मंगलवार, 12 सितंबर 2017

नीतीश कुमार क्या कोई नई खिचड़ी पकाने की तैयारी में हैं?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या कोई नई खिचड़ी पकाने की तैयारी में हैं? पटना के राजनीतिक गलियारे में कई तरह की चर्चाएं हैं। बताया जा रहा है कि इस बार भाजपा और जनता दल यू के बीच पहले जैसा समीकरण नहीं दिख रहा है। दोनों पार्टियों में एक दूसरे के प्रति अविश्वास है। दोनों पार्टियों के नेता बता रहे हैं कि संबंधों में गांठ पड़ गई है। इसलिए दोनों सावधान हैं और वैकल्पिक समीकरण पर काम कर रहे हैं। उनके मंत्रिमंडल विस्तार से भी इसका कुछ संकेत मिलेगा। जल्दी ही विस्तार की चर्चा है, जिसमें वे अपने कुछ बेहद विश्वसनीय लोगों को सरकार में लाने वाले हैं। 
बहरहाल, जदयू से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पिछले डेढ़ महीने में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनसे दोनों के संबंधों की दूरी दिखाई दी है। तभी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार दो मोर्चों पर काम कर रहे हैं। उनका एक मोर्चा अपनी पार्टी को बहुमत के ज्यादा से ज्यादा करीब ले जाने का है। इसके लिए उनकी पार्टी कांग्रेस के संपर्क में हैं। कांग्रेस के कई नेता पाला बदल कर उनकी पार्टी में शामिल होने और सरकार में मंत्री बनने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस से टूट सकने वाले विधायकों का आंकड़ा 14 से 19 पहुंच गया है। अगर डेढ़ दर्जन विधायक टूट कर जदयू में जाते हैं तो वह विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी। 
नीतीश कुमार का दूसरा मोर्चा अगले चुनाव की तैयारी का बताया जा रहा है। जानकार सूत्रों का कहना है कि वे अति पिछड़ा और महादलित के पुराने समीकरण को फिर से मजबूत करना चाहते हैं। इसके लिए वे भाजपा की सहयोगी पार्टियों के नेताओं के संपर्क में भी बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि गैर यादव पिछड़ी जातियों के कई नेताओं से उनकी पार्टी की बातचीत चल रही है। इनमें सभी पार्टियों के नेता शामिल हैं। असल में उनको लग रहा है कि अगर भाजपा ने मंझधार में छोड़ा तो उनके पास विकल्प होना चाहिए। 
कांग्रेस और राजद के साथ जाने की बजाय वे अपना एक मोर्चा बना सकते हैं। हालांकि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अगर नीतीश कुमार कांग्रेस न तोड़ें और सद्भाव बनाए रखें तो कांग्रेस उनकी मदद कर सकती है। कहा जा रहा है कि नीतीश की पार्टी के नेता अतिपिछड़ी जातियों के नेताओं, कुशवाहा नेताओं और महादलित नेताओं के संपर्क में हैं। इनमें से कुछ नेता एनडीए का हिस्सा हैं। इन दो मोर्चों पर नीतीश कुमार की सक्रियता से भाजपा नेताओं के कान खड़े हुए हैं। फिर भी भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। तभी भाजपा के नेता भी कांग्रेस विधायकों के संपर्क में हैं और कोशिश हो रही है कि अगर कांग्रेस टूटे तो कुछ विधायक भाजपा में भी शामिल हों। यानी दोनों तरफ दांव पेंच चले जा रहे हैं। 

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