गुरुवार, 27 सितंबर 2018

कलाकार ही कला को कर रहे कलंकित

विश्व प्रस़िद्ध गुलाबी नगरी जयपुर के कलाकारों द्वारा विश्व में अपनी पहचान बनाई गई, लेकिन आज कलाकार ही कला को कलंकित कर रहे हैं, कलाकारों द्वारा ही बनाया गया संगठन ताज कलाकारों को संगठित न कर गुण्डों को संगठित कर रहा है, या हम कह सकते हैं कि ताज संगठन में कला के माध्यम से अपराध करने की कला सिखाई जाती है ताज संगठन के बैनर तले ।
1993 में खलनायक फिल्म का प्रदर्शन हुआ था, खलनायक के रूप में भूमिका निभाने वाले संजय दत्त की कला को लोगों ने जरूर सराहा था लेकिन वास्तविक खलनायक के रूप में जनता ने संजय दत्त को नकार दिया था और उन्हें जेल भी जाना पडा था।                                                


जयपुर  । जगजाहिर सम्पादक अरूण कुमार, विशेष आलेख । थियेटर आर्टिस्ट एसोसियेशन ऑफ जयपुर (ताज) के कुल 10 में से 8 संस्थापक सदस्यों ने पूर्ण बहुमत से रजिस्ट्रार राजस्थान नॉन ट्रेडिंग कम्पनीज, राजस्थान, जयपुर को ताज का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का पत्र देकर एवं तत्पश्चात प्रेस क्लब, जयपुर में पत्रकार वार्ता आयोजित कर ताज के वर्तमान पदाधिकारियों एवं पिछले तीन साल से इसके अन्य पदाधिकारियों पर कोहराम मचाने का आरोप लगाते हुए महिला रंगकर्मियों के शारीरिक शोषण तक  के गंभीर आरोप लगा डाले और बताया कि वर्तमान में ताज  के पदाधिकारी हिमांशु झांकल, मुकेश सोनी, के.के.कोहली हैं।

संस्थापक सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि ताज ​के पदाधिकारी राजस्थान सरकार से मिलने वाले अनुदान में विभाग के अधिकृत दलाल बन चुके हैं, जो संबंधित अधिकारियों व संबंधित मंत्री तक को दबाव में लेने की कोशिश करते हैं व मनपसंद न्यूज नहीं लगाने पर पत्रकारों की सम्पादक तक से शिकायत करते हैं इस तरह मीडिया को भी दबाव में लेने की कोशिश करते हैं। 19 अगस्त,2018 को पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के कारण 7 दिन के राजकीय शोक होने के बावजूद रवीन्द्रमंच के मिनी थियेटर में बिना प्रबंधक सोविला माथुर की मंजूरी के फर्जी चुनाव के जरिये वापस से पदाधिकारियों के पद हथिया लिये, मालाएं पहनकर खुशियां मनाई गई, इस देशद्रोही कृत्य के लिये प्रबंधक सोविला माथुर कतई इजाजत नहीं दे सकती, जबकि उन्होंने स्वंय ही शोक के दौरान पहले से तयशुदा कार्यक्रमों को निरस्त करवाया था।

जब पत्रकार राजेन्द्र सिंह गहलोत ने इस पर आर्टिकल लिखा था 'ताज मिली मिट्टी में, जिसमें उन्होने लिखा था कि असल मुद्दा देह शोषण के आरोप का है, अगर आरोप सही लगाया है तो लड़की को सामने लाकर एफआईआर दर्ज  करवाओ, जिससे बाकी लड़कियों की जिंदगी भी बर्बाद होने से बच सके, और अगर आरोप गलत है तो 'ताज के अध्यक्ष हिमांशु झांकल ने आरोप लगाने वालों पर कानूनी कार्यवाही की बात की है तो उन्हें तुरन्त कार्यवाही करनी चाहिये, उनके द्वारा कानूनी कार्यवाही नहीं करने पर वह अपने आपको स्वंय ही कठघरे में खड़ा कर लेंगे।

 हिमांशु झांकल को यह भी साबित करना होगा कि यह आरोप गलत है कि हमने कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर के डिप्टी सेक्रेटरी पर लड़की मांगने का आरोप लगाकर ट्रांसफर करवाया, दूसरी तरफ यदि आरोप सही है तो हिमांशु झांकल को बताना पड़ेगा कि उन्होंने आज तक यह बात मीडिया को क्यों नहीं बताई ।

यह सब करने के बजाय 'ताज' के पदाधिकारी रहे व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया पर पत्रकार को बिका हुआ बताया गया एवं एक अल्पसंख्यक समुदाय के पदाधिकारी रहे व्यक्ति द्वारा अपशब्दों का प्रयोग करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट पर लिखा 'निकम्मे लोग, ताज जिन्दाबाद, हिमांशु झांकल जिन्दाबाद, हाथी के पीछे कुत्ते भौंकते हैं .. .. .. .दूसरी पोस्ट में लिखा 'मेरे होते हुए हिमांशु सर का कोई कुछ नहीं कर सकता, टांगें काट दूंगा, लो स्क्रीन शॉट खुलकर बोल रहा हूं। दोनो पोस्ट पर नाम असलम कुरैशी, मोबाईल नंबर 9351796622 दर्ज है। दूसरी पोस्ट में लिखा है 'बहुत-बहुत धन्यवाद असलम भाई, मैं तो खुद आपके रोल से भयभीत हो गया था, आप भी कमाल के कलाकार हैं, कभी किसी की टांग काट देते हो, और कभी पिस्तौल, ये आपका दोष नहीं है, दरअसल आपने दास्तान-ए-जुर्म के एपिसोड कुछ ज्यादा ही किये हैं।' इस पोस्ट पर नाम रमन पारीक और मोबाईल नम्बर 9782119797 दर्ज है  । 

इस तरह एक बात समझ में आई कि ये रंगकर्मियों की बातचीत नहीं है, यह तो अपराधियों की भाषा है, जो पदाधिकारी सोशल मीडिया पर 'टांगें काट दूंगा, लो स्क्रीन शॉट खुलकर बोल रहा  हूं' और उनके मित्र भयभीत होकर कहते हैं कि 'बहुत-बहुत धन्यवाद असलम भाई, मैं तो खुद आपके रोल से भयभीत हो गया था, आप भी कमाल के कलाकार हैं, कभी किसी की टांग काट देते हो, और कभी पिस्तौल, ये आपका दोष नहीं है, दरअसल आपने दास्तान-ए-जुर्म के एपिसोड कुछ ज्यादा ही किये हैं।' तो यह सहज ही कल्पना की जा सकती है कि वह लड़कियां जो इन लोगों के चंगुल में फंस चुकी है, जिनके देहशोषण के आरोप ताज के संस्थापक सदस्यों ने लगाये हैं, वह खुलकर सामने कैसे आयेगी, क्या पता उनको कितना भयभीत कर रखा हो कि सामने आई तो तुम्हारी और तुम्हारे परिवारजनों की टांगे काट दी जायेगी। विश्वस्त सूत्रों से पता चला कि यह अल्पसंख्यक समुदाय के ताज के पदाधिकारी रहे व्यक्ति किसी महिला को सोशल मीडिया पर परेशान करने के आरोप में पूर्व में भी मोतीडूंगरी थाना, जयपुर में तलब किये जा चुके हैं, जहाँ पर रवीन्द्र मंच की उस महिला ने इनको जमकर कस-कसकर चांटे मारे, इन्होंने रिरियाते हुए माफी मांगी, ताज के अध्यक्ष हिमांशु झांकल और एक वरिष्ठ थाने जाकर इनको छुडाकर लाये । 

तो सवाल यह है कि क्या ताज अपराधियों का गढ़ बन चुकी है कि जो भी ताज के खिलाफ या हिमांशु झांकल के खिलाफ बोलेगा उसकी टांगें काट दी जायेगी, और जब वरिष्ठ इनको थाने से छुडाकर ला सकते हैं तो क्या ताज के संरक्षक ताज के इन पदाधिकारियों को संरक्षा नहीं देंगे, क्योंकि ताज के पंजीकरण के रद्द होने के साथ ही उनका संरक्षक का पद भी जाता रहेगा, दोनो ही पक्ष इस बात को नहीं समझ रहे कि दोनो पक्ष सिर्फ मोहरे हैं, ताज की सत्ता किसी के पास रहे, आयाराम के पास, या गयाराम के  पास, ताज के संरक्षकों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, वह तो दोनो ही स्थिति में संरक्षक रहेंगे, वह अपनी सेवाएं देंगे भी और बदले में इन लोगों से सेवाएं लेंगे भी, तो क्या इतनी आसानी से वह ताज का पंजीकरण रद़्द होने देंगे, वह परदे के पीछे से अपने पाले हुए सोशल मीडिया पर सक्रिय सरकारी व गैरसरकारी रंगकर्मी बने गुर्गे लगाकर किसी भी तरह का जोड़-तोड़ बिठाकर यह चाहेंगे कि यह चुनाव रद्द हो जायें, लेकिन ताज का पंजीकरण रद्द न हो, क्योंकि ताज एक संगठन है, जिसका इस्तेमाल करके वह सत्ता से अपना मनचाहा काम करवा सकते हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर सक्रिय उनके सरकारी गुर्गे यह नहीं समझ रहे कि अपराधियों की सोशल मीडिया पर पैरवी करना भी अपराध है और वह सहअभियुक्त हो सकते है और अपनी सरकारी सेवा को खो भी सकते है और उस वक्त उनका साथ देने वाला कोई नहीं होगा। 


दूसरी बात कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर ऐसा करने की हिम्मत तभी कर सकता है जब उसके पीछे उनको बचाने के लिये इन संरक्षकों के अलावा भी और हिंसक आका मौजूद हों, निश्चित ही वह अपराधी तत्व होंगे, हिस्ट्रीशीटर होंगे या अपराध जगत के सरगना, सवाल यह भी है कि वह कहाँ बैॅठे हैं, देश में, या दुश्मन देश में, या दुबई में, सच कुछ भी हो सकता है, जांच एजेंसियों को सर्तकता की जरूरत है। हो सकता है कि आज का पिद्दी न पिद्दी का शोरबा कल का कसाब बन जाये मैं यह तो नहीं कहूंगा, क्योंकि यह जाँच का विषय है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि ताज के इन पदाधिकारियों द्वारा न जाने किन-किनको टांगे काट देने या जान से मारने की धमकी देकर डराया जा रहा होगा, सरकार को तुरन्त ताज को रद़्द करने की सामान्य प्रक्रिया न अपनाकर विशेषाधिकारों का प्रयोग करते हुए ताज का पंजीकरण तुरन्त रद्द कर देना चाहिये, हालांकि सरकार पर इसके संरक्षकों द्वारा परदे के पीछे से दबाव भी बहुत पडेंगे लेकिन सरकार को यह करना ही चाहिये क्योंकि अब ताज बन चुकी है दुश्मन देश के पाले हुए अपराधियों का गढ़ । 


इस सारी लड़ाई में रवीन्द्र मंच प्रबंधक सोविला माथुर को सावचेत रहने की आवश्यकता है क्योंकि जिसने अपनी कूटनीति के जरिये रवीन्द्र मंच के 4 कर्मचारियों का अपने पद से पदच्युत करवाया, कहीं अब उसका अगला निशाना प्रबंधक सोविला माथुर तो नहीं, क्योंकि हो सकता है कि दो बंदरों की लड़ाई में मौकेे की ताक में बैठी बिल्ली इसका फायदा उठा ले जाये और हिमांशु झांकल को भी स्वंय ही विधिवत तरीके से ताज का रजिस्ट्रेशन रद्द करवा देना चाहिये, उनके ऐसा करते ही परदे के पीछे काम कर रहे कई दिग्गजों के जोड़-बाकी-गुणा-भाग का पूरा गणित बिगड़ जायेगा, और हिमांशु झांकल अपने आपको बेदाग भी साबित कर पायेंगे कि अगर वह गलत होते तो स्वंय ही ताज का पंजीकरण रद्द नहीं कराते ।

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