रविवार, 14 अप्रैल 2019

अब आडवाणी हैं कांग्रेस के नजीर!

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के दूसरे नेताओं द्वारा आतंकवाद एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को लेकर राहुल गांधी को निशाने पर लिए जाने पर गांधी के करीबी एवं 'इंडियन ओवरसीज कांग्रेस' के प्रमुख सैम पित्रोदा ने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने निजी तौर पर आतंकवाद का दंश झेला है और ऐसे में उनसे इस विषय पर सवाल करने वालों को शर्म आनी चाहिए।

पित्रोदा ने यह भी कहा कि भाजपा के उन लोगों को, अपने शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी की हालिया नसीहत से सबक लेना चाहिए, जो अपने विरोधियों को ‘देशद्रोही’ घोषित करते हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की दादी (इंदिरा गांधी) शहीद हुईं। पिता राजीव गांधी भी शहीद हुए। वह जानते हैं कि आतंकवाद का दंश क्या होता है क्योंकि उन्होंने इसे झेला है? ये लोग (भाजपा नेता) आतंकवाद पर उनसे सवाल पूछ रहे हैं। इनको शर्म आनी चाहिए। दरअसल, पित्रोदा ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के नेता आतंकवाद एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के विषयों को लेकर राहुल गांधी एवं कांग्रेस पर लगातार हमले कर रहे हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी के हालिया ब्लॉग के संदर्भ में पित्रोदा ने कहा, ‘मैं आडवाणी जी से कई मुद्दों पर असहमत हूं, लेकिन एक व्यक्ति के तौर पर उनका सम्मान करता हूं। उन्होंने सही समय पर दखल दिया है। उन्होंने दो बातें कही हैं। उन्होंने पहली बात कही है कि खुद का प्रचार कम करो। दूसरी बात उन्होंने कही है कि कोई आपसे असहमत है तो वह देशद्रोही नहीं है। इन लोगों को आडवाणी के इस ब्लॉग से सबक लेने की जरूरत है।’ उन्होंने सवाल किया, ‘भाजपा नेताओं को किसने हक दिया है कि वे दूसरों को देशद्रोही घोषित करें?’यह पूछे जाने पर कि वह इस चुनाव में कांग्रेस को कहां पाते हैं तो पित्रोदा ने कहा, इस बार चौंकाने वाले नतीजे हो सकते हैं। लोगों को सोचना होगा कि उनके फैसले से देश का भविष्य उजड़ सकता है या फिर संवर सकता है। लोगों को सोचना है कि कैसा देश बनाना है? अगर लोगों ने इस बात को ध्यान में रखते हुए वोट किया तो नतीजे इस बार बिल्कुल अलग होंगे।’

नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की तुलना पर पित्रोदा ने कहा मैं दो चेहरे देखता हूं। एक तरफ पैसे से तैयार किया गया नेता है तो दूसरी तरफ एक ईमानदार नौजवान नेता है जो 10 वर्षों से कई कसौटियों पर खरा उतरता चला आ रहा है और वह आम लोगों के दर्द को महसूस करता है। इस युवा नेता के पीछे एक पार्टी है जिसने देश को आजादी दिलाई। दूसरी तरफ के नेता (मोदी) की पार्टी के पूर्वजों का आजादी में क्या योगदान है?

राजीव गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में अंतर के सवाल पर पित्रोदा ने कहा, राजीव गांधी और राहुल गांधी अलग अलग समय में हैं। उस वक्त युवाओं में इतनी आकांक्षा नहीं थी। राजीव गांधी को बहुत बड़ा बहुमत मिला था। राहुल गांधी को नीचे से ऊपर उठना पड़ा है, उन्हें बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा है, उनके बारे में बहुत बुरा-भला कहा गया, सुनियोजित ढंग से उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई। इसके बावजूद वह निखरते गए और आज देश का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं। ईवीएम पर सवाल उठाते हुए पित्रोदा ने कहा कि चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए वीवीपैट की कम से कम 50 फीसदी पर्चियों का मिलान किया जाना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें