बुधवार, 20 सितंबर 2017

रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजना उनके “मौलिक अधिकारों” का हनन होगा।

रोहिंग्या मुद्दे पर एनडीए सरकार ने सामान्य से हटकर रुख लेने का साहस दिखाया है। म्यामांर से आए से आए ये शरणार्थी भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हैं- ये बात उसने औपचारिक रूप से सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कही है। अब प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस पर सुनवाई की अगली तारीख तीन अक्टूबर को तय की है। उस रोज बेंच पहले इस पर सुनवाई करनी होगी कि क्या ये प्रकरण कोर्ट के अधिकार-क्षेत्र में आता है। इसलिए कि केंद्र ने यह बुनियादी सवाल उठा दिया है कि दो रोहिंग्या शरणार्थियों की याचिका पर विचार अदालत के अधिकार क्षेत्र में आता है? केंद्र की दलील है कि इस संबंध में निर्णय लेना पूरी तरह कार्यपालिका के दायरे में है। 
सरकार ने कहा कि म्यांमार से आए शरणार्थियों से भारत के लिए “सुरक्षा संबंधी बहुत गंभीर खतरे” पैदा हो सकते हैं। इस बात के पक्ष में उसने जिक्र किया कि कई रोहिंग्या काले धन को सफेद करने के धंदे में शामिल पाए गए। उनमें कुछ उग्रवादी पृष्ठभूमि के हैं। उनमें कइयों के संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के साथ होने के सबूत मिले हैं। उधर दो रोहिंग्या शरणार्थियों ने अपनी याचिका में दलील दी है कि उन्हें भारत से वापस भेजना उनके “मौलिक अधिकारों” का हनन होगा। उन्होंने कोर्ट से गुजारिश की है कि वह भारत सरकार को यहां मौजूद रोहिंग्या मुसलमानों को संयुक्त राष्ट्र के नियमों के तहत शरणार्थी के रूप में पंजीकृत करने का निर्देश दे। अतीत में गुजरात और दिल्ली हाई कोर्टों ने ऐसी याचिकाओं पर फैसला दिया था कि भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार भले विदेशियों के लिए ना हों, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मान्यताओं तथा भारतीय संविधान की मानवीय विचारधारा के कारण उन्हें भी अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) की सुरक्षा मिलनी चाहिए। अब केंद्र के सामने चुनौती कोर्ट में यह सिद्ध करने की है कि कानून की ऐसी व्याख्या अत्यधिक है। साथ ही उसे इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सवालों का सार्थक जवाब भी देना होगा। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने रोहिंग्या मामले में भारत सरकार के रुख की सार्वजनिक आलोचना की है। अगर सरकार भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा की रक्षा करते हुए अपने रुख को कानूनी रूप से मान्य साबित कर सकी, तो उसका ये रुख सही दिशा में है। वरना, उसकी और भारत की खासी किरकिरी हो सकती है।

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