पर्दे के पीछे से नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी की जीत की पटकथा लिखने वाले प्रशांत किशोर जल्द ही जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार के करीब आने लगे। 2015 में उन्होंने बिहार में जेडीयू के लिए चुनावी रणनीति तैयार की। यहां भी उन्हें कामयाबी मिली और बिहार में जेडीयू, आरजेडी व कांग्रेस के महागठबंधन को प्रचंड जीत मिली। पेशेवर चुनावी रणनीतिकार के तौर पर स्थापित पीके की कई पार्टियों ने चुनावों के दौरान मदद ली। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के लिए काम किया लेकिन यहां उन्हें नाकामी हाथ लगी।
पिछले कुछ समय से पीके की राजनीति में आने की अटकलें थी।
पिछले दिनों हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनस में एक संवाद के दौरान पीके ने यह संकेत दे दिया था कि अब वह चुनावों में किसी पार्टी के साथ जुड़कर काम नहीं करेंगे। इस संवाद के दौरान पीके ने कहा था कि वह जनता के बीच जाकर उनके बीच काम करना चाहते हैं जो कि उनका पसंसदीदा काम है। इस बारे में पूछे जाने पर कि वह कहां काम करना पसंद करेंगे, किशोर ने बिहार और गुजरात का नाम लिया था।
इसके बाद से ही यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि प्रशांत जेडीयू के साथ राजनीतिक करियर शुरू कर सकते हैं। हालांकि संवाद के दौरान इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने किसी भी दल के साथ जुड़ाव की बात को खारिज कर दिया था। अब आखिरकार उन्होंने जेडीयू से अपनी सियासी पारी का आगाज कर दिया है।

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