीटीई की गाइडलाइन को समय रहते लागू करने में तत्परता दिखाए, ताकि शिक्षा संस्थानों एवं छात्रों को नुकसान न हो।

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