चुनावी सभा में मेनका गांधी की जुबान फिसली, मेनका ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम लोग महात्मा गांधी की छठी औलाद हैं कि हम देते ही जाएंगे और फिर चुनाव में मात खाएंगे. यह जीत मुसलमान के बिना भी होगी, उनके साथ भी होगी।’
केंद्रीय मंत्री व सुल्तानपुर से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार मेनका गांधी ने मुसलमानों से वोट देने की अपील करते हुए कहा कि अगर वे उन्हें वोट नहीं देंगे तो वह भी उनके लिए काम नहीं करेंगी।
इस भाषण का विडियो भी वायरल हो रहा है। मेनका ने संबोधन के दौरान बार-बार इस बात पर जोर दिया कि यह चुनाव वो मुसलमानों के बिना भी जीत लेंगीं लेकिन अगर उसके बाद मुसलमानों को उनकी जरूरत पड़ी तो उनका का रवैया भी ऐसा होगा।
मेनका गांधी ने अपने संबोधन में कहा, ‘लोगों की मदद और प्यार से मैं जीत तो रही हूं। लेकिन अगर मेरी जीत मुसलमानों के बिना होगी तो मुझे बहुत अच्छा नहीं लगेगा। फिर दिल खट्टा हो जाता है और जब मुसलमान किसी काम के लिए आते हैं तो फिर मैं सोचती हूं कि नहीं रहने ही दो, क्या फर्क पड़ता है, आखिर नौकरी एक सौदेबाजी ही होती है।’
मेनका ने आगे कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम लोग महात्मा गांधी की छठी औलाद हैं कि हम देते ही जाएंगे, देते ही जाएंगे… और फिर चुनाव में मात खाएंगे. यह आपको समझना पड़ेगा क्योंकि यह जीत आपके बिना भी होगी आपके साथ भी होगी। यह बात आपको हर जगह फैलानी पड़ेगी. जब मैं खुद दोस्ती का हाथ लेकर आईं हूं।’
मेनका ने आगे कहा, ‘आप पीलीभीत में फोन करके पूछ लें कि मेनका गांधी वहां कैसी थीं। अगर आपको लगे कि कहीं भी हमसे गुस्ताखी हो गई है तो हमको वोट मत देना लेकिन अगर आपको लगे कि हम खुले दिल से आएं हैं और अब आपको कल मेरी जरूरत पड़ेगी तो हमें वोट करना। चुनाव तो मैं पार कर चुकी हूं, अब आपको मेरी जरूरत पड़ेगी और अब आपको इस ज़रूरत के लिए नींव डालना है तो यह वक़्त है। जब आपके पोलिंग बूथ का रिजल्ट निकलेगा और 50 या 100 वोट निकेलेंगे तो उसके बाद आप काम के लिए आओगे तो वही होगा।’
केंद्रीय मंत्री व सुल्तानपुर से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार मेनका गांधी ने मुसलमानों से वोट देने की अपील करते हुए कहा कि अगर वे उन्हें वोट नहीं देंगे तो वह भी उनके लिए काम नहीं करेंगी।
इस भाषण का विडियो भी वायरल हो रहा है। मेनका ने संबोधन के दौरान बार-बार इस बात पर जोर दिया कि यह चुनाव वो मुसलमानों के बिना भी जीत लेंगीं लेकिन अगर उसके बाद मुसलमानों को उनकी जरूरत पड़ी तो उनका का रवैया भी ऐसा होगा।
मेनका गांधी ने अपने संबोधन में कहा, ‘लोगों की मदद और प्यार से मैं जीत तो रही हूं। लेकिन अगर मेरी जीत मुसलमानों के बिना होगी तो मुझे बहुत अच्छा नहीं लगेगा। फिर दिल खट्टा हो जाता है और जब मुसलमान किसी काम के लिए आते हैं तो फिर मैं सोचती हूं कि नहीं रहने ही दो, क्या फर्क पड़ता है, आखिर नौकरी एक सौदेबाजी ही होती है।’
मेनका ने आगे कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम लोग महात्मा गांधी की छठी औलाद हैं कि हम देते ही जाएंगे, देते ही जाएंगे… और फिर चुनाव में मात खाएंगे. यह आपको समझना पड़ेगा क्योंकि यह जीत आपके बिना भी होगी आपके साथ भी होगी। यह बात आपको हर जगह फैलानी पड़ेगी. जब मैं खुद दोस्ती का हाथ लेकर आईं हूं।’
मेनका ने आगे कहा, ‘आप पीलीभीत में फोन करके पूछ लें कि मेनका गांधी वहां कैसी थीं। अगर आपको लगे कि कहीं भी हमसे गुस्ताखी हो गई है तो हमको वोट मत देना लेकिन अगर आपको लगे कि हम खुले दिल से आएं हैं और अब आपको कल मेरी जरूरत पड़ेगी तो हमें वोट करना। चुनाव तो मैं पार कर चुकी हूं, अब आपको मेरी जरूरत पड़ेगी और अब आपको इस ज़रूरत के लिए नींव डालना है तो यह वक़्त है। जब आपके पोलिंग बूथ का रिजल्ट निकलेगा और 50 या 100 वोट निकेलेंगे तो उसके बाद आप काम के लिए आओगे तो वही होगा।’
गौरतलब है कि मेनका गांधी इस बार सुल्तानपुर से चुनावी मैदान में हैं। वे भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। सुल्तानपुर से पहले वे पीलीभीत से चुनाव लड़ती थीं, जहां से अब वरुण गांधी चुनावी मैदान में हैं।

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