सर्वोच्च न्यायालय ने दागी नेताओं पर मंगलवार को निर्णय सुनाते हुए कहा कि चार्जशीट के आधार पर जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। चुनाव लडऩे से रोकने के लिए सिर्फ चार्जशीट ही काफी नहीं है यानी सर्वोच्च न्यायालय ने दागी नेताओं के चुनाव लडऩे पर रोक लगाने से मना कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आम जनता को अपने नेताओं के बारे में सारी जानकारी होना बहुत जरूरी है। कोर्ट ने कहा है कि हर नेता को अपने आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी चुनाव लडऩे से पूर्व चुनाव आयोग को देनी चाहिए।
कोर्ट ने बताया कि इस मामले में संसद को कानून बनाना चाहिए। इसके अलावा सारे पार्टियों को अपने उम्मीदवारों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर डालनी जरूरी है। वे सारे उम्मीदवारों को चुनाव लडऩे से पहले तीन बार प्रिंट मीडिया और एक बार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपने रिकॉर्ड की सारी जानकारी देनी होगी। संसद में इनके खिलाफ कानून बनाया जाए और एक बार ऐसा समय आएगा कि अपराधी चुनाव नहीं लड सकेंगे। पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि ज्यादातर मामलों में आरोपी नेता बरी हो जाते हैं, इसलिए सदस्यता रद्द करने जैसा कोई आदेश नही दिया जाए।
इस याचिका में मांग की गई थी कि वे किसी व्यक्ति को गंभीर अपराधों में 5 साल से ज्यादा सजा हो और किसी के खिलाफ आरोप तय हो जाएं तो ऐसे व्यक्ति या नेता के चुनाव लडऩे पर रोक लगाई जानी चाहिए। इसके अलावा याचिका में ये मांग भी की गई है कि अगर किसी सांसद या विधायक पर आरोप तय हो जाए तो उनकी सदस्यता निरस्त कर देना चाहिए।

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