बुधवार, 17 अप्रैल 2019

अब आतंकवाद पर इतिहास से खिलावड़

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दो सच्चाई विधिवत साबित कर दी हैं। पहली, उन्हें इतिहास की तनिक भी जानकारी नहीं है और दूसरी यह कि वे अपने कथन के पक्ष में किसी भी स्तर पर गलत जानकारी देने से हिचकते नहीं हैं। अपने चुनावी भाषणों और एक दिन पूर्व दूरदर्शन को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि देश पिछले 40 सालों से आतंकवाद से जूझ रहा है।

यह गलत जानकारी प्रधानमंत्री मोदी ने ठीक उसी तर्ज पर दी है जिसमें वे कहते आ रहे हैं कि कांग्रेस के 70 साल के शासनकाल में देश में कोई विकास नहीं हुआ है। अफसोस यह कि 70 साल के जुमले का एक राजनीतिक चुटकुला बन गया है। 

पहला मुद्दा, देश की जनता 40 साल से आतंकवाद से जूझ रही है। यह इतिहास की किन घटनाओं के आधार पर कहा जा रहा है? चूंकि कश्मीरी आतंकवाद की शुरूआत पिछली सदी के अंतिम दशक से मानी जाती है। जम्मू व कश्मीर के 1987 में हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल कांग्रेस का कांग्रेस के साथ गठजोड़ हुआ था जिसमें नेकां के प्रमुख पर बड़ी धांधली का आरोप लगा था।

चुनाव परिणामों के बाद हारे हुए प्रत्याशियों के छोटे से ग्रुप को पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी ने हवा दी। उग्र कश्मीरी मुसलमानों को हथियार थमाएं और प्रशिक्षण दिया था। कश्मीरी आतंकवाद ही उसका बड़ा रुप है जो 1990 में सामने आया है। यानी कश्मीरी आतंकवाद को भी आज बामुशिकल 30 वर्ष ही हुए है।

प्रधानमंत्री मोदी अगर इसमें खालिस्तानी आतंकवाद को जोड़ रहे हैं, तो भी उनका कथन गलत साबित होता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जिन्हें वे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ कोसते रहते हैं, ने रातों-रात ऑपरेशन ब्लू स्टार करके खालिस्तान आतंकवाद को भारत में कूचल दिया और इसके बदले इंदिरा गांधी को अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी। खालिस्तानी आतंकवाद सन् 1984 में ही भारत में दफन हो गया था जो दशकों पुराना भी नहीं था। वैसे प्रधानमंत्री मोदी ने कभी भी खालिस्ता आतंकवाद का जिक्र नहीं किया है। उनका वार पाक परस्त कश्मीरी आतंकवाद पर ही रहा है।

इतिहास के जानकार प्रो, ईश मिश्र का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसे आतंकवाद बता रहे हैं यह कहना मुश्किल है। लेकिन भारत में आतंकवाद किसी भी रुप में 40 साल पुराना नहीं है। ऐसा कह कर प्रधानमंत्री मोदी जनता की भावनाओं को भड़का रहे हैं। इसका लाभ वे चुनाव में मतों का ध्रुवीकरण करा कर बटोरना चाहते हैं।

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