शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

इस बार सैनी कहां से चुनाव लड़ेंगे खुद सैनी को भी पूरा अंदाजा नहीं

ये है वसुंधरा का 'अर्जुन' जिसे कहीं से भी लड़ा दो जितेगा ही
जयपुर। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की दुंदुभी बज चुकी है. ऐसे में सभी दलों के नेता महासमर में उतरने लगे हैं. ऊंट किस करवट बैठेगा ये तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे. लेकिन इन सब के बीच सरकार के कुछ मंत्री एंटी इनकंबेंसी के चलते सीट बदलकर चुनाव लड़ना चाहते है. तो वहीं एक कैबिनेट मंत्री ऐसा भी है जिसे न चाहते हुए भी सीट बदलकर हर बार चुनाव समर में उतरना पड़ता है.

दरअसल राजस्थान की राजनीति में  पूर्व उपराष्ट्रपति स्व. भैरों सिंह शेखावत के बाद भाजपा में एकमात्र ऐसा नेता है जो लगातार अपनी सीट बदलकर चुनाव लड़ता है. कृषि और पशुपालन मन्त्री प्रभुलाल सैनी 3 बार से लगातार भाजपा के विधायक हैं और इन तीन बार की विधायकी में से 2 बार सरकार में मंत्री भी रहे. लेकिन सैनी ने अपने तीनों ही चुनाव अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से लड़ा. इस बार सैनी कहां से चुनाव लड़ेंगे इस बारे में खुद सैनी को भी पूरा अंदाजा नहीं है. यही कारण है कि प्रभु लाल सैनी इस सवाल के जबाब में कहते हैं कि प्रदेश में 200 विधानसभा सीट हैं और जिसमें पार्टी उन्हें टिकट देकर लड़वाना उचित समझेगी वो वहां से ही चुनाव मैदान में उतरेंगे

4 चुनाव, 3 में जीत, हर बार बदली सीट
वसुंधरा सरकार में कृषि पशुपालन मंत्री प्रभु लाल सैनी अब तक चार बार राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. जिनमें से तीन बार उन्हें फतेह हासिल हुई है. इसमें भी सबसे खास बात यह रही कि वे तीनों ही चुनाव सीट बदल-बदल कर लड़े और तीनों ही बार उन्होंने कांग्रेस और अन्य दिग्गज नेताओं को पटखनी देकर विधानसभा में अपने जाने का रास्ता बनाया. प्रभु लाल सैनी ने अपने जीवन में विधानसभा का पहला चुनाव साल 1998 में टोंक जिले के उनियारा विधानसभा सीट से लड़ा. देवली उनियारा सैनी का पैतृक क्षेत्र है. हालांकि सैनी अपना पहला विधानसभा चुनाव हार गए.

साल 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में सैनी को फिर इसी सीट से भाजपा का टिकट मिल और इस बार सैनी ने जीत दर्ज कर राज्य विधानसभा में पहुंचने का रास्ता प्रशस्त किया. साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रभुलाल सैनी को भाजपा ने हिंडोली से चुनाव लड़वाया. ये सीट सैनी के लिए नई होने के बावजूद प्रभुलाल सैनी ने यहां कांग्रेस के हरिमोहन शर्मा और पार्टी की खिलाफत में खड़े हुए गुर्जर नेता प्रहलाद गुंजल को परास्त कर जीत दर्ज की और पार्टी के विश्वास पर खरे उतरे. इसके बाद साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में एकबार फिर भाजपा ने प्रभुलाल सैनी की सीट बदल दी और इस बार उन्हें कोटा के अंता विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया गया. इस चुनाव में सैनी के लिए यह क्षेत्र भी नया था और जातिगत समीकरण भी उनके साथ नहीं थे. इसके अलावा सैनी के सामने कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया थे. लेकिन इस बार भी सैनी की किस्मत चमकी और उन्होंने जीत दर्ज की.


ऐसे में अब एक बार फिर चुनाव नजदीक है. लेकिन सैनी की दुविधा यह हैं कि इस बार पार्टी ने उनके लिए कौन सी सीट तय कर रखी है. यह खुद उन्हें भी नहीं पता. हालांकि सैनी की चाहत अपने पैतृक क्षेत्र से यानी देवली उनियारा से चुनाव लड़ने की है. लेकिन वहां भाजपा के मौजूदा विधायक राजेन्द्र गुर्जर हैं. मतलब इस साल के अंत में होने वाले चुनाव में सैनी को किस सीट से चुनाव मैदान में उतारने का मौका मिलता है इस पर अभी संशय के बादल छाए हुए हैं.

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