सोमवार, 25 सितंबर 2017

विपक्ष बिखरा हुआ है इसलिए भाजपा मजबूत है

यह सही है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत के राज्यों में बहुत मेहनत कर रहे हैं। यह भी सही है कि उन्होंने लोकसभा की 120 सीटों पर खास फोकस बनवाया है। इन सीटों पर भाजपा पिछली बार लड़ी थी और हार गई थी। इस बार इन सीटों को जीतने का लक्ष्य है। पर यह भी हकीकत है कि भाजपा को ज्यादा उम्मीद हिंदी भाषी राज्यों से ही है, जहां उसका पुराना आधार रहा है। तभी पार्टी ने नए राज्यों में आधार मजबूत करने और चुनाव जीतने की तैयारियों के साथ साथ हिंदी भाषी राज्यों खास कर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सभी सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। यह कमाल की बात है, लेकिन बताया जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने नेताओं से कहा है कि बिहार की सभी 40 सीटें और उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटें इस बार जीतनी है। पिछली बार बिहार में एनडीए को 31 और उत्तर प्रदेश में 73 सीटें मिली थीं। एक तरफ जहां विपक्ष का हिसाब है कि इस बार इन राज्यों में भाजपा की सीटें कम होंगी और विपक्ष की सीटें बढ़ेंगी, वहीं भाजपा अध्यक्ष ने दो राज्यों की सभी 120 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी पदाधिकारियों के साथ भी इस पर चर्चा हुई है। लेकिन असल में जब अमित शाह उत्तर प्रदेश के तीन दिन के प्रवास पर थे, तभी उन्होंने पार्टी नेताओं को यह लक्ष्य दिया था। पिछले दिनों दिल्ली में शाह ने बिहार भाजपा की कोर कमेटी के नेताओं के साथ बैठक की थी, उसमें सभी 40 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया। भाजपा नेताओं का मानना है कि बिना नीतीश कुमार के 2014 में एनडीए ने 31 सीटें जीती थीं। सो, अब नीतीश के आने के बाद सभी सीटें जीत जाना कोई भारी बात नहीं है।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में भाजपा को योगी आदित्यनाथ का कार्ड चल जाने का पूरा भरोसा है। पार्टी के जानकार सूत्रों का कहना है कि पिछले चुनाव में मुजफ्फरनगर दंगों और नरेंद्र मोदी के वाराणसी से चुनाव लड़ने की वजह से ध्रुवीकरण हुआ था। लेकिन इस बार योगी की वजह से ध्रुवीकरण होगा और पहले से ज्यादा होगा। ऊपर से यह भी कहा जा रहा है कि अगले साल राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। साथ ही भाजपा नेताओं का यह भी कहना है कि उनका सामाजिक समीकरण भी मजबूत बन गया है, जबकि विपक्ष बिखरा हुआ है। इसलिए इस बार सभी सीटें जीती जा सकती हैं। 

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