जयपुर। इन नेत्रों में ज्योति तो नहीं है, लेकिन इनका अंतर्मन ईश्वरीय दृष्टि से इतना अलौकिक है कि ये दृष्टिबाधित बालिकाएं हौसलों से लबरेज हैं। यह कहना था कला एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुलदीप रांका का।
रांका लुई ब्रेल दृष्टिहीन विकास संस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय दृष्टिबाधित महिला संगीत प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि संगीत ईश्वर की ऐसी साधना है, जो सीधे परमात्मा से साक्षात्कार करवाती है। उन्होंने प्रतियोगिता में भाग ले रही दृष्टिबाधित बालिकाओं की प्रतिभा की तारीफ करते हुए कहा कि कमी चाहे जो भी हो, पर कभी जीवन में निराश नहीं होना चाहिए। उन्होंने प्रतिभाओं को तराशने की आवश्यकता पर बल दिया।
समारोह के अध्यक्ष रील के कार्यकारी निदेशक पीयूष पालीवाल और विशिष्ट अतिथि ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के प्रादेशिक प्रबंधक डी.एन. सक्करवाल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि नेत्रहीन बालिकाओं द्वारा दी गई प्रस्तुतियां वाकई सराहनीय हैं। उन्होंने दृष्टिबाधित बालिकाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
इस अवसर पर अतिथियों ने बाल वर्ग, किशोर वर्ग और युवा वर्ग की विजेता प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न भेंटकर हौसला अफजाई की। अंत में संस्थान के अध्यक्ष पी.सी. जैन ने आभार व्यक्त किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें