मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

बड़े नेता लड़ते रहे हैं दो सीटों से

भारतीय जनता पार्टी के नेता बेवजह इस बात को तूल दे रहे हैं कि राहुल गांधी दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा, कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के बड़े नेता दो सीटों से चुनाव लड़ते रहे हैं। भाजपा के अपने सारे दिग्गज कभी न कभी दो सीटों से चुनाव लड़े हैं। अटल बिहारी वाजपेयी कई बार दो या तीन सीटों से चुनाव लड़े थे तो लालकृष्ण आडवाणी भी दो सीटों से चुनाव लड़ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो पिछले ही लोकसभा चुनाव में दो सीटों से लड़े थे। कांग्रेस में भी इंदिरा और सोनिया गांधी दो सीटों से लड़ चुके हैं। लालू प्रसाद और मुलायम सिंह भी दो सीटों से लड़े हैं। इनके एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का हर बार मकसद सिर्फ यह नहीं होता है कि वे एक सीट से कमजोर हैं इसलिए दूसरी सीट लड़ रहे हैं। पार्टी का विस्तार भी एक मकसद होता है। 

जैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना पहला चुनाव 1957 में लड़ा था तब उनकी पार्टी भारतीय जनसंघ ने उनको तीन सीटों से मैदान में उतारा था। वे उत्तर प्रदेश की मथुरा, लखनऊ और बलरामपुर सीट से चुनाव लड़े थे। इनमें से दो सीटों से वे हार गए थे और बलरामपुर से जीत कर संसद में पहुंचे थे। मथुरा में तो उनकी जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद भी वे दो बार दो-दो सीटों से लड़े। 1991 में वे विदिशा और लखनऊ दो सीटों से लड़े और दोनों पर जीते। फिर 1996 में जब वे पहली बार प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे तब भी वे गांधीनगर और लखनऊ दो सीटों से लड़े और दोनों जगह जीते। लखनऊ के साथ साथ गांधीनगर से लड़ने का मतलब यह नहीं था कि वे लखनऊ से कमजोर थे। 

अटल बिहारी वाजपेयी के साथ साथ लालकृष्ण आडवाणी भी 1991 में दो सीटों से लड़े थे। जब मंदिर आंदोलन चरम पर था तब आडवाणी कहीं से भी चुनाव जीतने की स्थिति में थे। उस समय वे नई दिल्ली और गांधीनगर दोनों सीटों से चुनाव लड़े और दोनों जगह जीते। इंदिरा गांधी 1980 में उत्तर प्रदेश की रायबरेली और उस समय के एकीकृत आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से लड़ी थीं और दोनों पर जीती थीं। 1977 की हार के बाद वह उनकी वापसी का चुनाव था। उस चुनाव में उनको गरीबी हटाओ के नारे पर लड़े गए 1971 के चुनाव से तीन सीटें ज्यादा मिली थीं। 

बहरहाल, सोनिया गांधी भी 1999 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की अमेठी और कर्नाटक की बेल्लारी सीट से लड़ी थीं और दोनों सीटों पर जीती थीं। पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी गुजरात का वडोदरा और उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से लड़े और दोनों जगह जीते। उसी चुनाव में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश में मैनपुरी और आजमगढ़ दो सीटों से लड़े थे और दोनों जगह जीते थे। राजद प्रमुख लालू प्रसाद 2009 में पाटलीपुत्र और सारण सीट से लड़े थे, जिसमें वे सारण से जीते थे और पाटलिपुत्र हार गए थे। उनसे बहुत पहले 1989 में चौधरी देवीलाल तीन सीट- सीकर, रोहतक और फिरोजपुर से लड़े थे, जिसमें से दो पर जीते थे। इसके बाद 1996 में जन प्रतिनिधित्व कानून में बदलाव करके तय किया गया कि कोई नेता दो से ज्यादा सीटों पर नहीं लड़ सकता है।  

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