बुधवार, 26 सितंबर 2018

पंडित दीनदयाल उपाध्याय संघ व‍िचारक थे और भारतीय जनसंघ के पथ-प्रदर्शक थे

 जयपुर। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि एकात्म मानववाद और अंत्योदय जैसे सिद्धान्तों के आधार पर भारतीय राजनीति को नई दिशा देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय भाजपा के पथ-प्रदर्शक थे। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल के नाम पर धानक्या में राज्य सरकार ने जो राष्ट्रीय स्मारक बनाने का काम किया है, वहां एकात्म मानववाद और अंत्योदय पर शोध केंद्र भी विकसित किया जाना चाहिए। जहां विद्यार्थी इन दोनों महान सिद्धान्तों पर शोध एवं अध्ययन कर सकें तथा उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचा सकें।

शाह बुधवार को जयपुर के पास धानक्या गांव में पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल ने एक तपस्वी की तरह राजनीति में काम किया। आज पूरे देश में उनके प्रति जिज्ञासा बढ़ी है और लोग उनके विचारों से प्रेरणा ले रहे हैं। शाह ने कहा कि केंद्र सरकार तथा राजस्थान सरकार सहित भाजपा की तमाम सरकारें एकात्म मानववाद तथा अंत्योदय के उनके सिद्धान्तों पर काम कर रही हैं। शाह ने भाजपा के वैचारिक प्रेरणा स्रोत पंडित दीनदयाल के इस स्मारक के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को साधुवाद दिया।
गांव और गरीब के उत्थान के लिए काम कर रही हमारी सरकार : मुख्यमंत्री

समारोह में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऐसे पहले चिंतक थे, जिन्होंने आजादी के बाद देश के लोकतंत्र में आए अधूरेपन को अपनी साधना से पूरा करने का प्रयास किया। गांव और गरीब उनकी विचारधारा का केंद्र बिंदु था तथा हमारी सरकार उनके आदर्शों पर चलकर गांव और गरीब के उत्थान के लिए काम कर रही है।

राजे ने कहा कि पंडित दीनदयाल ने राजनीति को नई दिशा दी। वे सिद्धांतविहीन राजनीति के खिलाफ थे। राजे ने कहा कि हमें गर्व है कि एकात्म मानववाद जैसा महान विचार देने वाले पं. दीनदयाल ने अपना बचपन तथा शुरुआती जीवन राजस्थान में गुजारा। पं. दीनदयाल के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हमारी सरकार ने धानक्या में एक राष्ट्रीय स्मारक बनाने का काम किया है। इस स्मारक में पं दीनदयाल के जीवन के विभिन्न पहलुओं, उनके विचारों, उनके दर्शन तथा भारतीय राजनीति में उनके योगदान को प्रदर्शित किया गया है।

समारोह में केन्द्रीय रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इस राष्ट्रीय स्मारक के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए कहा कि धानक्या के रेलवे स्टेशन के समीप की भूमि जहां इस स्मारक के निर्माण के लिए रेलवे ने भूमि उपलब्ध कराई है, की आवश्यक सारसंभाल तथा विकास के काम में रेलवे यथासंभव सहयोग करेगा।

राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकारसिंह लखावत ने बताया कि करीब साढ़े छह करोड़ रुपए की लागत से निर्मित इस राष्ट्रीय स्मारक में पं दीनदयाल की 15 फीट ऊंची गनमेटल की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। सभी अतिथियों ने स्मारक का अवलोकन किया।

इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना, सह संगठन महामंत्री वी. सतीश, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी, केन्द्रीय युवा मामले एवं खेल राज्यमंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़, केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, केन्द्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, पर्यटन राज्यमंत्री कृष्णेन्द्र कौर सहित राज्य मंत्री परिषद के अन्य सदस्य, सांसद, विधायक एवं जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की वजह से वे आज भी सभी के दिलों में बसे हुए हैं|वे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की भी चिंता वैसे ही करते थे, जैसे पहले स्थान पर खड़े व्यक्ति की करते हैं| एक महान विचारक, लेखक और एक अच्छे प्रचारक के रूप में उन्होंने सभी के दिलों में जगह बनाई| राजनीति-सामाजिक क्षेत्र में ‘एकात्‍म मानवतावाद’ का दार्शनिक विचार पेश करने वाले आरएसएस विचारक और भारतीय जनसंघ के सह-संस्‍थापक दीनदयाल उपाध्‍याय का जन्म 25 स‍ितंबर को  उत्‍तर प्रदेश के चंद्रभान गांव में 1916 में हुआ था ज‍िसे अब दीनदयाल धाम कहा जाता है। यह मथुरा से 26 किमी की दूरी पर स्‍थित है।
 उपाध्‍याय संघ व‍िचारक थे और भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक थे। वह द‍िसंबर 1967 में जनसंघ के प्रेज‍िडेंट बने थे। पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पिलानी में विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण की, इसके बाद वे कानपुर चले गए|1937 में अपने मित्र बलवंत महाशब्दे के कहने पर दीनदयाल ने आरएसएस से नाता जोड़ा इलाहाबाद में दीलदयाल आरएसएस के लिए काम करते रहे और यहां से वह 1955 में लखीमपुर चले गए जहां वह पूरी तरह से आरएसएस के लिए समर्पित हो गए। लखनऊ में दीनदयाल उपाध्याय ने राष्ट्र धर्म प्रकाशन की स्थापना की और यहां से पत्रिका राष्ट्र धर्म का प्रकाशन भी आरंभ किया। इसके बाद उन्होंने वर्तमान में आरएसएस का मुखपत्र पांचजन्य शुरू किया और इसके बाद स्वदेश नाम से एक पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया।
  1950 में जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफा दिया, तब 21 सितंबर 1951 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने यूपी में भारतीय जनसंघ की स्थापना की। उन्‍होंने ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ मिलकर 21 अक्टूबर 1951 को जनसंघ का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया।

वर्ष 1963 में तीसरी लोकसभा के चुनाव होने के बाद कई जगह उपचुनाव की स्थिति बन गई| उस समय उत्तर प्रदेश की जौनपुर सीट  पर भी उपचुनाव कराया जा रहा था| वे कार्यकर्ताओं के दबाव और खासकर भाऊराव देवरस के आग्रह की वजह से इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए| उन्होंने अपने जीवन का पहला और अंतिम चुनाव लड़ा और उसमें भी हार गए|
 दरअसल, पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय के मुकाबले में कांग्रेस ने राजदेव सिंह को चुनावी अखाड़े में उतारा था| राजदेव सिंह इंदिरा गांधी के करीबी और युवाओं से जुड़े हुए थे|रहस्यमयी मौत
पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय  की मौत रहस्यमयी ढंग से हुई थी| वे 10 फरवरी, 1968 को लखनऊ से सियालदह एक्‍सप्रेस में पटना जाने के लिए चले, लेकिन जब ट्रेन रात करीब सवा दो बजे मुगलसराय स्‍टेशन पर पहुंची तो उनको ट्रेन में नहीं पाया गया| उनका शव रेलवे स्‍टेशन के पास मिला था| पुलिसिया जांच में यह सामने आया कि एक चोर जब दीनदयाल उपाध्‍याय का सामान लेकर भागने लगा तो उन्होंने उसका सामना किया| इसके बाद चोर ने उन्हें चलती ट्रेन से धक्का दे दिया, जिससे वे गिर गए और उनकी मौत हो गई|

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