अंधाधुंध शहरीकरण ने ग्रामीण भारत की जड़ों को हिला कर रख दिया है. 2011 जनगणना की माने तो देश की लगभग 32 फीसदी यानि 37 करोड़ की आबादी शहरी इलाकों में रहने लगी है. विशेषज्ञ बताते हैं कि जनसंख्या ऐसे ही बढ़ती रही तो 2030 तक शहरी आबादी लगभग 60 करोड़ हो जाएगी. अगर आबादी के बढ़ने की रफ्तार ऐसी ही रही तो देश के कुल 85 करोड़ लोग शहरों में रहेंगे. यानि अगले 40 सालों में शहरी आबादी दोगुनी हो जाएगी.
ये बहुत बड़ा बदलाव होगा जिसके बारे में अभी से और गंभीरता से नहीं सोंचा गया तो कोई भी योजना बनाना मुश्किल ही साबित होगा.
शहरी विकास के लिए नहीं है कोई नीति
शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी के मंत्रालय का काम काज संभालते ही जब बैठकों का दौर शुरू हुआ तो पता चला कि आजादी के 70 सालों के बाद भी शहरी विकास के लिए कोई नीति ही नहीं है. सरकारें आकर चली जाती हैं और नीतियां भी उसी रफ्तार से बदलती रहतीं हैं. यानि सब कुछ एड-हॉक सिस्टम पर चलता रहा है.
राष्ट्रीय शहरी विकास नीति की सख्त जरूरत
मंत्रीजी ने आला अधिकारियों के साथ मंथन किया और पाया कि एक राष्ट्रीय शहरी विकास नीति की सख्त जरूरत है. इस बाबत एक समिति बनाने के निर्देश दे दिए गए हैं. इस समिति में अधिकारियों के साथ-साथ विशेषज्ञ भी शामिल होंगे जो पूरे देश के लिए एक शहरी विकास नीति बनाने की रुपरेखा तैयार करेंगे. एक खाका तैयार करने के बाद राज्य सरकारों से भी मशवरा किया जाएगा ताकि इस योजना में सबकी भागीदारी हो.
फिलहाल शहरी विकास में केन्द्र सरकार के चार पाइलट प्रोजेक्ट चल रहे हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं
• अटल मिशन यानि अमृत मिशन- इसके तहत शहरी इलाके के हर घर में पानी, सीवेज, कूडे की रीसाइकलिंग, बरसात के पानी को बचाना और हर साल शहर में एक पार्क बनाना मुख्य योजना है. पूरी योजना के तहत 500 चुने हुए शहरों में 1900 पार्क बनाने की योजना है. अटल मिशन के लिए मोदी सरकार ने पांच साल के लिए एक लाख करोड़ रुपये दिए हैं. इस योजना में 50:50 के अनुपात में राज्यों से पैसे शेयर किए जातें हैं.
• पीएम आवास योजना- 2022 तक शहरों में रह रहे हर व्यक्ति के लिए घर का निर्माण इसका मुख्य उद्देश्य है. कुल 26 लाख घर बनाने की योजना है और इसके लिए एक लाख चालिस हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. अब तक 2 लाख घर बन भी चुके हैं. लेकिन 2022 तक 1 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य है.
• स्वच्छ भारत मिशन- मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. कुल 62 हजार करोड़ खर्च किए जाने हैं जिसमें 15 हजार करोड़ केन्द्र देगा. लक्ष्य है 2अक्टूबर 2019 महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर पूरा देश खुले में शौंच मुक्त हो जाए और क्लीन इंडिया की राह पर चल पड़े.
• स्मार्ट सीटी मिशन- अबतक इस मिशन के तहत 90 से ज्यादा शहरों का चयन हो चुका है. खर्च के लिए कुल 2 लाख करोड़ रुपये आवंटित भी कर दिए गए हैं. चुने गए शहरों में से कोई भी शहर काम शुरू करेगा उसे पांच सालों में काम पूरा करना होगा और पैसे भी मिल जाएंगे.
सूत्र बताते हैं कि अब तक शहरी इलाकों में लोग पानी, बिजली, पार्क और सीवेज जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं. स्थानीय निकायों में न वित्तीय और न ही प्रशासनिक क्षमता होती है कि वो इन मुश्किलों को दूर करने में सफल हो सकें.
योजनाओं का अभाव नहीं है लेकिन अगली सरकार को पसंद नहीं आयीं तो योजना जमीन तक पहुंचते ही दम तोड़ देगी. इसलिए पांच साल की सरकार और पांच साल की योजना से हट कर अब तैयारी करनी है 2050 की जब देश का डेमोग्राफिक प्रोफाईल बदल चुका होगा. इसलिए मोदी सरकार ने तय किया है कि 2011 की जनगणना को आधार बनाते हुए एक एकीकृत राष्ट्रीय शहरी विकास नीति तैयार की जाए. ताकि इस अंधाधुंध शहरीकरण से पैदा होने वाली मुश्किलों से छुटकारा पाने का उपाय पहले ही निकाला जा सके.
ये बहुत बड़ा बदलाव होगा जिसके बारे में अभी से और गंभीरता से नहीं सोंचा गया तो कोई भी योजना बनाना मुश्किल ही साबित होगा.
शहरी विकास के लिए नहीं है कोई नीति
शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी के मंत्रालय का काम काज संभालते ही जब बैठकों का दौर शुरू हुआ तो पता चला कि आजादी के 70 सालों के बाद भी शहरी विकास के लिए कोई नीति ही नहीं है. सरकारें आकर चली जाती हैं और नीतियां भी उसी रफ्तार से बदलती रहतीं हैं. यानि सब कुछ एड-हॉक सिस्टम पर चलता रहा है.
राष्ट्रीय शहरी विकास नीति की सख्त जरूरत
मंत्रीजी ने आला अधिकारियों के साथ मंथन किया और पाया कि एक राष्ट्रीय शहरी विकास नीति की सख्त जरूरत है. इस बाबत एक समिति बनाने के निर्देश दे दिए गए हैं. इस समिति में अधिकारियों के साथ-साथ विशेषज्ञ भी शामिल होंगे जो पूरे देश के लिए एक शहरी विकास नीति बनाने की रुपरेखा तैयार करेंगे. एक खाका तैयार करने के बाद राज्य सरकारों से भी मशवरा किया जाएगा ताकि इस योजना में सबकी भागीदारी हो.
फिलहाल शहरी विकास में केन्द्र सरकार के चार पाइलट प्रोजेक्ट चल रहे हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं
• अटल मिशन यानि अमृत मिशन- इसके तहत शहरी इलाके के हर घर में पानी, सीवेज, कूडे की रीसाइकलिंग, बरसात के पानी को बचाना और हर साल शहर में एक पार्क बनाना मुख्य योजना है. पूरी योजना के तहत 500 चुने हुए शहरों में 1900 पार्क बनाने की योजना है. अटल मिशन के लिए मोदी सरकार ने पांच साल के लिए एक लाख करोड़ रुपये दिए हैं. इस योजना में 50:50 के अनुपात में राज्यों से पैसे शेयर किए जातें हैं.
• पीएम आवास योजना- 2022 तक शहरों में रह रहे हर व्यक्ति के लिए घर का निर्माण इसका मुख्य उद्देश्य है. कुल 26 लाख घर बनाने की योजना है और इसके लिए एक लाख चालिस हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. अब तक 2 लाख घर बन भी चुके हैं. लेकिन 2022 तक 1 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य है.
• स्वच्छ भारत मिशन- मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. कुल 62 हजार करोड़ खर्च किए जाने हैं जिसमें 15 हजार करोड़ केन्द्र देगा. लक्ष्य है 2अक्टूबर 2019 महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर पूरा देश खुले में शौंच मुक्त हो जाए और क्लीन इंडिया की राह पर चल पड़े.
• स्मार्ट सीटी मिशन- अबतक इस मिशन के तहत 90 से ज्यादा शहरों का चयन हो चुका है. खर्च के लिए कुल 2 लाख करोड़ रुपये आवंटित भी कर दिए गए हैं. चुने गए शहरों में से कोई भी शहर काम शुरू करेगा उसे पांच सालों में काम पूरा करना होगा और पैसे भी मिल जाएंगे.
सूत्र बताते हैं कि अब तक शहरी इलाकों में लोग पानी, बिजली, पार्क और सीवेज जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं. स्थानीय निकायों में न वित्तीय और न ही प्रशासनिक क्षमता होती है कि वो इन मुश्किलों को दूर करने में सफल हो सकें.
योजनाओं का अभाव नहीं है लेकिन अगली सरकार को पसंद नहीं आयीं तो योजना जमीन तक पहुंचते ही दम तोड़ देगी. इसलिए पांच साल की सरकार और पांच साल की योजना से हट कर अब तैयारी करनी है 2050 की जब देश का डेमोग्राफिक प्रोफाईल बदल चुका होगा. इसलिए मोदी सरकार ने तय किया है कि 2011 की जनगणना को आधार बनाते हुए एक एकीकृत राष्ट्रीय शहरी विकास नीति तैयार की जाए. ताकि इस अंधाधुंध शहरीकरण से पैदा होने वाली मुश्किलों से छुटकारा पाने का उपाय पहले ही निकाला जा सके.

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